निधि और आरती पड़ोसन थी।निधि बहुत दिखावा करती थीं हमेशा आरती को कहती मै तुम्हारी बहन हू तब मुझे बुलाना और हर समय आरती के घर में ही खाती पीती रहती कही
भी घूमने जाती तो अपने बच्चें भी उसी के भरोसे छोड़ जाती। आरती के पड़ोस में ही गायत्री भी रहती थी जो घर में ही बच्चों को ट्यूशन पढ़ती थीं
और वो व्यस्त रहने की वजह से बाकी औरतों की तरह बाहर नहीं आती थी इसलिए निधि गायत्री को घमंडी कहती थीं।एक बार आरती के पति ऑफिस के काम से शहर से बाहर गए थे।
अचानक ही उसके बेटे ध्रुव की तबियत खराब हो गई।आरती ने निधि को फोन लगाया निधि बोली अभी तो मै किटी मे हूँ।थोड़ी देर तक आती हूं तुम घर में ही कुछ देख लो।
आरती ने एक घंटा इंतजार किया पर निधि नहीं आई।दुबारा फोन लगाने पर उसने उठाया भी नहीं।आरती रोती हुई ध्रुव को लेकर बाहर आई तो सामने गायत्री थी ।
गायत्री ने पूछा क्या हुआ तो आरती ने बताया ध्रुव की तबियत खराब है।गायत्री उसी समय उन्हें ले कर हॉस्पिटल गई और उसका इलाज करवाया।
रात को निधि आई बोली सारी यार जरा देर हो गई अब तो ध्रुव ठीक होगा आरती बोली ध्रुव ठीक है और मैं भी मुझे समझ आ गया है
कौन आपके बुरे वक्त में आपके काम आता है।निधि अपना सा मुंह ले बाहर निकली और गायत्री खिचड़ी ले कर अंदर आई।
स्वरचित कहानी
आपकी सखी
खुशी