विष उगलना – मुकुन्द लाल : Moral Stories in Hindi

  प्लेटफार्म पर ट्रेन के रुकते ही दुर्लभ अपनी प्रेमिका पर्णिका के साथ एक अटैची और बैग लिये हुए डिब्बे की ओर बढ़ने लगा कुछ कदम आगे बढ़ा ही था कि अचानक उसकी पत्नी तृप्ति आ धमकी उसने उसका रास्ता छेंकते हुए आक्रोश में कहा, “कहांँ भागे जा रहे हो हमको  छोड़कर मैं तुम्हारी गर्लफ्रेंड नहीं थी..

समाज के सामने पारंपरिक रीति रिवाज से सात फेरे लिए थे.. इस उम्र में तुम पर इश्क का भूत सवार हुआ है.. इस भूत को उतार देंगे तुम्हारे सिर से” कहते हुए उसने उसको आगे बढ़ने से रोक दिया।

  ” चुप रह!.. कुलक्षणी.. कुलटा.. तेरे आचरण और चाल-चलन से हम परेशान हो गए.. मेरा घर-संसार तबाह हो गया “उसने कड़कती हुई आवाज में कहा।

 ” हम कुलटा नहीं हैं.. तुम चरित्रहीन हो.. दुनिया देख रही है  तमाशा.. अपनी पत्नी को छोड़कर  चुपके से भागे जा रहे हो दूसरी लड़की के साथ.. “

 ” चुप रह!.. हम लोगों ने कोई चोरी नहीं की है, फिर डर किस बात की.. हम लोगों ने सच्चे दिल से प्यार किया है एक-दूसरे से।..हट जाओ मेरे रास्ते से नहीं तो ठीक नहीं होगा” तैश में पर्णिका ने तल्खी के साथ कहा।

  फिर भी वह नहीं हटी। ट्रेन खुलने का समय हो गया, तब दोनों तृप्ती को ठेलते हुए आगे बढ़ गए, किंतु उसने पुनः दुर्लभ की दोनों बांहों को मजबूती से पकड़ कर रोक लिया। दुर्लभ उसे बेहया कहकर गालियां देने लगा।  पर्णिका भी उस पर  अपशब्दों की बौछार करने लगी।    

अच्छा खासा हंगामा मच गया स्टेशन पर। मुसाफिरों का जमघट लग गया।दुर्लभ हर हालत में अपनी प्रेमिका   के साथ भागना चाह रहा था जबकि तृप्ति किसी भी कीमत पर उसे जाने देना

नहीं चाहती थी ऐसी अवस्था में दुर्लभ ने उसे धक्का देते हुए दो-चार करारे तमाचे उसकी गालों पर जड़ दिए। उसने भी जवाब में उस पर हाथ उठाया। दोनों में मारपीट शुरू हो गई ।                     

पत्नी को करप्ट कह रहा था वह। जिसके जवाब में पत्नी भी उसे भद्दी-भद्दी गालियां दे रही थी।.                   

दुर्लभ अपनी पत्नी पर विष उगल रहा था। उत्तर में वह भी दूने वेग  से उस पर विष उगलकर तृप्त हो रही थी।    मुसाफिरों की भीड़ तमाशबीन बनी हुई थी। कुछ लोग दुर्लभ को दोषी मान रहे थे तो कुछ दोनों स्त्रियों को।  सीटी देने के साथ ही  गाड़ी खुल चुकी थी।.              

पुलिस आई तीनों को शांति भंग करने और स्टेशन पर हंगामा मचाने के जुर्म में गिरफ्तार करके ले गई।

  स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित

               मुकुन्द लाल

               हजारीबाग(झारखंड)

                14-02-2025

         बेटियाँ मुहावरा प्रतियोगिता

           मुहावरा:- # विष उगलना

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