Moral stories in hindi :
मैं आरती सक्सैना इंटर कॉलेज की वाइस प्रिंसिपल
बहुत गंभीर ,शायद सब डरते थे ग़लती मेरी नही थी, ओहदा ही ऐसा था तब वो हमारे कॉलेज में असिस्टेन्ट टीचर की जॉब के लिए आया था बहुत ख़ुश मिजाज़ बक-बक मशीन जहाँ पहुँच जाए बस हंगामा हो जाए।
बहुत दिनों तक मैं उसे नज़र अंदाज़ नहीं कर सकी
शरारतें उसकी होठों पर मुस्कान ले ही आती थी
पूरा कॉलेज जैसे उसको जानने लगे था । नाम आनंद था उसका और वो सच मे सबको आनंदित कर देता था ।
पता नही कब लेकिन वो मुझे कुछ तो अच्छा लगने लगा था । अक़्सर वो सब टीचर्स के साथ मुझे कैंपस में घूमता हुआ या किसी से बात करता हुआ खिड़की से दिख जाता था ।
कभी नज़र मिलती तो वो सिर को झुका देता और मैं भी ।
औपचारिक बातचीत या कॉलेज को लेकर बातचीत बस उसके अलावा कभी कोई बात नही हुई उस से । मैं चाहती भी नही थी,
लेकिन मेरे चाहने से सब होता तो क्या बात होती ।
कॉलेज के कामों में व्यस्त एक दिन मैं बहुत लेट हो गई घर जाने में । समय काफ़ी हो गया था , मैं जल्दी – जल्दी अपना समान समेट कर निकली तो सीढ़ी से उतरते वक़्त मेरा पैर मुड़ गया । मैंने खड़े होने की कोशिश की लेकिन नही हो पा रही थी।मैंने वॉचमन को आवाज़ दी । वो आया तो उसने मुझसे पूछा और मैंने बताया कि मुझसे उठा नही जा रहा शायद मोच आ गई है एक ऑटो लेकर आओ । उसने मुझसे बोला कि आप यही रुकिए मैं आनंद सर को बुला कर लेता हूँ । कॉलेज से मैं अभी नहीं पाऊँगा आपके साथ। मैंने उसे रोकना चाहा लेकिन दर्द ने मुझे बोलने नहीं दिया ।
वॉचमैन आनंद को लेकर आ गया ।
आनंद ने मुझे सहारा दिया लेकिन मैं फिर भी उठ नहीं पा रही थी । उसने वॉचमैन को बोलकर ऑटो मंगवाया और मुझे अपनी गोदी में उठाकर ऑटो में बैठा दिया । वॉचमैन हैरानी से कभी मुझे और कभी आनंद को देखने लगा । आनंद ने मुस्कुराकर उससे कहा मैं इनको लेकर हॉस्पिटल जा रहा हूँ तुम ऑफिस बंद कर देना । वॉचमैन ने अपनी गर्दन को हिला कर हाँमी भरी और आनंद ने ऑटो वाले को चलने को कहा ।
हिस्पिटल पहुँच कर उसने मुझे फिर से गोदी में उठाया और अंदर ले गया । डॉक्टर के पास पहुँच कर उसने मुझे उनसे देखने को कहा और डॉक्टर ने मुझे देखा तो बताया कि हेयर लाइन फ्रैक्चर हुआ है । करीब डेढ़ महीने का प्लास्टर रहेगा ।
आनंद ने सब हॉस्पिटल के बिल भरे डॉक्टर से परहेज़ पूछा और प्लास्टर लगवा कर घर ले कर आ गया । मैं अकेली ही रहती थी , अम्मा थी बस जो घर की और मेरी देखभाल करती थी । । अम्मा ने दरवाज़ा खोला और उन्होंने मुझे ऐसे देखा तो घबरा गई क्या हुआ बिटिया उन्होंने पूछा ?
आनंद ने उन्हें सब बताया और पूछा कि इनका कमरा कहाँ है?
अम्मा ने इशारे से बताया और आनंद के पीछे पीछे वो भी कमरे में आ गयी | आनंद ने आराम मुझे बेड पर बिठाया और दूर हो गया….अम्मा एक गिलास पानी ले आए दवा देनी है इनको और साथ में कुछ खाने को भी बना दें | इनको आराम करना होगा दर्द भी हो रहा होगा दवा से आराम मिलेगा |
अच्छा..कह कर अम्मा पानी ले आयी और बोली – खाना बस बन ही गया है |
आप भी खा कर जाओ |
वैसे नाम क्या है आपका ? अम्मा ने पूछा
आनंद – उसने मुस्कुरा कर कहा
आप बैठो यहीं हम यहीं लगा देते है खाना भी |
अब आप इतने प्यार से कह रही हैं तो ठीक है वैसे भूख तो मुझे भी लगी है |
ठीक है आप बैठो हम अभी आते है |
आनंद खाना खा कर और अम्मा को डॉक्टर ने जो बताया वो बता कर चला गया |
मेरा दर्द कम हुआ तो मुझे भी नींद आ गई |
अगली सुबह मै तैयार हो कर नाश्ता कर रही थी तभी डोरबेल बजी | अम्मा ने दरवाज़ा खोला तो मुझे आनंद की आवाज़ सुनाई दी ।मैं हैरान थी कि ये सुबह – सुबह यहाँ ?
अम्मा से वो हँस कर बात कर रहा था और अम्मा भी उसकी बातों का जवाब बड़े प्यार से दे रही थी ।
गुड़ मॉर्निंग – आनंद के कहने पर मैं अपनी दुनियां से बाहर
आई ।
मैंने मुस्कुरा कर कहा – गुड़ मॉर्निंग आनंद आप यहाँ सुबह- सुबह कैसे ? कोई काम था क्या ?
उसने कुर्सी खींचते हुए कहा – हम्म मैं अम्मा के हाथ से बना नाश्ता सूंघते हुए आ गया और ज़ोर से हँसने लगा । मेरे चेहरे पे कोई भाव न देखते हुए वो आगे बोला – अरे …. मैं आपकी तबियत पूछने और आपको कॉलेज ले जाने आया हूँ। मैं हैरानी से उसकी तरफ देख रही थी । मैंने बोला मैं ठीक हूँ और मैं खुद जा सकती हूँ कॉलेज |
तभी अम्मा बोल पड़ी – आनंद बाबू “ई देखो अभी सारा काम इनका हमने कर के दिया है । और ये कह रही है हम चले जायेंगे कॉलेज । अरे एक दिन की छुट्टी ले लो लेकिन नही ये तो सुनती ही नही है ना किसी की । अच्छा किया जो आप आ गए वरना हमको तो डर ही लग रहा था कि कैसे जाएंगी ये ।
अम्मा मैं ठीक हूँ – मैंने बोला
ये सुनकर आनंद बोला – अम्मा आप बिल्कुल भी फ़िक्र ना करे मैं रहूँगा ना इनके साथ पूरे दिन और घर से ले जाने और घर वापस लेने की ज़िम्मेदारी मेरी ।
ये हो क्या रहा है मैं दोनों की तरफ देख रही थी । तभी आनंद ने मेरी तरफ देख कर पूछा – नाश्ता कर लिया हो आपने तो चले हम ,, अम्मा इनकी दवाई तो ले आना ।
अम्मा दावा के साथ -साथ मेरी गाड़ी की चाबी देते हुए आनंद से बोली – ई लियो साथ ही रहना बिटिया के । आनंद ने मुस्कुरा कर हाँ में सिर हिलाया ।
आनंद ने अपना हाथ मेरी तरफ बढ़ाया मैंने सांस भरी और अपना हाथ उसकी तरफ बढ़ा दिया । गाड़ी में बैठ कर हम दोनों कॉलेज की तरफ निकल पड़े । रास्ते मे मैंने कोई बात नही की ना ही आनंद ने ।
स्कूल पहुँची तो सारा स्टॉफ बाहर ही खड़ा था । आनंद ने सहारा देकर मुझे गाड़ी ने नीचे उतारा । और मेरा हाथ नही छोड़ा । सब लोग मेरा हाल पूछने आए । मैंने बताया डेढ़ महीने का प्लास्टर है तो सब थोड़ा परेशान हो गए और अपनी तरफ से राय देने लगे । मैं मुस्कुराकर सभी बात सुन रही थी । तभी बैल रिंग हुई और सब अपने अपने क्लास जब लगे । आनंद की भी क्लास थी उसने peon को बुलाकर बोला मैडम को कोई भी परेशानी हो तो मुझे बुला लेना । peon ने सिर हिला कर हाँ बोला ।
आनंद के जाने के बाद मैं सोच में पड़ गई कि ये क्या हुआ है ? पर मुझे देख रहा था । मेरे गंभीर मिजाज़ की वजह से वो भी हैरान था कि आनंद ये क्या कह कर चले गए ।
सारा दिन काम मे बीत गया आनंद समय पर मुझे दवा खिलाने और फ्री होने और मेरी तबीयत पूछने आया । 4 बजे जब मेरा कॉलेज से निकलने का टाइम हुआ तो वो मुस्कुराता हुआ आया और मुझे उसके साथ ही घर तक ले गया ।
अब ये रोज़ का हो गया आनंद सुबह आता और शाम को मुझे घर पहुँचा कर ही आने घर जाता । अम्मा से उसकी अच्छी बनने लगी थी | वो आता तो अम्मा खाने के लिए रोक ही लेती थी |
आशा करती हूँ कहानी का ये भाग आपको पसंद आया होगा
अगला भाग
वो मुलाक़ात मेरे लिए आख़री थी (भाग – 2 )- अनु माथुर : Moral stories in hindi
धन्यवाद
स्वरचित
अनु माथुर