वो जादुई आंँगन – कविता झा : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi: राधिका की आँखों से आँसू रुकने का नाम ही नहीं ले रहे थे। जब से उसके पड़ोस में रहने वाली मंजुला दीदी का फोन आया और उन्होंने उसका हाल पूछने के बाद बताया कि, ” तुम्हारे मायके वाला वो घर पिछले महीने बिक गया है जो हमारे घर के पास था, उसमें लगे आम के पेड़ में इस बार बहुत ही आम हुए हैं। मकान तुड़वाने और पेड़ कटवाने की बात नया मकान मालिक कॉन्ट्रैक्टर के कर रहा था। कितनी यादें जुड़ी हैं हमारी भी उस घर और उस पेड़ से। हर सावन में झूला झूलने गली वाले तुम्हारे घर आते थे , कितनी रौनक होती थी।”

“मेरा घर… बिक गया।”

बस इतना  ही तो कह पाई थी राधिका उस समय।

मन्जुला दीदी का फोन रखने के बाद खुद से ही पूछ रही थी ऐसा कैसे हो सकता है कि मुझे पता ही नहीं। वो हैरान थी यह खबर सुनकर, कल ही तो मांँ से करीब एक घंटे फोन पर बात की। उन्होंने तो कुछ नहीं बताया।

हांँ यह जरूर जानती थी राधिका कि पिछले दो साल से मम्मी और भाई अपने नए फ्लैट में रह रहें हैं। 

शादी के बाद दूसरे शहर आ गई, साल दो साल पर कुछ दिनों के लिए जा पाती थी। पर यादें बिल्कुल ताज़ा थी। यह वही घर था जिसका प्लॉट उसकी मांँ ने सिलाई बुनाई से जोड़े अपने पैसों से खरीदा था और पिता ने मकान बनवाया था। उसका पहला जन्मदिन उसी घर में ही तो मना था।

राधिका अपने बचपन को याद कर रही थी, उस आंँगन को याद कर रही थी जहांँ उसके पिता ने आम, अमरूद, अनार, पपीता,सहतूत और ढ़ेर सारे फूल पौधे लगा रखे थे। वो रोज सुबह उठते ही अपने आंँगन में लगे पेड़ों के पास खड़ी हो जाती जिसमें बेमौसम भी फल, टॉफियां, चॉकलेट उगा करते। 

अनार के पेड़ में केला और अमरूद के पेड़ में टॉफियां और अंगूर।

उसके  पापा अपने आंँगन को जादुई आंँगन ही कहते

 थे और  बोलते..

” आंँखें बंद करके जो चाहिए इस पेड़ से तुम्हें वो मन में सोच लो फिर एक पर्ची में लिख कर उस पेड़ के नीचे रख दो जिससे तुम कुछ पाना चाहती हो। “

वो थोड़ा बड़ी हुई तो जान गई की यह जादूगर उसके पिता ही हैं।

राधिका के पिता को उनके ऑफिस की तरफ से ऑफिस कैंपस में ही घर मिल रहा था, पर हर बार उसकी मांँ और वो सब वहांँ जाने से मना कर देते।

राधिका तो बस यही कहती, “चलना है तो चलो पर यह जादू वाला आंँगन और घर लेकर चलो। “

“ऐसा कैसे होगा, घर आंँगन चलता है क्या?” उसके बहन भाई उसे समझाते।

उसका आंँगन धीरे-धीरे छोटा होता गया, सारे पेड़ कटवाने पड़े बस एक वही आम का पेड़ रह गया था। पिता की मौत के बाद उसके भाई ने उस घर के आधे हिस्से को पहले किराए पर लगाया फिर बाद में पूरा मकान ही किराए पर लगाकर वहांँ से दूसरी जगह रहने लगे।

राधिका की मांँ हमेशा उससे फोन पर कहती,” तू चिंता क्यों करती है वो तेरे पापा वाला कमरा तो खाली ही रहता है। तू जब दिल्ली आएगी हमसे मिलने तेरा मन करे तो चली जाना अपना पुराना घर देखने और रहना वहाँ जब तक तेरा मन करे।”

उसने कई बार मांँ और भाई को याद दिलाया कि पापा को कभी पसंद नहीं थी यह बात कि हमारे घर को किराए दारों को सौंपा जाए।

कभी मांँ की बातों से भी यह एहसास नहीं हुआ था कि उसके बचपन वाला वो घर बिक जाएगा।

“मम्मा चलो ना… दादी माँ बुला रहीं हैं।”

उसका छह साल का छोटा बेटा उसे झकझोरते हुए बोला।

“बहुत सारे आम आंँगन में गिरे हैं, आधा पेड़  कट गया … उसे उठाने में मेरी मदद करो और फिर उसका अचार बनाना है दादी मां ने कहा है।”

आंँखों से बहते अपने आंँसुओं को पोंछते हुए राधिका  अपने बेटे को गोदी में उठाने लगी तो बेटा बोला, “तुम रो रही हो मम्मा, किसने डाँटा तुमको।”

“कुछ नहीं मेरे बिट्टू बस लगता है आंँख में कुछ पड़ गया है।”

“ठीक कहा माँ इस आम के पेड़ की छोटी-छोटी कीड़िया ही होंगी। पता है इसलिए ना आधा पेड़ जो बाहर सड़क पर जा रहा था ताऊजी ने कटवा दिया।”

राधिका बेटे के साथ अपने ससुराल के आंँगन में थी और  आम उठाकर बाल्टी में रखते समय भी ध्यान उस पेड़ के कटे हिस्से और अपने मायके के उस आम के पेड़ पर था जिसे  काटा जा रहा होगा और वो घर टूट रहा होगा। 

उसे पड़ोसियों से यह बात पता चली कि उसका अपना घर अब नहीं रहा जो कि शायद कभी उसका अपना था ही नहीं। 

क्या यह घर -आँगन जहाँ वो बीस साल से रह रही है उसका अपना है यह प्रश्न यक्ष की तरह उसके सामने खड़ा था।

 काश बचपन वाला वो जादू वाला आंँगन  जीवनभर उसके साथ रहता यही सोचते हुए वो आकाश की तरफ देख रही थी जहांँ बादलों में उसे अपने जादुगर पिता नजर आ रहे थे जिनके जाने के बाद वो-घर आंगन भी गायब हो गया। उसकी आँखों के आंसुओं को उसका  बेटा अपने मुट्ठी में भर लेता है।

” मम्मा यह डायमंड मुझे दे दो।”

“बहुत कीमती हैं तुम्हारे हर आंसू उसे यूं बर्बाद मत करो ‌” उसका पति रमेश उसे अपनी बाहों के घेरे में कैद कर लेता है।

समाप्त 

कविता झा ‘काव्य’अविका”

#आँसू

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!