संजना टेबल पर खाना लगा रही थी।आज विशेष व्यंजन बनाए गए थे, नंदरानी मिथिलेश जो आई थी।
“पापा, ले आओ अपनी कटोरी, खाना लग रहा है”मिथिलेश ने अरुण जी से कहा।
“दीदी, पापा अब कटोरी नही, कटोरा खाते हैं, खाने से पहले कटोरा भरकर सलाद और खाने के बाद कटोरा भर फ्रूट्स” संजना मुस्कुराती हुई बोली।
“अरे, ये चमत्कार कैसे हुआ, पापा की वो कटोरी में खूब सारी टेबलेट्स, विटामिन, प्रोटीन, आयरन, कैल्शियम होती थीं, कहाँ, कैसे, गायब हो गई” मिथिलेश ने आश्चर्य से पूछा।
“बेटा ये सब चमत्कार संजना बिटिया का है” कहते हुए वे पिछले दिनों में खो गए।
नई नवेली संजना ब्याह कर आई, ऐसे घर मे जहाँ, कोई स्त्री न थी, सासु माँ का देहांत हो चुका था और ननद का ब्याह।घर मे पतिदेव और ससुरजी , बस दो ही प्राणी थे।ससुर जी वैसे ही कम बोलते थे और रिटायरमेंट के बाद तो बस अपनी किताबों में ही सिमट कर रह गए थे।संजना देखती कि वे हर रोज़ खाना खाने से पहले दोनों समय एक कटोरी में खूब सारी टेबलेट्स निकाल लाते, पहले उन्हें खाते, उसके बाद अनमने से एकाध रोटी खाकर उठ जाते, रात को भी स्लिपिंग पिल्स खाकर सो जाते।एक दिन उसने ससुर जी से पूछ ही लिया-
“पापाजी, आप ये इतने सारे टेबलेट्स क्यों खाते हैं”
“बेटा, अब तो जीवन इनपर ही निर्भर है, शरीर में शक्ति और रात की नींद इनके बिना अब संभव नहीं”
“ओह पापाजी ,आपने खुद को इनका आदी कर लिया है, कल से आप मेरे हिसाब से चलेंगे, आपको सारे प्रोटीन, विटामिन, आयरन, कैल्शियम सब मिलेगा और रात को नींद भी जमकर आएगी”
अगले दिन सुबह अरुण जी अखबार देख रहे थे तभी संजना ने आकर कहा-
“चलिए पापा जी, थोड़ी देर गार्डन में घूमते हैं, वहाँ से आकर चाय पिएंगे” संजना के कहने पर अरुण जी को उसके साथ जाना पड़ा, जहाँ संजना ने उन्हें हल्का फुल्का योग भी करवाया और साथ ही लाफ थैरेपी देकर खूब हँसाया।
“ये लीजिए पापा जी, आपका कैल्शियम, चाय इसके बाद मिलेगी” संजना ने दूध का गिलास उन्हें पकड़ाया।नाश्ते में स्प्राउट्स देकर कहा- ये लीजिए ,भरपूर प्रोटींस खाईये पापाजी”
लंच के समय अरुण जी, दवाईयां निकालने लगे, तो संजना ने हाथ रोक लिया, और कहा-
“पापाजी, ये सलाद खाईऐ, इसमें टमाटर, चुकंदर है, आपका आयरन और कैल्शियम, खाना खाने के बाद फ्रूट्स खाईऐ”
अरुण जी उसके प्यार की मनुहार को टाल नही पाए।
दिन मे संजना उनके साथ कार्ड्स खेलने बैठ गई, रात का भोजन भी उन्होंने संजना के हिसाब से ही किया, रात को संजना उन्हें फिर गार्डन में टहलाने ले गई।
“चलिए पापा, अब सो जाईए”
अरुण जी की नज़रें अपनी स्लीपिंग पिल्स की शीशी तलाशने लगी।
“लेटिए पापाजी, मैं आपके सिर की मालिश कर देती हूँ” कहकर उसने अरुण जी को बिस्तर पर लिटा दिया और तेल लगाकर हल्के हल्के हाथों सिर का मसाज करने लगी, कुछ ही देर मे अरुण जी की नींद लग गई।
“संजना, बेटी कल रात तो बहुत ही अच्छी नींद आई”
“हाँ, पापाजी, अब रोज़ ही आपको ऐसी नींद आएगी, अब आप कोई टेबलेट नही खाएंगे”
“अब क्यों खाऊंगा, अब जो मुझे रामबाण औषधि मिल गई है”अरुण जी गार्डन जाने के लिए तैयार होते हुए बोले।
“थैंक्यू भाभी” अचानक मिथिलेश की आवाज़ ने अरुण जी की तंद्रा भंग की।
“हाँ बेटा, थैंक्स तो कहना ही चाहिए संजना बेटी को, इसने मेरी सारी टेबलेट्स छुड़वा दी, अब तो बस मैं एक ही टेबलेट खाता हूँ”अरुण जी बोले।
“कौनसी” संजना चौंककर बोली।
“विटामिन -पी, यानि भरपूर प्यार और परवाह “
*नम्रता सरन “सोना”*
भोपाल मध्यप्रदेश