विष उगलना – शनाया अहम : Moral Stories in Hindi

वाह श्रेया वाह, मैंने तुम्हें कभी अपनी नन्द की नज़रों से नहीं, अपनी बेटी की नज़र से देखा है।। 

माँ जी के गुज़र जाने के बाद तुम्हें उनकी कमी महसूस न हो इसलिए मैंने तुम्हें अपनी बेटी की तरह पाला, सिर्फ 8 बरस की थी तुम जब माँ जी इस दुनिया से चली गई थी। 

मैंने ख़ुद की औलाद नहीं की कि कहीं तुम्हारी मोहब्बत में कमी न रह जाए। 

तुम्हारे भैया और अपने अरमान भुला कर सिर्फ़ तुम्हारी अच्छी परवरिश और खुशियाँ तुम्हें दी। 

और आज तुम हमें हमारी मोहब्बत का ये सिला दे रही हो, अपने भैया और मेरे खिलाफ़ नाते रिश्तेदारों के सामने विष उगल रही हो वो भी सिर्फ़ इसलिये क्योंकि हमने तुम्हें उस आवारा और नशेड़ी लड़के से दूर रहने की हिदायत दी है। तुम रिश्तेदारों से कह रही हो कि हम तुम पर ज़्यादती करते हैं, पाबंदियां लगाते हैं। 

हम कैसे देख सकते हैं श्रेया, कि हमारी बच्ची किसी गैर जिम्मेदार, आवारा और नशेड़ी के साथ अपनी ज़िन्दगी बर्बाद कर ले।  

बस बस भाभी, आप ख़ुद को मेरी माँ समझती रहिए लेकिन आप मेरी माँ हो नहीं।। तो मेरी ज़िन्दगी का फ़ैसला करने वाली आप या भाई कौन होते हैं। 

और रवि ने वादा किया है कि मुझसे शादी के बाद वो सब छोड़ देगा। 

और अब उस बारे में मुझे कुछ बात नहीं करनी। 

अपनी भाभी के लाख समझाने पर भी श्रेया को समझ नहीं आया और वो लगातार अपने भाई और भाभी के खिलाफ़ और विष उगलती गई। 

लेकिन श्रेया के भाई भाभी किसी भी क़ीमत पर श्रेया की ज़िन्दगी बर्बाद होते नहीं देख सकते थे, इसलिये उन्होंने श्रेया के लिए एक अच्छा रिश्ता देख कर शादी पक्की कर दी।। 

उस रोज़ श्रेया ने घर में जो आतंक मचाया उसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी। 

रात का मौक़ा देख कर श्रेया घर से भाग गई।। 

श्रेया के भाई भाभी इस हादसे के बाद पूरी तरह टूट गए थे, अब इस घर और शहर में रहना उनके लिए मुश्किल हो गया था,नाते रिश्तेदार भी उन्हें ही दोषी ठहरा रहे थे, कि श्रेया की माँ होती पिता होते तो बच्ची इनसे तंग आकर ऐसा क़दम ना उठाती। 

इतना सुनने सहने के बाद भी श्रेया के भाई भाभी ने किसी से श्रेया और रवि के affair के बारे में नहीं बताया, वो ख़ुद ही ये शहर छोड़कर दूसरे शहर चले गए। 

वहाँ एक नए सिरे से ज़िन्दगी शुरू की। 

धीरे धीरे ज़िन्दगी पटरी पर आने लगी लेकिन उस दिन भैया भाभी ने जो देखा उसकी कल्पना भी उन्होंने नहीं की थी। 

भाभी सुधा की तबियत ख़राब रहने की वजह से भैया राज ने घर पर कामवाली रखने का सोचा। उन्होंने कई लोगों से कामवाली के लिए बोल रखा था। कुछ औरतें आई भी लेकिन राज और सुधा को वो नहीं जँच सकी। 

और शाम फ़िर एक कामवाली आई, जैसे ही राज ने दरवाज़ा खोला, उसके सामने एक मैली कुचेली साड़ी में एक कमज़ोर सी औरत एक छोटी सी बच्ची का हाथ थामे खड़ी थी। 

उसे औरत को देखते ही राज ज़ोर से सुधा का नाम लेकर चिल्लाया।सुधा घबराकर जैसे ही दरवाजे पर आई कुछ पल को वह खड़ी की खड़ी रह गई क्योंकि आज उसने और राज ने जो देखा वह कभी सोचा भी नहीं था ।उनके दरवाजे पर उनकी श्रेया खड़ी थी, जिसकी हालत बता रही थी कि वह किन परेशानियों से गुज़र रही है। राज और सुधा को अंदाजा लगाते देर ना लगी कि उसके साथ आई वह लड़की श्रेया की बेटी है और शादी के बाद उसका क्या हाल हुआ होगा जो वह इस तरह दर-दर की ठोकरे खा रही है। 

सामने अपने भाई भाभी को देखकर श्रेया भी अवाक रह गई,उसकी नज़रें शर्म और पछतावे से झुक गई और वह वापस जाने को मुड़ी लेकिन सुधा ने उसका हाथ पकड़ कर उसे गले से लगा लिया , शायद श्रेया इसी वक्त का इंतजार कर रही थी इसलिए कई सालों बाद फूट-फूट कर रो पड़ी और उसने अपनी सारी आप बीती

अपने भाई और भाभी को बताई ।श्रेया ने बताया की शादी के बाद से रवि लगातार उससे पैसों के लिए काम करवाता रहा है और वह बिल्कुल नहीं बदला बल्कि और बिगड़ गया है और अब उसने किसी और औरत से शादी कर ली है, इसलिए अपनी बेटी को लेकर वो घर-घर जाकर काम करती है। यह सब सुनकर राज और सुधा की आंखों में झर झर आंसु बहने लगे। 

सुधा ने उठ कर श्रेया की बेटी को सीने से लगा लिया और भगवान का लाख शुक्र अदा करते हुए कहा कि मेरी एक बेटी खोई थी और आज भगवान ने मुझे दो बेटियां लौटा दी हैं। 

यह सब सुनकर श्रेया ने कहा भाभी मैं इस लायक नहीं हूं, मैंने आपके और भैया के बारे में बहुत विष उगला है, जिसकी कोई माफी नहीं है। मुझे जाने दीजिए। सुधा और राज ने श्रेया का हाथ अपने हाथों में लेकर कहा कि बच्चे गलती करते हैं और मां-बाप उन्हें माफ करते हैं, यही मां बाप का फर्ज होता है, हमें तुमसे कोई शिकायत नहीं है। 

और अब तुम यहीं रहोगी हमारे साथ और हम अब अपने दोनों बेटियों को कभी हमसे जुदा नहीं होने देंगे । यह सब सुनकर श्रेया अपने भाई और भाभी के पैरों में गिर पड़ी और अपने उगले हुए विष और उनकी बेइज्जती की, उनसे माफी मांगी जिसके बाद दोनों ने उसे उसकी बेटी को गले लगा लिया। 

श्रेया को आज एहसास हो गया था कि अपनी नादानियों में अपनों के खिलाफ विष उगलना बहुत आसान है लेकिन इतना कुछ होने के बाद भी जो दिल से अपना ले वही अपने होते हैं, आज उसे पहली बार महसूस हो रहा था कि उसके भाई भाभी ने उसके लिए उसके सगे मां-बाप से भी ज्यादा किया है यह सब सो कर श्रेया अपने भाई और भाभी के गले लग पड़ी ।

शनाया अहम

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