विदेश जाने की चाहत पूरी हुई तुम्हारी,पर मेरा क्या??? – सुषमा यादव

कुछ दिनों से सर्दी खांसी हो गई थी शिवानी को, घरेलू उपचार भी किया, एलोपैथिक दवाएं भी खाई ,पर खांसी जाने का नाम ही नहीं ले रही थी,, वो जल्दी किसी डॉक्टर के पास नहीं जाती,पर जाना पड़ा,, अकेले ही रहती है, ज्यादा तबियत ना ख़राब हो जाये, नहीं तो अकेले अपने आप को कैसे संभालेगी।

विदेश से बेटियों के प्रतिदिन नियम से फोन आते, वीडियो कालिंग भी काफी देर तक होती,,

मां की तबियत ठीक नहीं है, परेशान हो गईं हैं।

दोनों बेटियों ने कहा,, आप जल्दी से जल्दी डाक्टर को दिखाओ।

शिवानी गई, उन्होंने एक्सरे, और ब्लड टेस्ट के लिए लिखा, जैसे ही डाक्टर ने रिपोर्ट देखी, फौरन कहा, आप कहीं बाहर जा कर दिखाइए। पर डाक्टर साहब, ऐसा क्या हुआ है, आप मेरा इलाज करिए, मैं बाहर क्यों जाऊं। आप समझ नहीं रहीं हैं, मैं आपका इलाज नहीं कर सकता। यहां कहीं आप का इलाज नहीं हो सकता। जितनी जल्दी हो सके आप बाहर जा कर दिखाएं।

शिवानी दर्द भरी मुस्कान के साथ बोली, जी ठीक है,, साथ ही मन में बुदबुदाई , आप मत बताइए,, मैं सब समझती हूं,,आप मुझे बताना नहीं चाहते।

बाहर निकल कर शिवानी कार में बैठ कर खूब रोई,, जैसे ही घर पहुंची, बड़ी बेटी का वीडियो कालिंग हुआ,, मम्मी, क्या निकला रिपोर्ट में,, क्या कहा, डाक्टर ने। शिवानी ने आंखें झुकाते हुए कहा, कुछ नहीं,,सब ठीक है। थोड़ा सा गले में इंफेक्शन है,दवा लिखा है,सब ठीक हो जाएगा।

मम्मी आप झूठ बोल रही हैं,, आपका चेहरा बता रहा है। मां ने कहा, मुझे दवा खाना है, बाद में बात करती हूं और फोन काट दिया।

थोड़ी देर बाद दोनों के एक साथ फोन आने लगे,, शिवानी ने अपने दिल को कड़ा किया, और फोन पर आ गई,,

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हां तो मम्मी, सही सही बताना, डाक्टर ने क्या कहा और रिपोर्ट भेजो, फोटो खींच कर।

शिवानी ने कई बहाने बताए, मुझे फोटो खींचना नहीं आता, बहुत सारे पेपर हैं,आप झूठ बोल रही हैं। मम्मी, मुझे सब पता है,आप छुपाने की कोशिश मत करिए,

मां को लग रहा था,,कि वो अपनी बेटियों को क्यों परेशान करे, उन्हें बहुत झटका लगेगा जब वो बता देगी कि डॉक्टर ने बाहर जाकर इलाज करने को कहा है।

अंत में हारकर उसने सब बता दिया और रिपोर्ट की फोटो भी भेज दिया।

शिवानी ने रोते हुए कहा,, बड़ी बेटी तो पहले से ही बाहर चली गई थी,, सोचा, तुम मेरे पास रहोगी, लेकिन तुम्हारी भी चाहत बन गई, विदेश जाने की,। पर तुम दोनों ने बिल्कुल ही नहीं सोचा मेरे बारे में,, मैंने भी भगवान से प्रार्थना किया कि जो भी तुम्हें चाहिए वो सब खुशियां तुम्हें मिले, जहां जाना चाहती हो चली जाओ, और तुम भी चली गईं,

तुम्हारी विदेश जाने की चाहत तो पूरी हो गई, वहां भी तुम एक सफल डाक्टर बन कर प्रसिद्धि की शिखर छू रही हो,,पर मेरा क्या??????? मैं अब क्या करूं,

अकेले कहां जाऊं,, मैं बताना नहीं चाहती थी,पर तुमने मजबूर किया,,बताने के लिए।

कुछ देर तक खामोशी रही, फिर छोटी बेटी बोली,, मम्मी,, आराम से चुपचाप मेरी बातें ध्यान से सुनिए।

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 ये निर्णय हम दोनों बहनों का था, हमें तो आपकी इस बीमारी के बारे में पहले से ही सब पता था, हमने ये तय किया था कि हम सब एक साथ रहेंगे,, वहां हम और आप रहते यहां दीदी अकेले ही परेशान होती, अपनी नौकरी छोड़ कर तो वहां हमेशा के लिए नहीं आ सकती है ना,अब हम मात्र तीन घंटे की दूरी पर हैं,, आपको हम यहां ले आयेंगे, यहीं आपका इलाज चलेगा,, मैं यहां पर हूं पर दिल्ली के डाक्टर से मेरा संपर्क बराबर बना हुआ है,, मैं आपकी जांच हर तीन महीने में क्यों करवाती हूं, वो सारी रिपोर्ट डाक्टर को भेजती हूं, अभी आपको चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है,,पर डाक्टर ने तो फौरन बाहर जाने को कहा है,, हां मम्मी, क्यों कि वो जानते नहीं हैं,कि आपकी कई तरह की जांच हो चुकी है, मुझे और यहां के डाक्टर को सब पता है,, जैसे ही आपको कुछ विशेष लक्षण शुरू हो जायेंगे, वैसे ही मैं आपको लेकर यहां आ जाऊंगी,, आपने ये कैसे सोच लिया कि आपको हम अकेले छोड़ देंगे,, पापा के बाद तो आप ही हमारी सब कुछ हैं।



इतने में बड़ी बेटी तपाक से बोल पड़ी,, नहीं, मैं आ रहीं हूं, अरे तुम्हारा इतना छोटा दो महीने का बेटा और तीन साल की बच्ची को लेकर विदेश से कैसे आओगी, 

मम्मी, बच्चे केवल मेरी ही जिम्मेदारी नहीं है,, बच्चों को उसके पापा, दादा और दादी देखेंगे, उनकी भी जिम्मेदारी बनती है ना,,इस समय मेरी मां मेरी प्राथमिकता है, और मां को मैं अकेले नहीं छोड़ सकती, मैं आकर आपका इलाज बढ़िया अस्पताल में कराऊंगी,चाहे मुझे जितने दिन भी रहना पड़े,,

शिवानी ने घबराकर कहा, नहीं, तुम इतने छोटे से बच्चे को छोड़कर नहीं आओगी,, परंतु अंदर से उसे बहुत खुशी हुई कि मेरी दोनों बेटियों को मेरी कितनी चिंता है, मैं व्यर्थ में ही घबरा रही थी।

छोटी बेटी ने कहा, किसी को कहीं जाने की जरूरत नहीं है, जैसे ही डाक्टर इलाज शुरू करने को कहेंगे, मैं लेकर आ जाऊंगी, दीदी तुम तो मम्मी का सब इलाज करवा सकती हो ना, तुम्हारे हेल्थ पालिसी में मम्मी का नाम भी शामिल है,,है ना, तो बस यहां की ठंड कम होते ही हम मम्मी को बुला लेंगे,,अभी तो कोई लक्षण शुरू ही नहीं हुआ है,,

शिवानी ने सोचा,हम सब एक दूसरे से सब छुपा रहे थे,पर सच सबको पता था,

बड़ी बेटी ने समझाते हुए कहा,, मम्मी, परेशानियों से घबराकर सच को छुपाना नहीं चाहिए, बल्कि उसका समाधान ढूंढना चाहिए,,अब आप कुछ नहीं छुपाएंगी,सब सही सही बताएंगी, वादा करिए,

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शिवानी ने मुस्कुराते हुए कहा, हां बेटा, तुमने सही कहा,,अब मैं कुछ नहीं छुपाऊंगी, वादा रहा। इतने में पीछे से दामाद जी ने आकर कहा,, मम्मी जी,,जो भी होगा हम सब मिलकर उसका सामना करेंगे,,आप अकेली नहीं है हम सब आपके साथ हैं,

आप जरा भी चिंता ना करें।

शिवानी ने खुशी खुशी सबको शुभ रात्रि कहा और सुकून से नींद की आगोश में चली गई,,

इस तरह विदेश जाने की बेटी की चाहत क्यों थी, शिवानी को सब समझ में आ गया कि भविष्य में कोई बड़ी परेशानी आये तो हम सब एक साथ रहकर उसे सुलझाएं।

#चाहत 

सुषमा यादव, प्रतापगढ़ उ प्र,

स्वरचित मौलिक अप्रकाशित

 

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