वो है की मानते नही –  दीपा माथुर : Short Stories in Hindi

श्याम तेरी बंसी पुकारे राधा नाम लोग करे मीरा को …. मोबाइल की रिंग टोन सुन कौशल्या जी रूम से निकली और बोली ” महक बिटिया किसी का कॉल है बार बार रिंग बीवीबोल रही है रिसीव कर लो ना जाने किसे जरूरी काम हो ” महक आटे के सने हाथ से हॉल में आई और फोन को उठाया पर फोन कट चुका था।

 कौशल्या बोली ” किसका था ?” जी दीदी का अभी हाथ वॉश करके फिर बात करती हु। ठीक है दो बात मुझसे भी करा देना आजकल तो भाभी अजीज हो रही है हमे कोन पूछे?” कौशल्या जी ने मुस्कुरा कर अपनी बात कह दी। दोनो हस पड़ी।

 महक ने सोचा खाना बना कर ही फोन कर लूंगी। वर्ना जल्दी बाजी में बात करनी पड़ेंगी। तभी रवि का फोन आ गया। अरे महक तुमने दीदी का फोन नही उठाया। हा,वो मै उठा ही रही बट कट गया फिर मैंने सोचा काम कर के ही फोन कर लूंगी।” 

रवि चिल्लाने लगा ” हा,अभी मायके से फोन आ जाता तो खाना गया भाड़ में।” क्यों?,” नही नही ऐसी बात नहीं है आप चाहे तो मम्मी जी से पूछ लेवे। फोन कट गया। महक ने तुरंत ननद को फोन लगाया और देरी के लिए सॉरी बोला।

 हां, हा सफाई देने की जरूरत नही है मैं तो तुमसे सम्मान से बात करती हु और तुम हो की सर पर चढ़ बैठी। महक को अच्छा नहीं लगा। पर मुंह से कुछ नही बोली उसे पता था। लफ्ज़ आईने होते है। बेवक्त यूंही उछालने से रिश्ते नही संभलते। तभी दीदी बोली” महक मै आने का विचार बना रही हु तुम मायके तो नही जाओगी ना?”

 आइए ना दीदी वेलकम” शाम हुई रवि ने ऑफिस से आते ही फिर शिकायती पोटली खोल कर रख दी। कौशल्या जी और महेश बाबू दोनो ने समझाया भी पर वो है की मानते नही। दो दिन बाद दीदी आ गई थी। दोनो भाई बहन घंटो बात करते रहते महक काम में लगी रहती थी। 

रवि ने भी छुट्टियां ले रखी थी। भैया भैया मेरी चोटी छोड़ो ना अच्छा ये आइस्क्रीम तुम्हारी ? इस तरह की हरकत कर पूरे घर आंगन में बचपना बिखेरने लगे थे। पर महेश बाबू को ये सब पसंद नही आता था। एक दिन रवि को बुला कर बोले ” रवि अब तुम बढ़े हो गए हो तुम्हारी पत्नी के प्रति भी तुम्हारे कुछ कर्तव्य है। 

वो अपनी तरफ से बेस्ट देती है पर तुम्हारी तरफ से…..” देखो बेटा ठीक है भाई बहन हो बाते करो खेलो। पर महक को भी आराम दो। वो भी तुम्हारी जैसे बच्ची तो है। थोड़ा उसके काम में हाथ बटाओ  ,उसे भी अपनी टीम में शामिल करो।” 

तभी दीदी आ गई वाह पापा आपको भाई बहन का प्यार भी खलने लगा है। नही बेटा ये सही कह रहे है। अगर तुम्हारी ननद आकर तुमसे इतना काम करवाए और तुमसे बात भी ना करे तो? अच्छा लगेगा।” ऑफ हो मम्मी आप मेरी मां हो या महक की। 

कौशल्या जी मुस्कुराई और बोली ” मां तो मैं तेरी भी हु ,रवि की भी,और महक की भी। उसकी हर सुविधाओ का ध्यान रखना भी मेरा ही काम है। सारे दिन काम में लगी रहती है। हमारी छोटी मोटी सुविधाओ का ध्यान रखती है। तुम्हारे भाई रवि को तो पता ही नही होता है की हमारी जरुरते है क्या? वही ध्यान रखती है। क्या तुम अपने सास ससुर का ध्यान रख पाती हो? बेटा रवि मेरा बेटा है,तुम्हारा भाई है तो इसका पति भी है। हर रिश्ते के कर्तव्य होते है। 

चाहे पुरुष हो या महिला जब महक महिला होकर सब कुछ कर सकती है। तो रवि पुरुष होकर इसकी बात नही समझ सकता?” तुम भाभी का साथ देने की बजाय भैया का साथ देती हो? अगर कवर साहब तुम्हारी नही सुनेगे तो? कौशल्या जी बोले जा रही थी। तभी रवि महक को हाथ पकड़ कर वहा ले आया। 

क्या क्या भर रखा मम्मी के जहन में,? महक :” जी मैं मैंने तो कुछ,…. भैया भाभी का हाथ छोड़िए। मैं सब समझ गई । प्लीज आप समझ जाइए। सॉरी भाभी गलती मेरी ही थी मैं ही आपको समझ नही सकी। महक बोली ” 

अरे दीदी हम दोनो तो बहने है अपनो से कैसी सॉरी चलिए खाना तैयार है हम सब खाना खाते है।” महेश बाबू  डाइनिंग टेबल पर बैठते हुए बोले ” देखा रवि तुमसे ज्यादा अक्ल है महक में। ये जवानी का जोश है पुरुषत्व का घमंड चल जाएगा और जैसे जैसे उम्र का तकाजा बढ़ेगा इसी महक जिससे तुम हर बात पर गलती निकाल कर लड़ लेते हो उसके बिना एक पल भी निकालना गवारा नहीं होंगा। 

सारे रिश्ते नाते छोटे हो जाएंगे।” रवि गर्दन नीचे झुकाए पापा की बात सुन रहा था। और दीदी सर के बालो को झकझोर कर कह रही थी” समझे बच्चू। सब हस पड़े।

 दीपा माथुर #पुरुष

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