दो बड़े भाई अतुल और विक्की, दो बड़ी बहनें प्रभा और माला और इन सबसे छोटी अनु। सब बच्चे माता-पिता और दादा-दादी के लाडले।
अतुल ने पापा का ड्राई फ्रूट्स का व्यापार संभाल लिया और विक्की ने रेडीमेड कपड़ों का। दोनों का विवाह भी अच्छे अमीर घरों में हो गया था। प्रभा और माला का विवाह भी अच्छे खाते पीते घरों में हुआ था। अब बची थी अनु। वह बीए के अंतिम वर्ष की पढ़ाई कर रही थी।
उन दिनों उसके लिए एक बहुत अच्छा रिश्ता आया। निहाल एक बहुत ही संस्कारी लड़का था और देखने में स्मार्ट भी था। किसी प्राइवेट कंपनी मेंजॉब करता था।
इसका एक बड़ा भाई कुणाल अपने पापा की मिठाई की दुकान पर बैठता था। अनु की पढ़ाई पूरी होते ही दोनों का विवाह कर दिया गया। निहाल और अनु बहुत खुश थे। निहाल के माता-पिता भीबेहद खुश थे।
शादी के बाद अनु ने कई बार महसूस किया की कुणाल और उसकी पत्नी शालू बहुत अहंकारी है। निहाल, या फिर उसके माता-पिता, वे लोग किसी का भी छोटी सी बात पर अपमान कर देते थे और निहाल को कई बार जानबूझकर नीचा दिखाते थे। निहाल यह सोचकर हमेशा चुप हो जाता था कि कोई बात नहीं बड़ा भाई है और मैं कुछ बोलेगा तो घर में क्लेश होगा। कुणाल हमेशा निहाल की इसी अच्छाई का फायदा उठाता था।
एक बार कुणाल ने अपनी मां को बहुत खरी खोटी सुनाई उसकी पत्नी शालू को कहा था कि-” तुम खाना बनाने में अनु की मदद किया करो, वह गर्भवती हैउसे आराम की जरूरत है।तुम्हारा बच्चा तो अब बड़ा हो गया है और स्कूल भी जाने लगा है। ”
शालू ने नमक मिर्च लगाकर यह बात अपने पति को बताई और कुणाल अपनी मां से लड़ने लगा। कुणाल के पापा को बर्दाश्त नहीं हुआ और उन्होंने कुणाल को साफ-साफ कह दिया कि -” हम बहुत समय से तुम्हारी और बहू की हरकतें देख रहे हैं और सहन भी कर रहे हैं, बस अब बहुत हो चुका अब और नहीं। कभी तुम दोनों निहाल की बेइज्जतीकरते हो,कभी माँ की तो कभी मेरी। तुम दोनों को ना तो शर्म आती है और ना बड़ों का लिहाज है। अब तुम अपना इंतजामकहीं और कर लो।”
कुणाल ने बेशर्मी से कहा-” हमारा हिस्सा दे दीजिए, गहनों में भी और प्रॉपर्टी में भी। ”
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पापा ने कहा-” सिर्फ अपने गहने ले जाओ’ बाकी और कुछ नहीं मिलेगा। तुम्हारी शादी पर मैंने खुशी खुशी में कुछ ज्यादा ही खर्च कर दिया था और रही प्रॉपर्टी की बात, वह मैंने अपनी मेहनत से बनाई है। तुम भी बना लेना। हमारी दुकान भी कुछ ज्यादा बड़ी नहीं है। ”
कुणाल और शालू 1 महीने तक वहीं रुके और अगले महीने एक नया घर खरीद लिया। कुणाल के पापा को प्रॉपर्टी डीलर ने बताया कि यह लोग काफी दिन पहले हीनया घर पसंद कर चुके थे।
कुणाल के पापा को इस बात का अब विश्वास पक्का हो चुका था कि कुणाल दुकान के हिसाब में हेरा फेरी करता है और गल्ले में से पैसे चुराता है। तुरंत नया मकान लेने से यह बात अब सामने आ गई थी। यह चोरी वहकाफी समय से कर रहा था, फिर भी वह चुप रहे लेकिन प्रॉपर्टी में हिस्सा नहीं दिया। कुणाल मन ही मन अपने पापा से और निहाल से बहुत चिढ चुका था।
थोड़े दिनों बाद उसने उस दुकान को बेचकर, अपनी नई दुकान खरीद ली। उसके पापा को भी पता नहीं लगा था कि उसने घर से दुकान के कागजात कब उठा लिए थे। अब वह कर ही क्या सकते थे। निहाल की नौकरी का ही भरोसा था।
सदमे के कारण वह बीमार रहने लगे। इधर अनु को एक सुंदर सी बेटी पैदा हो चुकी थी। धीरे-धीरे काफी वर्ष बीत गए। अनु के भतीजा भतीजी और भांजे भांजियों के विवाह भी होने शुरू हो गए थे। कुणाल ने भी अपने बेटे का विवाह कर दिया था और निहाल को दुनिया को दिखाने के लिए मेहमानों की तरह आमंत्रित किया था।
आखरी कुछ वर्षों में मम्मी पापा की बीमारी पर निहाल ने बहुत पैसा खर्च किया था। उसकी बेटी रिचा पढ़ रही थी। कुणाल से तो किसी तरह की कोई उम्मीद नहीं थी और निहाल किसी भी सूरत में उससे कुछ लेना भी नहीं चाहता था। कुणाल ने अपने माता-पिता को पूरी तरह से निहाल के भरोसे छोड़ दिया था और वह स्वयं उनकी तरफ कोई ध्यान नहीं देता था।
कुछ समय बाद रिचा पढ़ाई पूरी करके नौकरी करने लग गई थी। थोड़ा बहुत पैसा उसने जमा कर लिया था। उसके माता-पिता ने उसका रिश्ता आकाश से तय कर दिया था। अभी विवाह में 6 -7 महीने बाकी थे।
तभी अचानक निहाल की कंपनी वालों ने कंपनी में घाटा होने के कारण लोगों को निकलना शुरू कर दिया और निहाल की नौकरी चली गई। सिर पर शादी है और मेरी नौकरी चली गई, अब आगे क्या होगा, इसी चिंता में निहाल को हार्ट अटैक आया। उसके इलाज के लिए रिचा ने अपनी जिम्मेदारी उठाई और अपनी जमा पूंजी से निहाल की बाईपास सर्जरी करवा कर अपने पापा की जान बचा ली। निहाल सोच रहा था कि अब यह पैसे भी खत्म हो गए। उसकी चिंता बढ़ती जा रही थी।
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उसे चिंता में देखकर अनु ने कहा -” आप चिंता बिल्कुल मत कीजिए, हमारा घर है ना, हम उसे बेचकर छोटे घर में रहेंगे और बाकी बचे पैसों से रिचा का विवाह करवा देंगे। हम सब साथ है यह बहुत बड़ी बात है, अपनों के साथ से ही इंसान को हिम्मत मिलती है। आप भी हिम्मत रखिए, सब ठीक हो जाएगा। ”
अनु का भाई अतुल, जो कि उनसे मिलने आया था, उसने सब कुछ सुन लिया था। उसे अच्छी तरह पता था कि निहाल और अनु किसी के आगे हाथ नहीं फैलाएंगे। उसने अपने भाई विक्की और दोनों बहनों को बुलाया। उन्हें पूरी बात बताई। चारों भाई बहन अनु की मदद करने को तैयार थे। उन्हें पैसों की कमी तो थी नहीं। तब उन्होंने निहाल के घर जाकर बात की।
अतुल ने समझाया-” देखो निहाल, थोड़े दिन बाद हमारी बिटिया रिचा की शादी है और तुम्हारी तबीयत भी खराब है, तुम्हारे पास नौकरी भी नहीं है और फिर नौकरी तुम तभी ढूंढ पाओगे, जब तुम्हारी तबीयत ठीक होगी। रात दिन चिंता में तुम घुलते जा रहे हो। हम सब मिलकर रिचा का विवाह करवा देंगे। तुम बिल्कुल चिंता मत करो। रिचा हमारी भी तो बिटिया है। देखो मना मत करना।, ”
निहाल-” मुझे बहुत खुशी हुई कि आप सब लोगों ने हमारे बारे में इतना सोचा, मैं आप लोगों से पैसा नहीं ले सकता, रिचा मेरी जिम्मेदारी है। हम लोग बड़ा घर बेचकर छोटा ले लेंगे। ”
प्रभा-” निहाल, तुम हमारी छोटी बहन के पति होऔर छोटी बहन बेटी के समान होती है। तो क्या हम अनु के लिए इतना नहीं कर सकते। ”
लेकिन निहाल मान ही नहीं रहा था, फिर सबके बहुत समझाने पर वह इस बात पर राजी हुआ कि जब मेरी नौकरी मुझे मिल जाएगी, तब मैं आप सबके पैसे लौटा दूंगा। मैं यह मदद उधार समझ कर ले रहा हूं। सब ने कहा ठीक है, जैसा तुम्हें उचित लगे, लेकिन जो हमारे चारों की तरफ से एक एक लाख रू उपहार में है,वह हम वापस नहीं लेंगे।पहले से ही बोल देते हैं।
निहाल ने मुस्कुरा कर कहा -“हां मुझे पता है,आप इतनी बड़ी रकम उपहार में क्यों दे रहे हैं, ठीक है जैसा आप कहे। ”
निहाल और अनु अपने आप को बहुत खुश नसीब मान रहे थे कि उन्हें मुश्किल घड़ी में अपनों का साथ मिला। यही तो है अपनों का साथ।रिचा का विवाह सुखपूर्वक संपन्न हुआ। 5 -6 महीने की मेहनत और कोशिश के बाद निहाल की दूसरी नौकरी लग गई थी और उसने पैसे लौटाने के लिए, पैसे जोड़ना शुरु कर दिया था। उन्हें अपनों का साथ मिलने की वजह से अपना घर नहीं बेचना पड़ा था, यह एक बहुत ही अच्छी बात थी।
स्वरचित अप्रकाशित गीता वाधवानी दिल्ली