जब डॉक्टर अनुराग ने मनीष को बताया कि उसकी पत्नी मनीषा बस कुछ दिनों की मेहमान है तो वह अनुराग के सामने फूट-फूट कर रोते हुए हाथ जोड़कर बोला” डॉक्टर साहब किसी भी तरह कोशिश करके मेरी पत्नी को बचा लीजिए मैं उसके बगैर जिंदा नहीं रह पाऊंगा”मनीष की बात सुनकर अनुराग को उस पर तरस आने की बजाय गुस्सा आ गया था कुछ समय पहले ही बेहद खूबसूरत और एक छोटी सी बच्ची की मां मनीषा जिसकी शादी को अभी मात्र 6 साल ही हुए थे
अकेली ही उनके पास अपना चेकअप कराने के लिए आई थी जब डॉक्टर ने उसका चेकअप किया तो पता चला कि गांव के ही झोला छाप डॉक्टर से गलत दवाइयां खाने से उसकी दोनों किडनी खराब हो गई थी जिसके कारण अब वह बस कुछ दिनों की ही मेहमान थी अनुराग उसे यह सच्चाई बता कर दुखी नहीं करना चाहते थे इसलिए जब अनुराग ने मनीषा से उसके पति मनीष को बुलाने को कहा तो वह दुखी मन से बोली”आपको जो कुछ भी बताना है मुझे साफ-साफ बता दीजिए मेरे पति को इतना वक्त नहीं है कि वह मेरे साथ अस्पताल आ सकें बेटी के जन्म के बाद जब मुझे पहली बार बुखार आया तब मैंने उनसे कहा था
कि मेरे साथ अस्पताल चलकर किसी अच्छे डॉक्टर से मेरा चेकअप करा कर मुझे दवाई दिलवा दो परंतु, उन्होंने मुझे दवाई दिलवाने की बजाय गांव के ही एक डॉक्टर के पास दवाई लेने के लिए भेज दिया पति और डॉक्टर पर विश्वास करके मैं डॉक्टर के द्वारा दी हुई दवाई खाने लगी दवाई खाने के बाद मुझे कुछ आराम तो नहीं मिला उल्टा मुझे और भी ज्यादा रोगी बना दिया जब मैं मनीष से इस बारे में डॉक्टर की शिकायत करते हुए कहीं और दिखाने की कोशिश की तब मनीष गुस्सा करते हुए बोला”मेरे पास तुम्हारे लिए फालतू वक्त नहीं है कंपनी में दिनभर जॉब करने के बाद मेरे पास वक्त कहां मिलता है जो मैं तुम्हारी फरमाइश पूरी करूं।”
सुबह से रात तक अपने पति की हर इच्छा पूरी करने वाली मनीषा मनीष की बात सुनकर दुखी हो गई थी कंपनी से आने के बाद मनीष के पास दोस्तों के साथ मौज मस्ती करने का समय तो था परंतु ,अपनी बीमार पत्नी को दवाई दिलवाने का समय उसके पास नहीं था पति के व्यवहार से आहत होकर वह खुद ही पास के अस्पताल में डॉक्टर अनुराग के पास दवाई लेने के लिए चली गई थी।
वहां से आने के बाद वह काफी देर तक अपनी बेटी के साथ खेलती रही फिर खाने का समय होने पर वह रसोई में खाना बनाने चली गई थी जब उसने फ्रिज में से सब्जी निकाल कर उसे काटने के लिए जैसे ही चाकू की तरफ हाथ बढ़ाया तो अचानक से उसे जोर का चक्कर आ गया था और वह बेहोश होकर रसोई में ही गिर पड़ी थी संयोग से उसी वक्त मनीष कंपनी से किसी काम के कारण घर वापस आ गया था जब उसने मनीषा को बेहोश देखा तो वह तुरंत उसे गांव के डॉक्टर के पास गया डॉक्टर ने मनीषा की गंभीर हालत को देखते हुए मनीष से उसे पास के अस्पताल में ले जाने को कहा तो मनीष मनीषा को लेकर अस्पताल में उसी डॉक्टर के पास आ गया था।
तब डॉक्टर ने मनीषा की हालत देखकर मनीष को बता दिया था कि मनीषा अब ज्यादा दिन जिंदा नहीं रहेगी तो मनीष उनके सामने रोते हुए हाथ जोड़कर उसे ठीक करने की प्रार्थना करने लगा था।तब उसे पत्नी के लिए रोते हुए देख कर अनुराग उसे गुस्से में डांटते हुए बोले” बंद करो अपना यह नाटक यदि तुम्हें अपनी पत्नी से जरा सा भी प्यार होता तो तुम उसे किसी नीम हकीम डॉक्टर के पास भेजने की बजाय किसी अच्छे डॉक्टर से उसका इलाज करवाते खबरदार जो मेरे सामने एक भी आंसू बहाया तो मुझे ऐसे नाटकबाज लोग बिल्कुल भी पसंद नहीं जो समय पर अपने हमसफर का सही ढंग से इलाज करवाने की बजाय गलत डॉक्टर से इलाज करवा कर उन्हें मरने के लिए छोड़ देते हैं
आप जैसे लोगों के कारण ही हर साल अनेको महिलाएं समय पर इलाज न मिलने के कारण अपना बहुमूल्य जीवन आप जैसे स्वार्थी लोगों की निस्वार्थ भाव से सेवा करते हुए गवा देती है जितना मेरे बस में होगा मैं पूरी कोशिश करूंगा मनीषा का जीवन बचाने की आगे भगवान की मर्जी” डॉक्टर की बात सुनकर मनीष शर्मिंदा हो गया था पश्चाताप भरे मन से जब वह मनीषा के पास अपनी लापरवाही के लिए माफी मांगने उसके पास गया और हाथ जोड़कर मनीषा से बोला”मुझे माफ कर दो मैं तुम्हे कुछ नहीं होने दूंगा मैं भगवान से तुम्हारे जल्द ही स्वस्थ होने के लिए प्रार्थना करूंगा।”
“भगवान उसकी प्रार्थना सुनते हैं जो किसी को धोखा नहीं देते जो अग्नि के समक्ष सात वचन लेकर अपने वचन से मुकर जाते हैं भगवान उसकी प्रार्थना कभी स्वीकार नहीं करते पहले तुम्हारे पास मेरे लिए वक्त नहीं था और अब मेरे पास तुम्हारे लिए वक्त नहीं है”यह कहकर मनीषा खामोश हो गई थी डॉक्टर के अथक प्रयास और मनीष की ईश्वर से दिन रात प्रार्थना करने के बात भी उसकी तबीयत में कुछ आराम नहीं पड़ा था और कुछ दिन तक जिंदगी और मौत से संघर्ष करने के बाद मनीषा ने दम तोड़ दिया था।
आज भी हमारे समाज में ऐसे बहुत से निष्ठुर लोग रहते हैं जो अपनी पत्नी से 24 घंटे सेवा की उम्मीद तो करते हैं परंतु ,जब वह बीमार पड़ जाती है तो उसका साथ नहीं देते कभी-कभी डॉक्टर मरीज को ऐसी दवा दे देते हैं जिसे खाने से शरीर के कई महत्वपूर्ण अंग खराब हो जाने से अच्छा भला इंसान मौत के मुंह पर पहुंच जाता है इसलिए बीमार पड़ने पर किसी प्रशिक्षित डॉक्टर से ही दवाई ले और डॉक्टर से कोई भी दवाई लेने से पहले उसके साइड इफेक्ट के बारे में जरूर जांच पड़ताल करें तभी दवा ले अन्यथा गलत दवाई लेना जीवन पर भारी पड़ सकता है।
बीना शर्मा