अजय बहुत दिन हो गये, चलो कहीं घूमने चलते हैं,,
बात तो पते की कही है तुमने अमित,, पर कहाँ चलने का सोचा है तुमने,,
इन नवरात्रि के दिनों में माता रानी के मंदिर से उत्तम स्थान और कौन सा होगा,, समीर ने सुझाव दिया
तो फिर पक्का हम चारों शनिवार को रतनगढ़ की माता चलेंगे और वो भी पैदल, नंगे पांव,, विनय ने कहा,,
पर मंदिर तो यहाँ से साठ किलोमीटर है,,
तो क्या हुआ ,, आराम से चलेंगे न, 24 घंटे में तो पहुँच ही जायेंगे,,
ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर की स्थापना डकैतों के द्वारा की गई थी, यह घने जंगलों के बीच बना हुआ है,, माँ के दर पर जो भी व्यक्ति भक्ति भाव से मांगता है, माँ उसे खाली हाथ नहीं लौटाती,,
छोटी सी पहाड़ी पर माँ विराजमान हैं और दूसरी ओर सिंध नदी है,, मंदिर में बहुत बड़े बड़े पीतल के घंटे टंगे हुए हैं जिनके बारे में कहा जाता है कि ये घंटे मन्नत पूरी होने पर डकैतों के द्वारा चढ़ाये गये हैं,,
लेकिन कभी भी यह नहीं सुना गया कि मंदिर जाने वाले श्रद्धालुओं को उन्होंने किसी भी प्रकार का कोई नुकसान पहुंचाया हो,,
शनिवार को नियत समय पर चारों मित्र रवाना हुए,, खाने पीने का पर्याप्त सामान था ही साथ में,, मौज मस्ती करते चले जा रहे थे,,
जंगल में प्रवेश करने से पहले ही अंधेरा गहराने लगा पर उनके मन में किसी भी तरह का भय नहीं था, विश्वास जो था माता रानी पर,,
लांगुरिया गाते हुए आगे बढ़ते जा रहे थे,, रात के लगभग दो बज गये थे लेकिन दूर दूर तक मंदिर नजर नहीं आ रहा था,, उनके हिसाब से तो बारह बजे तक उन्हें वहाँ पहुँच जाना चाहिए था,,
वो समझ गये कि वो रास्ता भटक गये हैं,, अभी तक तो जोश के आगे कुछ भी मुश्किल नहीं लग रहा था पर अब साँप, बिच्छु, जंगली जानवरों का भय सताने लगा ,,
विनय ने कहा,, थोड़ी देर शांति से बैठकर सोचते हैं,,
सब चुप थे,, कुछ सूझ नहीं रहा था,,
तभी उन्होंने देखा एक जुगनू उनके आसपास मंडरा रहा है,, वह कुछ दूर जाता फिर लौटकर उनके पास आ जाता,,
अमित ने कहा,, चलो उठो,, शायद माँ हमें रास्ता दिखा रही हैं,,
और वे जुगनू के पीछे पीछे चल पड़े,, ऐसा लग रहा था कि वह उन्हें सही मार्ग पर ले जाने के लिए ही आया है और जब उन्हें मंदिर का शिखर दिखाई देने लगा तो वह अचानक से गायब हो गया,,
उनकी आँखों में आंसू थे और माँ के प्रति श्रद्धा से उनका मन भावपूरित था,, माँ ने उन्हें जुगनू के रूप में साक्षात् दर्शन दे दिये थे,,
सही कहा है जो व्यक्ति माँ के चरणों में स्वयं को समर्पित कर देता है,, माता रानी उसका साथ कभी नहीं छोड़ती,,
जहाँ व्यक्ति सांसारिक मदद की उम्मीद छोड़ देता है वहाँ चमत्कारिक रूप से वह अदृश्य शक्ति हमारा साथ देती है,, वह कभी हमें भटकने नहीं देती,,
इस दुनियां के रंग बदलते रिश्तों में केवल यही एक रिश्ता सच्चा और अपना है ,,
#पराये _रिश्ते _अपना _सा _लगे
कमलेश राणा
ग्वालियर