वो मुलाक़ात मेरे लिए आख़री थी (भाग -7 )- अनु माथुर  : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi  : अब तक आपने पढ़ा

आनंद मुंबई आ गया….उसकी मुलाक़त श्रेया से शेखर के घर पर हुयी …. आरती भी श्रेया की ज़िद पर मुंबई आ गयी थी

अब आगे …

Airport पर श्रेया आरती के आने का  इंतज़ार कर रही थी… आरती आयी तो उसने उसे miss you कहते हुए गले से लगा लिया….आरती ने भी उसे कस के बाहों में भर लिया

चलें… बुआ

हाँ बस एक मिनट मैं भाभी को बता देती हूँ कि मैं पहुँच गयी……ये कह कर उसने रेखा को फोन करके बता दिया |

श्रेया ने cab बुक की और आरती को साथ लेकर अपने फ्लैट पर आ गयी…. उसने दरवाज़ा खोला और कहा welcome बुआ

आरती से उसके गाल पर प्यार से हाथ रखा thank you कहा और अंदर आ गयी

आरती ने फ्लैट को देखते हुए कहा हम्म …..फ्लैट तो बहुत अच्छा है तुम्हारा..

Pg भी अच्छा था बुआ…. लेकिन अब किसी और के साथ रहना थोड़ा मुश्किल हो गया था कॉलेज जाना ज़्यादा होता नहीं ही और अब अलग रहना सही लगा

समझदार हो गई है हमारी गुडिया रानी

श्रेया बोली – ये बात आप मम्मी को बताना वरना उन्हें तो अभी भी मैं ना समझ ही लगती हूँ |

अच्छा बुआ आप फ्रेश हो जाइए… तब तक मैं नाश्ता लगती हूँ.. आप मेरी काचौरी  तो लायीं है ना?

हाँ …कह कर आरती ने उसे कचौरियों के साथ और भी खाने का सामान निकाल कर दे दिया..

तभी श्रेया का फोन बजा..

अदिति का फोन था…

हाँ अदिति बोल

आ गयी बुआ को लेकर…

हाँ आ गयी

अच्छा ले मम्मी से बात कर

उधर से मधु ने कहा – श्रेया

हाँ aunty नमस्ते

नमस्ते बेटा… आ गयी तुम्हारी बुआ

जी aunty…

अच्छा अभी थोड़ा रेस्ट करने दो उनको… फिर आओ शाम को dinner करते है साथ में |

ठीक है aunty मैं बुआ से पूछ कर बताती हूँ आपको |

ठीक है बेटा कह कर उन्होंने फोन रख दिया |

आरती फ्रेश होकर आयी तो श्रेया ने नाश्ता लगते हुए पूछा – बुआ अदिति का call आया था उसकी मम्मी ने बुलाया है dinner पर आज शाम को …. आप चलेंगी ?

आज रहने देते है श्रेया…. मैं थोड़ा थक गयी हूँ .. शायद बहुत दिनों बाद travel किया है इसलिए …

दिनों बाद नहीं बुआ सालों बाद… ठीक है मैं बोल देती हूँ अदिति को… कल मुझे कॉलेज में काम है तो मैं पारसों के लिए बोल देती हूँ |

ठीक है… आरती ने कहा और नाश्ता करने लगी |

श्रेया ने अदिति को फोन करके बता दिया था कि वो पारसों आयेगी अपनी बुआ को लेकर |

बुआ आप rest करें मुझे थोड़ा काम है तो मैं वो कर लेती हूँ

ठीक है…. कह कर आरती चली दूसरे कमरे में चली गयी |

आरती की आँख खुली तो उसने देखा शाम हो गयी थी .. वो बाहर आयी तो देखा श्रेया किचन में कुछ बना रही थी ….

श्रेया ने उसे देखा तो बोली… आप उठ गयी बुआ…. Lunch तो skip हो गया मैं भी busy हो गयी थी अभी मैंने पोहा बनाया है… आए आप Dinner बना लेंगे थोड़ी देर में

आरती ने ठीक है कहा

थकान की वजह से शायद मैं कुछ ज़्यादा  सो गयी |

रात को दोनों ने मिलकर dinner बनाया

सब काम निबटा करके दोनों रूम में आ गयी |

श्रेया ने कहा – आज मुझे बहुत अच्छा लग रहा है अकेले नहीं सोना पड़ेगा… कह कर वो आरती की गोदी में जा कर  लेट  गयी…

आरती मुस्कुरा कर उसके सिर को सहलाने लगी |

और बताओ…. तुम्हारे शशांक जी कैसे हैं?

ठीक हैं बुआ

अभी तक दिल की बात बोली नही तुमने ?

मैं क्या बोलूँ बुआ… मुझे क्या पता वो मुझे पसंद भी करते है या नहीं |

और तुम …..

मैं तो उन्हें पसंद करती हूँ… लेकिन मेरे पसंद करने से क्या होता है …. क्या पता उन्हें कोई और पसंद हो |

प्यार इंसान की आँखों में झलकता है… उसका तुम्हारे लिए परवाह करने में झलकता है… जब भी तुम्हें ज़रूरत हो और वो तुम्हारे पास हो… उसमे झलकता है…

उसका साथ तुम्हें सुकून दे… उससे बात करना अच्छा लगता हो बस यही प्यार है…. और अगर ऐसा है तो फिर शशांक तुमको पसंद करता है |

इस पर श्रेया ने उसके गले में दी हुयी चेन को छूते हुए कहा – हर किसी के नसीब में प्यार कहाँ होता है बुआ ….कितने लोग तो मिल कर भी बिछड़ जाते है .. मेरे नसीब में क्या लिखा है ये क्या पता |

चलें बुआ नींद आ रहीं है… सो जाए आप भी

हम्म ..

कह कर आरती उसके बगल में लेट गयी |

एक दिन बाद श्रेया और आरती दोनों अदिति के घर जाने के लिए रेडी हो गए थे

आरती ने श्रेया से कहा – पहली बार जा रही हूँ मैं तो कुछ ले लेते है उनके घर के लिए

श्रेया आरती को शॉप पर ले गयी  आरती ने कुछ dry fruits ,snacks और  chocolates खरीदे उन्हें pack करवा लिया . श्रेया के साथ वो अदिति के घर के लिए चल दी |

श्रेया ने अदिति के घर की डोर बेल बजायी तो अदिति ने ही दरवाज़ा खोला और आरती से कहा

नमस्ते aunty … मैं आपसे मिलने नही आ पायी इसके लिए sorry..

नमस्ते… और कोई बात नहीं

सब बातें वहीं कर लोगी… अंदर तो आने दो उनको मधु ने पीछे से कहा

आइये …आप ये तो सारी बातें यहीं कर लेगी आपसे

नमस्ते आरती ने मधु से कहा

पापा ये श्रेया की बुआ…

हाँ हमें पता है

आरती ने उन्हें भी हाथ जोड़ कर नमस्ते कहा

और कैसा रहा सफर आपका?

ठीक था… मैं बहुत दिनों बाद निकली इसलिए थोड़ा सा tired हो गयी थी

श्रेया वो देना ज़रा… श्रेया ने गिफ्ट पैक आरती को दिया

आरती ने पैक मधु को दिया

इसकी क्या ज़रूरत थी ….कहते हुए उन्होंने श्रेया की तरफ देखा

Aunty मैं नही बुआ लाई हैं ये तो …

तभी शशांक अपने रूम से निकल कर आया तो मधु ने कहा अदिति से तो आप मिल ही ली है ….ये शशांक है अदिति का बड़ा भाई और हमारे सुपुत्र

शशांक ने आरती के पैर छुए और  पीछे हट गया |

जीते रहो ….आरती ने कहा और श्रेया की तरफ देखा तो श्रेया मुस्कुरा कर अपने इधर – उधर देखने लगी |

मेड चाय नाश्ता रख कर चली गयी… सबने चाय पी और बातें करने लगे

थोड़ी देर बाद मधु ने ने अदिति से कहा -अदिति चाचा को फोन करो कितनी देर में आ रहे है… Dinner लगाते हैं फिर

अच्छा कह कर अदिति ने आनंद को फोन किया – हैलो चाचा आप कितनी देर में आ रहे है…मम्मी dinner के लिए पूछ रही है

उधर से आनंद ने कहा – मैं on the way हूँ … तुम सब शुरू करो मैं आ ही जाऊँगा |

अदिति ने मधु को बता दिया जो आनंद ने कहा

चलो फिर dinner करते है अदिति लगवाओ ज़रा dinner

अदिति ने सिर हिलाया… श्रेया भी उसकी मदद करने के लिए किचन में चली गयी |

सबने खाना खा लिया.. लेकिन आनंद आया नहीं…

श्रेया ने आरती से कहा चले बुआ मुझे कुछ  काम है ..

हाँ कह कर आरती उठ गयी…

सब आरती और श्रेया को छोड़ने बाहर तक आए |

आरती ने सबसे हाथ जोड़ कर नमस्ते की और cab में बैठ गयी |

जैसे ही आरती cab में बैठी दूसरी तरफ से आनंद की cab आ कर रुकी.. और वो बाहर आया… उसने सबको बाहर देखा तो पूछा… सब बाहर हैं.. क्या हुआ ?

अदिति ने कहा अरे चाचा आप लेट हो गए….. बस अभी श्रेया और उसकी बुआ गयी है ….वो देखिये

आनंद ने उस तरफ देखा और बोला… हाँ वो मैं लेट हो गया थोड़ा traffic था..

उसने अदिति के कंधे पर हाथ रखा और बोला.. जिसको जिससे मिलना था वो तो मिल लिया ना और शशांक को देख कर आँख मार दी… शशांक के चेहरे पर हल्की सी हँसी आ गयी | सब अंदर चले गए |

दो दिन बाद

सब लोग बैठ कर नाश्ता कर रहे थे.. आनंद ने अदिति से कहा आज मुझे तुम्हारे कॉलेज जाना है… तुम चल रही हो क्या?

नहीं चाचा मुझे एक case की study करनी है तो मैं आज नहीं जा रही हूँ |

Ok…

चाचा मैं आपको कॉलेज तक छोड़ देता हूँ… शशांक ने कहा

ठीक है आनंद ने कहा… और हम लोग घूमने चलने वाले थे उस plan का क्या हुआ?

मेरी एक meeting है शेखर जी ने कहा तो तुम लोग जाओ मैं नही जा पाऊँगा..

आप नहीं जायेंगे तो मम्मी भी नहीं जायेगी फिर क्या फायदा… Plan तो साथ घूमने का था अदिति ने कहा

तो फिर next weekend पर चलते हैं

Next weekend कोई कहीं नहीं जायेगा saturday को मैंने पूजा रखी हैं … सब लोग अपने काम friday तक पूरे कर लें…

कोई भी meeting या कोई भी office से related work उस दिन कोई नही करेगा  मधु ने कहा

अदिति तुम श्रेया को भी बता देना वो भी फ्री रहे उस दिन

ठीक है मम्मी….

चलो अब bye शशांक और आनंद दोनों साथ में चले गए |

उधर श्रेया ने आरती से कहा – चलिए बुआ आज मैं फ्री हूँ तो mall चलते है शाम तक वापस आ जायेंगे |

ठीक है आरती ने कहा और रेडी होने चली गयी…

आरती रेडी हो कर आयी तो श्रेया ने कहा बुआ मुझे 10 mnt के लिए कॉलेज में काम है.. कुछ पेपर देने है… फिर वही से चलेंगे |

कॉलेज के अंदर पहुँच कर श्रेया ने कहा

बस आप 10 mnt रुकें बुआ मैं अभी आयी यहाँ से id लगता है जाने के लिए.. तो आप ऐसे अंदर जा नहीं सकती

आरती वहीं रुक गयी… श्रेया सीढ़ियों से चढ़ती हुयी उपर की तरफ जाने लगी

आरती बहुत दिनों बाद कॉलेज आयी थी उसे अपना कॉलेज याद आ गया….. वो आते – जाते students को देख रही थी..

आनंद भी इसी कॉलेज में  आया था उसका लेक्चर खत्म हो गया था… वो बाहर की तरफ अपना मोबाइल देखते हुए सीढ़ियों की तरफ आ रहा था… उसने एक सीढ़ी पर पैर रखा ही था कि पीछे से किसी ने उसे पुकारा – सर

आरती ने ऊपर की तरफ देखा तभी आनंद  पीछे की तरफ घूमा और उस से बात करने लगा जिसने उसे आवाज़ दी थी |

आरती को श्रेया  सीढ़ियों से उतरती हुयी दिखायी दी वो उसके पास आयी और बोली   हो गया मेरा काम… चले बुआ

आरती गेट के पास पहुँच गयी थी …..आनंद बात करके सीढ़ियों की तरफ आया …कुछ तो उसे महसूस हुआ .. उसने सामने देखा… और सीढ़ियों से उतरने लगा |

श्रेया ने cab बुक कर दी थी… वो दोनों उसमें बैठ कर  चली गयी |

छठे भाग का लिंक

वो मुलाक़ात मेरे लिए आख़री थी (भाग -6 )- अनु माथुर  : Moral stories in hindi

आशा करती हूँ ये भाग आपको पसंद आया होगा..अगले भाग के साथ फिर मिलूँगी |

भाग अंतिम का लिंक 

वो मुलाक़ात मेरे लिए आख़री थी (अंतिम भाग )- अनु माथुर  : Moral stories in hindi

धन्यवाद

स्वरचित

कल्पनिक कहानी

अनु माथुर

 

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