वक्त पर काम आना – रोनिता कुंडु : Moral Stories in Hindi

रेखा:   जानते हो रवि…? कल हमारी पड़ोसन एक नई साड़ी पहनकर रमा जी के यहां पूजा में आई थी… वह अपने पति का बखान करते थक नहीं रही थी… कह रही थी वह साड़ी 18000 की है… यह कहकर वह इतना इतरा रही थी कि क्या ही बोलूं? कल अगर आप साथ होते तो, मैं भी उसे बताती, मेरी पति की तारीफ…

रवि:   मेरी तारीफ…?

रेखा:  हां और नहीं तो क्या..? मेरा पति किसी से कम है क्या…? अगले महीने मुझे रिस्ट वॉच गिफ्ट किया और उसके अगले महीने प्रेशर कुकर और अब एक नया फोन भी देने वाले है…

रवि चौक कर:  नया फोन…? बस तुमने इतना ही सोचा..? अरे मैंने तो इससे कई ज्यादा सोच कर रखा है…

रेखा खुश होकर:  सच में..?

रवि: हां मैंने सोचा हैं, हमारा यह घर बेचकर, तुम्हारे लिए गहने, आईफोन, साड़ियां यह ले सब ले दूं… मेरे लिए तो तुम्हारा प्यार ही काफी है, अगर तुम साथ हो तो, मैं सड़क पर भी रह लूंगा… अरे मैं तो बहुत किस्मत वाला हूं, जो मुझे तुम जैसी पत्नी मिली जो मेरा कितना ध्यान रखती है… तुम्हारे सामने यह सारी चीज़ो का कोई मोल है क्या?

रेखा अब हैरान थी और रवि उसका चेहरा देखकर खुलकर हंसना तो चाहता था, पर हंसना मना है… क्योंकि जो हंसा वह फंसा… 

फिर रेखा थोड़ा हकलाकर कहती है, आप भी ना कभी-कभी ऐसी बातें करते हो, कि मेरे आंसू ही आ जाते हैं, अब आपका प्यार क्या मुझसे छुपा हुआ है? मुझे आपका प्यार दिखता है, तो किसी भी चीज़ को देकर, आपका प्यार साबित करने की ज़रूरत नहीं, मुझे और किसी से कोई तुलना भी नहीं करनी… मुझे और कुछ नहीं चाहिए, भला जिसके पास इतना प्यार करने वाला पति हो, उसे और क्या चाहिए?

रवि अब मन ही मन मुस्कुरा रहा था, आज उसका हाज़िर दिमाग वक्त पर काम आ गया, और अब से वह पत्नी की खामखा तुलना से भी हमेशा के लिए बच गया

धन्यवाद 

रोनिता 

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