आजकल के बच्चे बहुत ही जिद्दी स्वभाव के हो गए हैं इनके इस स्वभाव से मां-बाप बहुत ही परेशान हो जाते हैं उन्हें समझ नहीं आता है कि वह अपने बच्चे के इस जिद को कैसे सुधारें कई मां-बाप तो अपने बच्चे की हर जिद को पूरा करने में लग जाते हैं लेकिन कई मां बाप इसके विपरीत करते हैं और अपने बच्चों को डांटना शुरू कर देते हैं। और कई बार तो अगर वह डांटने से भी काबू में नहीं आता है तो मां-बाप बच्चे को पीटना भी शुरू कर देते हैं। लेकिन दोस्तों यह दोनों तरीके ही बच्चों के हित में नहीं है आप बच्चों को स्मार्ट तरीके से उसके जिद को दूर कर सकते हैं उसके लिए नीचे हम कुछ आपको सुझाव दे रहे हैं अगर आप इसे अपनाएंगे तो हमें लगता है कि काफी हद तक आप अपने बच्चे की जिद वाले स्वभाव या कहे कि अड़ियल स्वभाव से मुक्ति पा सकते हैं।
बच्चे को डांटे नहीं बल्कि उसे प्यार से समझाएं।
कई बार मां बाप को लगता है कि बच्चों को डांट डपटने से बच्चा सुधर जाएगा लेकिन ऐसा होता नहीं है बल्कि और उसका परिणाम उल्टा होने लगता है इसके लिए आपको कुछ तरीके अपनाने पड़ेंगे यानी कि आपको प्यार से बच्चों को समझाना होगा जैसे कि मान लीजिए बच्चा आपका खाना खा रहा है और बच्चे ने बहुत सारा खाना मेज पर गिरा दिया है। तो ऐसे में आप अपने बच्चों के खाने की तारीफ कर दें यानी कि आप कहें {“मेरा राजा बेटा तो सारा खाना खा गया और मेरा बेटा इतना अच्छा है कि वह अपना सारा मेज भी साफ कर देता है ऐसे में आप देखेंगे कि बिना आपके कहे ही आपका बेटा मेज भी साफ कर देगा और हो सकता है आगे से जब खाना खाए तो वह खाना संभाल कर खाएगा और मेज पर गिरने नहीं देगा क्योंकि बालमन प्यार की भाषा बहुत जल्दी समझते हैं।
घर में अनुशासन बहुत जरूरी है
हर मां बाप अपने बच्चे से बहुत प्यार करते हैं लेकिन अपने बच्चों को अनुशासन में रखना भी बहुत जरूरी होता है क्योंकि जरूरी नहीं है कि आप जीवन भर आप अपने बच्चे के साथ ही रहे कई बार हमारे बच्चे बोर्डिंग स्कूल में पढ़ने चले जाते हैं तो वहां पर हमारे घर में सीखाया हुआ अनुशासन ही काम आता है क्योंकि वहां पर बच्चे की जिद को पूरा करने के लिए कोई नहीं होता है। इसीलिए आप अपने बच्चों की हर जिद को पूरा ना करें बल्कि उसे मना करना भी सीखेँ। कई बार अगर आप बच्चे को कुछ मना करते हैं जैसे कि आप बाजार में कुछ खरीदने के लिए गई हैं और अपने बच्चे को भी साथ ले गई हैं और बच्चे ने कोई खिलौना देख लिया और उसे खरीदने की जिद करने लगा तो आप उस जिद को पूरा मत कीजिए नहीं तो अगली बार से फिर ऐसे ही रोना शुरू करेगा वह समझ जाएगा कि रोने से जिद पूरी हो जाती है हाँ लेकिन कभी-कभी खरीद भी लिया कीजिए।
अपने बच्चों को पढ़ाई के अलावा कुछ और भी सिखाएं
हम अक्सर देखते हैं कि हर बच्चा पढ़ाई के अलावा किसी न किसी चीज में निपुण होता है किसी बच्चे को अच्छा पेंटिंग करने आता है तो कोई बच्चा अच्छा डांस कर लेता है या कोई बच्चा अच्छा गा लेता है या किसी बच्चे की किसी खेल को खेलने में रुचि रहता है तो हमें अपने बच्चों की इस रुचि को ध्यान में रखते हुए उसको बढ़ावा देना चाहिए। इससे क्या होता है कि बच्चे पर पढ़ाई का बोझ ज्यादा नहीं पड़ता है और वह तनाव में भी नहीं रहता है।
अपने बच्चों को दोस्त बनाने के लिए कहें
आजकल के शहरी माहौल में देखा गया है कि ज्यादातर लोग अपार्टमेंट वाले घरों में रहना शुरू कर दिया है और इसमें क्या होता है कि हम उसी बिल्डिंग में रहते हैं और अपने पड़ोसी का भी पता नहीं होता है। बच्चा स्कूल से आता है और अपने घर में बंद हो जाता है उसे हम बाहर खेलने भी नहीं जाने देते हैं तो ऐसे में आप अपने बच्चों के दोस्त बनाने को कहें और उसे उनके साथ खेलने दे।
दोस्तों बच्चे का मन एक कच्चे मिट्टी के जैसा होता है हम इसे जैसा शेप देना चाहें वैसा दे सकते हैं अगर आप घड़ा बनाते हैं और उस पर जोर जबरदस्ती करेंगे तो वह घड़ा सुंदर नहीं बनेगा अगर आपको मिट्टी का घड़ा सुंदर बनाना चाहते हैं तो उसे प्यार से आप को घुमाना होगा तो वैसे ही बच्चे का मन भी होता है उसे प्यार से समझिए ।