रॉंग नंबर – आभा सोनी

देवर जी की कल ही शादी हुई थी। सभी घर के लोग और मेहमान, लड़की वाले के यहाँ से अभी तक लौटे नहीं थे।

मै और मेरी सासु माँ ही सिर्फ घर पे थी।

दोपहर मे मोबाइल की रिंग टोन बजी, मैंने नंबर देखा, 3-4 दिनों से इस नंबर से कौल् आ रहा था, फोन उठाने पे हमेशा एक बात ही कहता – ” सन्नी पाजी से बात करवाईये ।”

मै हर बार कह रही थी -“आपका गलत जगह फोन लग गया है। ” लेकिन फिर भी बार बार फोन किये जा रहा था। मै समझ गयी ये बदमाशी कर रहा है इसका इलाज तो करना ही होगा।

बस ये सही मौका था,मैंने फोन उठाया।उधर से फिर आवाज़ आई-“ओए भाभी जी सन्नी पाजी से बात करवाइये।”

मै शुरू हो गयी -” अरे बेटा सुखविंदर, बड़े दिनों के बाद फोन किया तूने, तेरी यादाश्त तो ठीक है? अपनी दादी को भाभी कह रहा है?

दादा जी तुझे बुला रहे है, वही उपर। बहुत दिनों से सपने मे आ रहे है कह रहे है -” सुखविंदर का फोन आयेगा। उसके उपर आने का समय हो गया है । तुझे जब बार बार फोन करे तो समझ जाना, और उसके उपर आने की व्यवस्था कर देना।   सुखविंदर के बिना मन नहीं लगता है।”

और हाँ सन्नी से भी मिलना है उन्हे। तु चला जा मिलने, मैंने

सब सोच लिया है, मेरी बात हो गयी है  उपर पहुँचवाने वाले व्यक्ति से। तु शाम  मे फोन कर । सन्नी को साथ रखना, समझे बेटे।

 और हाँ,”शाम से पहले किसी को फोन मत करना नहीं तो तुम किसी और के दादा के पास पहुँच जायेगा।”

“फिर तब दादाजी मेरे उपर गुस्सा करेंगे समझ गए ना?”

“तु बोल ना, कुछ बोल क्यूँ नहीं रहा है? “

उसके बाद उधर से आवाज़ आई-” मुझे लगता है गलत जगह फोन लग गया है मेरा। मुझे माफ कीजियेगा।”

मैंने राहत की सांस ली। भारी आवाज़ बनाने के चक्कर मे मेरा गला खराब लग रहा था। मैंने एक ग्लास पानी पिया और फिर अपने आपको शाबाशी दी।

आपबीती

स्वरचित

आभा सोनी

कोलकाता

 

 

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