यादें – गरिमा जैन

पापा मम्मी के पास आना मेरे लिए हमेशा से ही एक खुशनुमा पल रहा है। गर्मियों की छुट्टियों में जब भी दिल्ली की चिलचिलाती धूप से मैं परेशान होता तो भाग कर शिमला आ जाता। शिमला में हमारा पुश्तैनी मकान ,दूर-दूर तक सुंदर नजारे, सच बचपन की कितनी ही यादें वापस ताजा हो जाती हैं ।

इस बार तो रिया भी मेरे साथ आई है। रिया और मैं 1 साल से शादी के पवित्र बंधन में बंधे हैं और वह भी मम्मी पापा को बिल्कुल अपने मां-बाप जैसा ही प्यार देती है। कभी-कभी मुझे अपनी किस्मत पर गुमान होने लगता है, सब कुछ दिया है भगवान ने और कुछ महीनों में तो हमारा छोटा सा नन्ना मुन्ना जूनियर भी इस दुनिया में आ जाएगा।

सच कितना लकी हूं मैं ।सब कुछ दिया है भगवान ने।ड्राइंग रूम में शाम की चाय के समय मैंने अपना लैपटॉप उठाया और पापा को ऐसे ही पुरानी तस्वीर दिखाने लगा।  पापा खूब जोर से हंसते ।बचपन की तस्वीरें भी थी।फिर अचानक एक तस्वीर को देखकर पापा  चुप हो गए और चाय पीने लगे।

मैंने पूछा “क्या हुआ “?क्या आपको यह तस्वीर अच्छी नहीं लगी? उन्होंने कुछ भी नहीं कहा !तभी रिया ने कहा कितनी तो अच्छी तस्वीर है ,यह आपका बचपन का दोस्त मनीष है ना! मैंने कहा हां कल मैं उससे मिलने जाऊंगा हर बार सोचता हूं कि इस बार जरूर मिलूंगा लेकिन हर बार रह जाता है

.इस बार मैं पक्का वादा करके आया हूं ,उससे मिलने अवश्य जाऊंगा  ।तभी मम्मी किचन से पकौड़ी लेकर आएंगे और हम सब की प्लेट में देने लगी ।तभी उन्होंने पूछा “किस से मिलने की बात हो रही है ,मैं भी चलूंगी ” ।

मैंने कहा वह मेरा दोस्त है ना मनीष ,हर साल उससे मिलने को सोचता हूं और रह जाता है ।अभी कल ही तो वह मुझे गली के मोड पर मिला ,कुछ जल्दी में था शायद, उसने जाते-जाते बस इतना ही कहा “कल जरूर मुझसे मिलने आना ,मैं तुम्हारा इंतजार करूंगा “यह बात सुनते ही पापा के हाथ से चाय का प्याला छूट गया

मम्मी अचानक से सोफे पर बैठ गई और मुझे बड़ी अजीब सी निगाहों से देखने लगी। तभी पापा ने पूछा “कब मिला था तुझे मनीष “मैंने कहा “कल शाम को सूरज ढलने के बाद जब मैं पान खाने गया था अभी वह सड़क के मोड़ पर मिल गया था। 


बीमार लग रहा था।  बोला कल उससे मिलने जरूर आना। बड़ा बीमार लग रहा था मनीष,  ऐसे तो वह बड़ा गोरा चिट्टा तंदुरुस्त था लेकिन कल बड़ा पतला दुबला सावला, आंखों के नीचे काले गहरे गड्ढे हो गए हैं ,बाल भी ना जाने कैसे झड़े हुए थे उसने .कुछ परेशान है लगता है। आप तो जानते हैं पापा उसके बारे में?”

पापा मम्मी को बड़ी अजीब सी निगाहों से देखने लगे ।तभी रिया ने कहा “क्या हुआ पापा आप इतने परेशान क्यों लग रहे हैं “तभी पापा ने जो बात कही वह बात सुनकर हम में से किसी को भी से विश्वास नहीं हुआ ।उन्होंने कहा ” बेटा मनीष पिछले महीने एक रोड एक्सीडेंट में मारा गया

,तुमने शायद न्यूज़ ध्यान से नहीं सुनी, पेपर में भी आया था .बस का एक्सीडेंट हुआ था जिसमें लगभग 14 लोग मारे गए थे. यही पहाड़ी के मोड़ पर हुआ था .हम सब मनीष के घर गए थे .उसके मां-बाप बहुत परेशान थे.

बहुत दुखी .बहुत रो रहे थे .तुम्हें इसलिए नहीं बताया कि तुम 1 हफ्ते के बाद शिमला आने वाले थे ,खामखा परेशान हो जाते,अभी मनीष की तस्वीर देखी तो वह हादसा जैसे आंखों के सामने आ गया ।”मैं हक्का-बक्का बैठा उनकी बातें सुन रहा था।पापा यह क्या कह रहे थे ?

मुझे विश्वास नहीं हो रहा था. अभी शाम को ही तो मुझे सड़क के मोड़ पर वह कितनी चाहत भरी निगाहों से मुझे देख रहा था …वह मुझे याद कर रहा है …किसी परेशानी में है .एक दोस्त होने के नाते में जरूर उससे मिलने जाऊंगा ।तभी मम्मी जैसे बिल्कुल चीख उठी” नहीं तू मिलने बिल्कुल नहीं जाएगा ।

तुझे मेरी कसम तुझे रिया की कसम, तुझे अपने होने वाले….नहीं मम्मी मुझे मत रोको अगर मैं उसे नहीं मिल पाया तो शायद मैं कभी अपने आप को माफ नहीं कर पाऊंगा । मनीष किसी परेशानी में है, तभी तो वह मुझे शाम को मिला था।



नहीं बेटा मेरी बात मानो तुम प्लीज उससे मिलने मत जाओ।  उसकी मौत आकस्मिक हुई है और तुम्हारे यहां अभी खुशी आने वाली है ।ऐसे समय में ऐसी जगह पर नहीं जाते । इसीलिए मैंने और पापा ने तुझे यह बात नहीं बताई थी।मैं नहीं मानता यह अंधविश्वास !मनीष मेरा दोस्त था! वह मुझे अगर बुला रहा है तो मैं उसके घर अवश्य जाऊंगा । यह कहकर मैं चाय पीते  वहां से चला गया। उसी शाम को मैं टहलता हुआ मनीष के घर तक गया ।जो घर एक समय में हंसता बोलता गुलजार रहता था ,

बगिया फूलो से लगी रहती थी, घर के बाहर तेज लाइट जलती थी और उनकी गाड़ी हमेशा चमकती रहती थी ऐसा कुछ भी नहीं था। घर के बाहर अंधेरा था,बगिया मुरझा गई थी गाड़ी धूल से भरी खड़ी थी ।मैंने घंटी बजाई ,आंटी ने दरवाजा खोला ।उन्हें देखकर ऐसा लगा जैसे उनकी उम्र अचानक से दस बीस  साल बढ़ गई हो ।मैं फपक कर  रोने लगा और उनके गले लग गया। तभी अंकल के अंदर से आवाज आई “कौन आया है विमला “आंटी  बोली “अपने मनीष का दोस्त आया है बंटी, कितना बड़ा हो गया है तू !क्यों नहीं आया मिलने इतने साल हो गए! मनीष तुझे कितना याद करता था!”अंकल आंटी की हालत ठीक नहीं थी .अंकल बिस्तर पर थे । 

मैंने उनसे कहा कि वह किस डॉक्टर को दिखा रहे हैं तो मालूम पड़ा पास ही दवा खाने से दवाई ला रहे हैं ।मैंने उनसे कहा कि वह अगले ही दिन मेरे साथ दिल्ली चलेंगे। मनीष नहीं है तो क्या हुआ उनका दूसरा बेटा बंटी अभी जिंदा है !और वह उनका बिल्कुल मनीष जैसा ही ख्याल रखेगा .

अगले दिन एयरपोर्ट पर मैं अंकल आंटी और रिया के साथ था ।पापा मम्मी मुझे छोड़ने आए थे ।मैंने मम्मी की आंखों में आंसू और पापा के आंखों में अपने लिए गर्व देखा। उन्हें मेरे ऊपर गर्व था कि उन्होंने  मुझ जैसे बच्चे को जन्म दिया जो अपने दोस्त के मां-बाप को भी अपने मां-बाप जैसा ही मान देता है  । तभी मुझे ऐसा लगा कि ठंडी हवा का झोका मुझे छू कर निकल गया !मैंने पीछे मुड़ के देखा !

मुझे ऐसा लगा कि वहा  मनीष खड़ा है और वह हाथ जोड़कर मुझे ना जाने किस चीज का धन्यवाद दे रहा है !मैंने उसे आवाज देनी चाहिए लेकिन तब तक वहां कोई नहीं था! मैंने अंकल का हाथ पकड़ा और उन्हें अपने साथ दिल्ली लेकर गया। वहां उनका इलाज हुआ ।दो-तीन महीने में वो स्वस्थ हो गए और चलने लगे फिर उन्होंने 1 दिन वापस जाने के लिए मुझसे कहा।जाते समय उनकी आंखों में आंसू थे ।आंटी बार बार गले लग के रोने लगती थी।जाते वक्त सिर्फ एक बात कही “बेटा एक बार हमें पापा मम्मी कह कर बुला तो कान तरस गए हैं सुनने के लिए “पापा मम्मा आपका मनीष यही है जब भी आवाज देंगे मिलने आ जाऊंगा।

 

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