वो खौफनाक रात  ( डरावनी कहानी) – पूजा मनोज अग्रवाल

पिछले हफ्ते के दार्जिलिंग ट्रिप की वजह से मिताली को ऑफिस में ओवरटाइम करना था । काम की अधिकता से आज फिर वह ऑफिस से घर निकलने के लिए लेट हो गई थी । उसने जल्दी से अपना काम निपटा कर अपना बैग उठाया और छाता लेकर बाहर की तरफ आ गई ।

मौसम विभाग की जानकारी बिल्कुल दुरूस्त थी , घनघोर घटा छाई हुई थी , कुछ ही देर में बारिश शुरु होने वाली थी । मिताली टैक्सी मे बैठ कर घर के लिए रवाना हो गई। रास्ते में बैठे-बैठे वह सोच रही थी जाने क्यों बारिश आते ही उसे घबराहट सी होने लगती है । पिछ्ले दिन मे ऐसा क्या हुआ की उसके तन पर बारिश की बूंदे पढ़ते ही उसे कुछ अजीब सा एहसास होने लगता था ।

कुछ दिन पहले यश और मिताली सिक्किम घूमने के लिए गए थे । पूरा दिन वहाँ मिताली और यश ने बच्चों के साथ बहुत मौज मस्ती की । शाम पांच बजे टैक्सी से उन्हें वापस कालिमपोंग होटल आना था । आज मौसम कुछ  बिगड़ा- बिगड़ा सा हो गया  ,  तेज हवाएं चलने लगी 

, और शाम तक बादल तेज गर्जना करते हुए झमाझम बरसने लगे । एकाएक बदलते मौसम को देख मिताली और यश ने वहां से जल्दी ही निकलने का फैसला किया, परंतु बारिश तो बहुत तेज हो चुकी थी । 

देर शाम तक भी बारिश बंद ना हुई तो ड्राइवर ने मिताली और यश से कहा , ” देखो रास्ते में घना डरावना जंगल है , वहाँ से सात बजे के बाद कोई नही निकलता है , वैसे मैं आपको बिल्कुल भी डराना नहीं चाहता  । परंतु  मैंने कई लोगों से सुना है वहाँ  घने जंगल के बीचों बीच एक आत्मा भटकती रहती हैं ।

और आप लोगों के साथ तो छोटे-छोटे बच्चे भी हैं , इसलिए आज निकलना ठीक नहीं रहेगा । आज रात आप यही रुक जाईये ,,, कल सुबह हम यहां से कालिमपोंग के लिये रवाना हो जाएंगे “।

पर मिताली और यश ने ड्राइवर की बात को गम्भीरता से नही लिया और फैसला किया कि वे आज ही कालिमपोंग के लिए निकलेंगे । बेचारा ड्राइवर क्या करता , टूरिस्ट की बात तो अनसुना भी ना कर सकता था ।  देर शाम तक बादल छटे तो बारिश भी कुछ हल्की हो गई , मौसम का बदला मिजाज देखकर वे फटाफट अपने गन्तव्य के लिए निकल गये ।

मदमस्त सुहावना मौसम देखकर बच्चों ने टैक्सी के  शीशे खोल लिये । तेज हवाओं के साथ माटी की सोंधी खुशबू  गाड़ी मे प्रवेश कर रही थी , सुहावना मौसम यश मिताली के सफर में चार चांद लगा रहा था ।  मिताली की उड़ती जुल्फों को देखकर यश को अपना हनीमून ट्रिप याद आ गया । तभी अचानक बिजली चमकने लगी , घनघोर काले बादलों की भयंकर गर्जना से दोनों बच्चे डर गए ।

कुछ ही पलों मे आसमान मे घना अंधेरा छा गया ,,, खराब मौसम , घुमावदार पतली सड़कें , गहरी खाईयाँ और घना जंगल सब कुछ बेहद डरावना प्रतीत हो रहा था । तेज बारिश की वजह से गाड़ी के शीशे से बाहर का दृश्य ठीक से दिखाई भी ना पड़ रहा था । अब तो मिताली व यश को अपने फैसले पर अफसोस हो रहा था । बच्चे डरे – सहमे अपनी माँ से चिपके हुए थे।



ड्राइवर यश से बोला ,” इस रास्ते में कई लोगों ने कुछ आत्माओं को भटकते देखा है ,वह आते जाते लोगों को परेशान करती है ,,कई बार तो यह आत्मा रूप बदल कर लोगो से लिफ्ट ले लेती है ,,,और उनके साथ गाड़ी मे बैठ जाती है,,फ़िर कुछ ही समय मे उनकी गाड़ी या तो खाई में गिर जाती है या फ़िर उस गाड़ी का ऐक्सीडेंट हो जाता है , । “

 ड्राइवर की बातें सुनकर मिताली का हृदय बैठा जा रहा था और चिंता बढ़ती जा रही थी । कुछ समय बाद उन्हें रास्ते मे एक खूबसूरत सी लडकी बारिश में भीगती दिखी , उस लडकी ने उनसे लिफ्ट मांगी ,,, यश को उस पर तरस आया और उसने ड्राइवर से गाड़ी रोकने को कहा । परंतु ड्राइवर ने गाड़ी रोकने से मना किया ,,, पर यश नहीं माना वह बोला ” इतनी बारिश में किसी को रास्ते में छोड़कर जाना ठीक नहीं है  ” ।

ड्राइवर ने गाड़ी रोक दी और वह लड़की गाड़ी में बैठ गई , उसने यश और मिताली का धन्यवाद किया सिर्फ दस ही मिनट की दूरी तय की थी कि वह लडकी बोली ,” मेरा घर आ गया है ” गाड़ी ठीक श्मशान घाट के सामने खड़ी थी , यह देख कर मिताली बहुत घबरा गई ,,,यश ने पूछा ,” आपका घर कहां है,,,?  परंतु वह कुछ ना बोली और गाड़ी से उतरकर कुछ ही पलो मे आँखों के सामने से ओझल हो गई ।

मिताली और यश का बुरा हाल था,,  । बरसात की काली रात मे गरजते बादल और चमचमाती बिजली से दोनो के ह्रदय में भय के भाव सक्रिय हो गये थे ।इस घटना ने दोनो के होश उड़ा दिए थे , डर के मारे दोनो ने एक दूसरे का हाथ थाम रखा था । मंजिल ज्यों – ज्यों करीब आ रही थी त्यों-त्यों उनकी जान मे जान आ रही थी । घंटे दो घन्टे मे वे कुशलतापूर्वक अपने होटल कालिमपोंग पहुंच चुके थे ,परंतु मिताली को डर से बुखार चढ़ गया था । यश ने होटल पहुंचकर मिताली को खाना खिलाया और बुखार की दवा देकर उसे सुला दिया ।

यश और मिताली वापस अपने घर आ गए वहां आकर सब पहले की तरह सामान्य हो गया यश और मिताली ने दोनों अपने ऑफिस जाने लगे । पर पता नहीं क्यों,,,पिछ्ले कुछ दिन से  मिताली की तबीयत ठीक सी ना थी । एक दिन में  उसने अपना चेहरा आईने में देखा तो उसे कलिम्पोंग वाली लडकी का अक्स दिखाई दिया,,,,वह बहुत घबरा गई  । सारी बातें उसने अपनी मां को बतलाई।  मां उसे लेकर एक सिध्द तांत्रिक बाबा के पास पहुंच गई ।



वे मिताली को देखते ही बोले इसमे किसी और औरत का साया है ,उन्होने  मिताली पर भस्म डाली ,,,,तभी वह लडकी मिताली के अंदर से बोल पड़ी ,” मै मिताली नही ,,,,नूर हूँ,,,,मै यश और मिताली को खत्म कर दूंगी,,,मै यश से बहुत प्यार करती थी,,,,। ” यश को याद कर नूर के चेहरे पर दर्द उभर आया था ,, मै अलग धर्म से थी ,,,इसलिये यश के माता-पिता ने मुझे अपनाने से मना कर दिया और यश की शादी मिताली से करा दी । उस समय मैं गर्भवती थी, यश के माँ बाप मुझे बहला -फुसलाकर कर कालिमपोंग ले आये ,,,भयानक बारिश का वह दिन आस – पास कोई ना था , इसका फायदा उठा कर उन दोनो ने  मुझे एक पहाड़ की चोटी से धक्का दे दिया । तबसे मेरी रूह इधर – उधर भटक रही है ,,,, अब मै इन लोगों को भी जीने नहीं दूंगी । ” चीखते हुए नूर बहुत भयानक दिख रही थी ।

  मिताली की मां नूर के हाथ पैर जोडने लगती है ,,,,नूर इसमें मेरी बेटी की क्या गलती है , इसके दो छोटे-छोटे नादान  बच्चे हैं , वो बेचारे तो बेकसूर हैं ना अगर तुम मिताली की जगह पर होती तो क्या तुम सजा की हक़्दार होती,,, ?

अगर तुम्हे बदला ही लेना है तो तुम मेरे प्राण ले लो पर मेरी बेटी को छोड़ दो,,,कहते हुए मिताली की मां सुबकने लगी थी  ।

इधर मिताली अपने सास -ससुर की असलियत सुनकर दंग रह गई थी वह बोली ,” मां मर जाने दो मुझे,,,मुझे ऐसे लोगों के साथ नहीं रहना जिनके हाथ किसी बेकसूर के खून से रंगे हो ,,ऐसे लोगो का साया भी मेरे बच्चों पर नहीं पड़ना चाहिए ,,,, मिताली की व्यथा देखकर नूर को उस पर तरस आ गया । वह दिल की बुरी नहीं थी , वह बेचारी तो सिर्फ यश और उसके माँ बाप से बदला चाहती थी , ना कि मिताली और उसके बच्चों  से  ,,,अब तक वह शान्त हो चुकी थी , बेकसूर मिताली को वह जिन्दा छोड कर वहाँ से चली जाती है ।

मिताली अपनी मां के साथ वापस लौटते हुए पुलिस को फोन कर देती है,और उन्हें सब कुछ बता देती है । नूर के  बताये हुए घटना स्थल से पुलिस उसका कंकाल बरामद कर लेती है । सभी सबूतों और बयानो के  आधार पर यश के माता पिता को सजा हो जाती है । 

यश हमेशा नूर को धोखेबाज समझता रहा था ।आज उसे अपने ऊपर बहुत गुस्सा आ रहा था की मां पिताजी की झूठी बातों में आकर उसने नूर को कभी ढूंढने की कोशिश भी ना की थी । उसके माता पिता ने उसे यह बताया था की नूर ने किसी और लडके से शादी कर ली है और वह कभी भविष्य मे यश का चेहरा कभी नही देखना चाहती ।

यश नूर के ख्वाबों मे खो गया,,,, वह कितनी भोली और मासूम थी ,,,, तभी बारिश की कुछ बूंदे उसके चेहरे पर पड़ी ,,,,,,यश की आँखें नम थी , उसे सब याद आ रहा था ,,,,नूर कितनी पसंद थी मौसम की यह बारिश,,,,,

#बरसात 

पूजा मनोज अग्रवाल 

स्वरचित मौलिक

 

 

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