विवाह त्रासदी – चम्पा कोठारी : Moral Stories in Hindi

बीना अक्सर ही अपनी मौसेरी बहन  सविता के घर आती रहती है। एक तो दोनों बहनें एक ही शहर में पास पास ही रहती हैं। बीना उम्र में सविता से छोटी है

पर वह अपने दोनों बच्चों के शादी ब्याह से निबट चुकी हैं।वहीं सविता के दोनों बेटों की शादी अभी तक नही हुई।

सविता के पति राजीव सरकारी नौकरी में थे। पहाड़ की लंबी नौकरी के बाद उनका स्थानांतरण कुमाऊँ के मैदानी शहर के पास हो गया। जैसा कि सभी पहाड़ वासियों के घर तराई भावर में बन चुके हैं।

उनका घर भी वहीं बन गया था। इन दोनों के दो बेटे हैं। दोनों निजी कंपनी में इंजीनियर हैं।संतान के रोजगार के बाद माता पिता का सपना बच्चों की शादी का होता है। बड़े बेटे की उम्र छब्बीस वर्ष   थी।

बेटे की नौकरी लगते ही कुछ अच्छे रिश्ते आये जिनमें कुछ लड़कियाँ रोजगारपरक कोर्स कर रही थी तो कुछ पोस्ट ग्रेजुएशन।

कहीं पर कन्या पक्ष अपने से कमतर लगा तो कहीं कन्या का  रूप रंग लड़के पक्ष को नही जमा। जॉब करने वाली  को प्राथमिकता देने पर परिवार की सहमति बनी परन्तु लड़कियों की नौकरी भी जल्दी कहाँ लगती है।

रिश्तों की परख में बेटा बत्तीस साल का हो गया। बीना हमेशा तर्क देती कि बेटे की उम्र निकली जा रही है कोई पढ़ी लिखी संस्कारवान लड़की से शादी कर दो अब तो वह अच्छा कमाता है।कुछ रिश्ते उसने बताये भी थे

पर बात न बनी।अब कुछ लड़कियों के रिश्ते आये भी थे  तो लड़की पक्ष की तरफ से बात पैकेज पर अटकी ।दो साल उम्र और बढ़ गयी।हालांकि इतने साल में बेटे का सैलरी पैकेज आकर्षक था।

छोटे पुत्र ने अपने ही साथ काम करने वाली लड़की को पसंद कर लिया था माता पिता सहर्ष राज़ी हो गए पर शर्त  यह थी कि बड़े बेटे की शादी के बाद ही छोटे की शादी होगी।

दोनों बेटे विवाह की उम्र पार करने लगे।  बड़ी मुश्किल से सुरेश जी के घर से रिश्ता आया था। लड़की मेघा भी इंजीनियर थी उम्र भी तीस वर्ष के आसपास ही थी।

आपस में मिलकर दोनों परिवारों की सहमति बन चुकी थी फिर भी कन्या ने घर पहुँचने के बाद ही निर्णय सुनाने को कहा। दो दिन हो चुके थे।

आज अचानक फोन की घंटी बजते ही सविता दौड़कर किचन से कमरे में भागी इस डर से कि फोन कट न जाय। स्क्रीन पर तिवारीजी का नाम देखकर अपनी सांसों पर काबू रखते हुए उसने हैलो कहा।

उधर से आवाज आई-“नमस्कार भाभीजी ! माफ कीजियेगा। यह रिश्ता नही हो सकता।! “पर क्यों भाई साहब?उसने पलटकर पूछा। “अब  भाभीजी आपको क्या बताऊं लड़की ही मना कर रही है।

अब आजकल के बच्चों को आप जानती ही हैं। अभी वह शादी करना नही चाहती। उन्होंने दो टूक कहकर फोन काट दिया। सविता सर पकड़कर वही बैठ गई। यह भला क्या बात हुई पहले ही मना कर देती

देखने दिखाने की औपचारिकता क्यों।उन्होंने कारण पूछने का मौका ही नही दिया। बड़ी मुश्किल से यह रिश्ता किसी रिश्तेदार के माध्यम से आया था।

कुंडली मिलान के बाद देखने की रस्म हुई। शायद लड़की वाले तजुर्बेकार थे इसीलिए उन्होंने उन्हें घर पर न बुलाकर कहीं मन्दिर में बुलाया था।

  फिर अचानक यह फोन सविता निराश हो गई। इतने में उनके पति भी कमरे में आ पहुँचे। ” क्या हुआ तुम इतनी परेशान क्यों हो ? सविता ने उन्हें पूरी बात बताई।

उन्होंने तुरंत उस रिश्तेदार को फोन लगाया  जो रिश्ता लेकर आई थी और इंकार करने का कारण पूछा। रिश्तेदार उनकी बुआ की बेटी थी। लड़की वालों द्वारा मना करने की जानकारी  उन्हें भी नही थी।

बाद में किसी जानकार द्वारा पता चला कि लड़की को कंपनी  अमेरिका भेज रही है। अब वह यहाँ शादी नही करेगी। घर का वातावरण बोझिल हो गया।

माता पिता की महत्वाकांक्षाएँ बेटे पर भारी पड़ गई। उन सभी लड़कियों का विवाह हो गया था जिनके रिश्ते सविता के परिवार ने ठुकरा दिये थे।

तभी वहाँ सविता की मौसेरी बहिन बीना आ पहुंची। घर में फैली निराशा से उसे समझते देर न लगी कि फिर कहीं विवाह की बात बनते बनते रह गई।

हालाँकि सविता के बेटे ने अपने माता पिता को ही शादी तय करने की जिम्मेदारी सौंपी थी। पर वह असफल हो रहे थे। सविता ने उसे पूरी बात बताई। सुनकर बीना को भी अफसोस हुआ।

अंततः बीना की सलाह पर यह तय हुआ कि अब कोई बिना नौकरी वाली पढ़ी लिखी कन्या को प्राथमिकता दी जाय।ऐसे कुछ रिश्ते बीना ने भी पहले बताये थे।पर पहले उन्हें कोई तवज्जो नही दी गई।

उन्हीं में एक परिवार से संपर्क बीना के माध्यम से किया गया। एक पढ़ी लिखी सुयोग्य संस्कारी लड़की जो किसी प्राइवेट स्कूल में पढ़ाती थी उम्र भी ठीक ठाक थी।

सभी ने विचार विमर्श कर उसी घर में बातचीत आगे बढ़ाई। अंततः रिश्ता पक्का हो गया। दोनों बेटों की धूमधाम से शादी हो गई। दोस्तो आजकल  सही उम्र में शादियां नही हो रही हैं।

  इस मामले में कन्या पक्ष भी कम नही है।इससे अच्छा इससे अमीर की चाहत में भी कई होनहार लड़कों की शादी नही हो पा रही हैं। ये रोज के देखे सुने किस्से हैं।

अपने पसन्द का जीवन साथी चुनने का अधिकार सभी को है परन्तु शर्तों पर किये गए विवाह सफल नही होते।यह कहानी और पात्र काल्पनिक हैं।

यह एक सामाजिक समस्या बन चुकी है।आपको यह कहानी कैसी लगी। अवश्य  बताएं।धन्यवाद

चम्पा कोठारी 

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