Moral Stories in Hindi : सही तो है शिकायतों का पुलिंदा एक बार खुल गया तो जल्दी बंद नहीं होता है । पति को पत्नी से पत्नी को पति से सास को बहू से बहू को सास से ननंद को भाभी से भाभी को ननंद से यही रिश्ते हैं जिनमें शिकायतें होती हैं ।
प्रतीक घर का बड़ा बेटा था। उसके पीछे चार बहनें और तीन भाई थे। पिता रेलवे में नौकरी करते थे। वह खुद फुडकॉर्पोरेशन में नौकरी करता था। वह देखने में बहुत ही सुंदर हेंडसम था। माता-पिता ने ही उसके लिए लड़की ढूँढी थी जिसका नाम सुशीला था अपने माता-पिता की वह भी बड़ी लड़की थी उसके दो भाई और पाँच बहनें थीं। बहुत ही संस्कारी और बड़ी बहू बनने के लायक़ है सोचकर ही जमुना ने उसे पसंद किया था ।
कहते हैं कि उनकी शादी भी अनोखे तरीक़े से हुई थी। जैसे आपको पहले ही बताया था कि प्रतीक दिखने में हेंडसम था साथ ही अच्छी नौकरी करता था पिता रेलवे में थे तो बहुत सारे घरों से उसके लिए रिश्ते आते थे । उन सब में से इन्होंने दो लड़कियों को चुना और यह भी कहा गया कि घर जाकर सलाह मशविरा करके सबसे पहले जो हमारे घर आएगा उन्हें हाँ कह दिया जाएगा क्योंकि पसंद दोनों ही लड़कियाँ आ गई थी ।
सुशीला के दादा जी उसे लेकर सबसे पहले ही पहुँच गए थे और जमुना ने इस रिश्ते को हरी झंडी दिखा दी थी।
कहते हैं न कि किसका गठबंधन किसके साथ होगा यह फ़ैसला क़िस्मत का ही होता है ।
सुशीला दुल्हन बनकर जब से ससुराल आई सिर्फ़ काम ही काम करती थी । एक तो भरापूरा परिवार ऊपर से मेहमानों का आना जाना लगा रहता था । उसे अपने पति से इस बात की शिकायत रहती थी कि उन्हें बात करने की भी फ़ुरसत नहीं मिलती थी ।
उनका क्या है सब कुछ पका पकाया मिल जाता है परंतु कभी भी पत्नी के बारे में नहीं सोचा कि उसको एक पल बाहर ले जाऊँ या उससे अकेले में बातचीत कर लूँ । उसके भी कुछ अरमान होते होंगे उन्हें पूरे करूँ ।
सुशीला ने अपनी ज़िंदगी के कई साल ऐसे ही बहुत सारी शिकायतों में ही गुज़ार दिया ।
प्रतीक का ट्रांसफ़र हो गया परंतु तब तक उसके भी चार बच्चे हो गए थे । सुशीला ने उनके परवरिश में समय दिया परंतु प्रतीक से उसे थोड़ी सी भी सहानुभूति या सहायता नहीं मिली थी।
उनके बच्चे बड़े हो गए थे । दामाद और बहुएँ आने लगे बड़ी बेटी और बेटे की शादी हो गई थी । अभी भी प्रतीक ने उसकी तरफ़ ध्यान नहीं दिया था ।
उसे अपने पति से बहुत सारी शिकायतें तो थी उसे ग़ुस्सा तब आता था जब कोई बहन या भाई के घर में उन्हें तकलीफ़ होती थी तो वह उसे उनकी मदद के लिए भी भेज देते थे । वह हमेशा सोचती थी कि मेरी राय जाने बिना मुझे दूसरों के घर कैसे भेज सकते हैं ।
सुशीला ने कभी भी अपना मुँह नहीं खोला वह देखती थी कि देवर अपनी पत्नियों के साथ मूवी देखने जाते थे परंतु प्रतीक मुझे इंट्रेस्ट नहीं है कह कर टाल देते थे ।
प्रतीक और भाई सब मिलकर एक ही कॉलोनी में रहते थे परंतु अलग अलग घरों में रहते थे ।प्रतीक से कुछ नहीं पूछने वाली सुशीला ने कहा हम भी मूवी देखने चलेंगे । प्रतीक ने कहा नहीं तुम बच्चों को लेकर चले जाओ वह बच्चों के साथ चली गई थी । इंटरवेल में बच्चों ने बताया माँ पिताजी भी चाचा लोगों के साथ आए हैं । उस दिन सुशीला का दिल टूट गया था । उसने सोचा आज तक मैंने कभी भी पति से ना ही शिकायत की थी और ना ही कुछ माँगा फिर भी मेरे साथ वे ऐसा सलूक करते हैं । सुशीला पहले भी कम बोलती थी अब वह और अधिक चुप हो गई थी । प्रतीक ने घर आकर कहा कि भाइयों के जिद के आगे मेरी एक नहीं चली इसलिए जाना पड़ा ।
अपने दिल की बातों को दिल में ही रखने के कारण सुशीला को कम उम्र में ही शुगर की बीमारी हो गई थी । आए दिन कुछ न कुछ प्राब्लम होता रहता था ।
कहते हैं कि अगर पति अपनी पत्नी के बारे में नहीं सोचता है तो दूसरों के लिए भी उसे नीचा दिखाना और बातें कहना आसान हो जाता है।
सुशीला के दिल को सिर्फ़ उसकी सास ने पहचाना था वह ही उसकी शुभचिंतक थी । परिस्थितियों के चलते कहिए या दिल की बातों को दिल में ही दबाए रखने के कारण ही समझिए कि सुशीला को शुगर की बीमारी ने अंदर ही अंदर खोखला कर दिया था और महज साठ साल की उम्र में ही उसकी मौत हो गई थी । अपने दिल में कितनी ही शिकायतों को बिन कहे ही उसने दफन कर दिया था ।
आज प्रतीक उसके फ़ोटो के सामने खड़े होकर माफी माँगता रहता है परंतु क्या फ़ायदा जब तक इंनसान सामने था उसकी कद्र नहीं की आज माफी किससे माँग रहे हो फ़ोटो से क्या बात है?
कहते हैं कि “अब पछताए क्या होत है जब चिड़िया चुग गई खेत “
दोस्तों अपनी जीवन संगिनी की कद्र करना चाहिए। अपने घर बार माता-पिता को छोड़कर सिर्फ़ आपके भरोसे पर आपके घर में कदम रखती है हम उसकी कद्र नहीं करेंगे तो दूसरों के लिए भी आसान हो जाता है उन्हें नीचा दिखाना। वक़्त रहते उन्हें पहचानिए ।
स्वरचित मौलिक
के कामेश्वरी
साप्ताहिक विषय- शिकायत