यह तुम्हारे बाप का घर नहीं है – बीना शर्मा : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : जयप्रकाश अपनी बेटी मेघा को उसके विवाह में देने के लिए सामान की लिस्ट बना रहे थे। जब उन्होंने सामान की लिस्ट बनाकर मेघा को दिखाई तो मेघा बोली ‘पापा इस लिस्ट में मेरा घर तो है ही नहीं।”मेघा की बात सुनकर उसके पापा बोले ‘तू पागल हो गई है जो शादी में अपने घर की मांग कर रही है भला दहेज में घर कौन देता है? शादी के बाद लड़की के पति का घर ही उसका घर होता है।'”

अपने पापा की बात सुनकर मेघा बोली ‘”यदि पति का घर ही उसका अपना घर होता है तो फिर आप मम्मी को हमेशा अपने घर का ताना क्यों देते हो? जब भी वे अपनी खुशी से इस घर में कुछ करना चाहती हैं आप उन्हें यही क्यों कहते हो” यह घर तेरे बाप का नहीं है जो तू यहां पर अपनी मर्जी चलायेगी यह मेरा घर है यहां मेरी मर्जी ही चलेगी। पापा यदि शादी के बाद मेरा पति मुझसे ऐसा कहेगा तो फिर मैं क्या करूंगी?”‘ मेघा के ऐसे शब्द सुनकर उसके पापा शर्मिन्दा  हो गए थे।

     मेघा, उनकी इकलौती बेटी थी। कुछ दिन पहले ही जयप्रकाश ने मेघा का रिश्ता एक संपन्न घर में रहने वाले पढ़े लिखे एक कंपनी में मैनेजर की जॉब करने वाले विनय के साथ पक्का कर दिया था और कुछ दिनों बाद ही उसकी शादी होनी थी जिसके लिए वे उसे शादी में देने के लिए सामान की लिस्ट बना रहे थे।जयप्रकाश बेहद अहंकारी और गुस्से बाज इंसान थे उनके घर में हमेशा उनकी मनमर्जी चलती थी। जब भी उनकी पत्नी साधना अपनी मर्जी से घर में कुछ काम करना चाहती तो वे उसे मना कर देते थे और यही कहते थे कि यह घर मेरा है यहां पर मेरी मर्जी ही चलेगी। यह सुनकर साधना को बेहद बुरा लगता था।

    साधना एक कुशल नृत्यांगना थी उसे नृत्य करना और सिखाना बेहद अच्छा लगता था। उनका घर भी काफी बड़ा था। इसलिए वह अपने घर में ही लड़कियों को नृत्य सिखाना चाहती थी। जब उसने इस बारे में अपने पति जयप्रकाश से पूछा तो वह गुस्से में साधना से बोले ‘क्या करोगी? लड़कियों को नृत्य सिखा कर? मुझे नृत्य करना बिल्कुल भी पसंद नहीं है  यह तुम्हारे बाप का घर नहीं है जहां तुम्हारी मर्जी चलेगी यह मेरा घर है यहां मेरी मर्जी ही चलेगी।’

          अपने पति की यह बात सुनकर साधना का दिल छलनी हो गया था दुख के कारण वह  अपना मन मार कर रह गई थी। यह देखकर मेघा को बहुत बुरा लगा क्योंकि उसे पता था कि उसकी मम्मी का उसकी शादी के बाद घर में बिल्कुल भी मन नहीं लगेगा। उसके पापा जॉब के लिए सुबह सुबह घर से निकल जाते थे और रात को देर से घर आते थे। यही सोचकर मेघा ने अपनी मम्मी को सलाह दी थी घर में लड़कियों को नृत्य सिखाने की ऐसा करने से उसकी मम्मी का खालीपन भी दूर हो जाता और उनका नृत्य का शौक भी पूरा हो जाता परंतु, जब उसके पापा ने उसकी मम्मी को ऐसे कड़वे शब्द बोले तो मेघा ने उन्हें सबक सिखाने का निर्णय ले लिया था।

        उसके पापा पश्चाताप भरे स्वर में  बोले ‘बेटी शादी के बाद लड़कियों का घर उसके पति का घर ही होता है।मुझे माफ कर दो मै अपने अहंकार में भूल गया था कि शादी के बाद एक लड़की का घर ही उसके पति का घर ही होता है यदि वह अपने घर में ही अपनी मर्जी का कार्य नहीं करेगी तो फिर  उसका मन कैसे लगेगा? मैं जानता हूं कि तेरी शादी के बाद तेरी मम्मी बिल्कुल अकेली पड़ जाएंगी। फिर भी मैंने उसकी भावनाओं का सम्मान नहीं किया। आखिर उसे भी तो अपनी मर्जी से जीने का हक है।’फिर उन्होंने अपनी पत्नी साधना को बुलाकर उससे कहा ‘तुम कल से ही लड़कियों को नृत्य सिखाना शुरू कर दो मुझे इसमें कोई आपत्ति नहीं है।’

         पति की  सुनकर साधना का मन खुश हो गया और वह गर्व भरी दृष्टि से मेघा की तरफ देख कर बोली” ‘तुमने अपने पापा की आंखें खोल कर जिस तरह से मेरी मदद की उसके लिए मुझे तुम पर गर्व है। मैं कल ही लड़कियों को नृत्य सिखाने की शुरुआत कर दूंगी।”‘अपनी मम्मी के चेहरे पर खुशी देखकर मेघा बहुत  खुश हुई खुशी  से उसने अपनी मम्मी को गले से लगा लिया उसकी मम्मी ने भी खुशी से उसका माथा चूम लिया था।

      दोस्तों आज के जमाने में भी बहुत से लोग ऐसे हैं जो अपने घर में अपनी मर्जी ही चलाते हैं और अपनी पत्नी और बच्चों की भावनाओं की बिल्कुल भी कदर नहीं करते ।यह गलत है एक पति को अपनी पत्नी की भावनाओं का भी सम्मान करना चाहिए और उसको उनकी मर्जी के अनुसार काम करने की इजाजत देनी चाहिए तभी पत्नी को भी अपना घर अपना लगेगा।

 बीना शर्मा

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