#जादुई_दुनिया
वसुंधरा नाम था उसका,सब उसे धरती की बेटी कहते थे।उसके माँ-पापा का कोई पता नहीं था। एक सुबह सुखिया मजदूरी करने के लिए खेत पर गई तो वह उसे खेत की मेड़ पर पड़ी मिली थी। छोटी सी मासूम,गुलाब की पंखुड़ियों से होंठ,रूई सा सफेद रंग था उसका।भूरे रेशम से मुलायम बाल एक रेशमी कपड़े में लपेटी हुई, ठंड से कांप रही थी।
जादुई गुड़िया जैसी दिख रही थी। सुखिया ने अपनी तगारी नीचे रखी और उस बच्ची को उठाकर सीने से लगा लिया।शरीर की गर्मी से मासूम को सुकून मिला,उसने धीरे से आँखें खोली, उसकी आँखों में एक चमक थी। सुखिया ने खेत में काम कर रहै अन्य मजदूरों को भी बताया। खेत के मालिक ने उसे पुलिस के हवाले करने की बात की।
पुलिस बुलाई गई, सुखिया की इच्छा नहीं थी उस बच्ची को देने की। उसने सभी से प्रार्थना की कि वे बच्ची को उसके पास रहने दें। कुछ लिखा पढ़ी के बाद बच्ची को सुखिया को सौंप दिया गया। अनाथ बच्ची को सहारा मिल गया और सुखिया के सूने जीवन में भी बहार आ गई। वसुंधरा जब से उस बस्ती में आई थी, सभी के जीवन में खुशियां छा गई थी,किसी के पास किसी चीज का अभाव नहीं था।आपसी प्रेम भी बढ़ गया था और सब मिलजुल कर साथ में रहते थे,
फसलें लहलहा रही थी और नदियां कल-कल करके बह रही थी। फूलों की महक से सारा वातावरण महकने लगा था।सर्वत्र शांति फैल गई थी, इतना परिवर्तन जैसे किसी ने जादू कर दिया हो। वसुंधरा अब १४ वर्ष की हो गई थी,वह सुखिया के कामों में हाथ बटाती, सबसे मीठा बोलती, सुंदर तो वह इतनी थी कि जो देखता, देखता ही रह जाता उसके चेहरे पर जादुई आभा थी,
होंठों पर मुस्कान होती,हँसती तो मानों फूल झरते थे।उसे रोते हुए कभी किसी ने नहीं देखा था, डर का नामों निशान नहीं था उसके जीवन में, बिल्कुल सादा लिबास और साधारण सी दिखने वाली वसुंधरा की नजर पूरी बस्ती पर रहती, वह सोते समय जादुई ख्वाब बुनती और सभी की जरूरतें पूरी करती। जब कोई मनचला फितरे कहता,या कुछ मजाक करता तो सुखिया, वसुंधरा को सावधान करती बेटा इन सबसे सम्हल कर रहना अब तू बड़ी हो रही है,जमाना खराब है।वह कहती क्यों डरती हो आप,कुछ नहीं होगा और सचमुच वसुंधरा में कुछ ऐसी शक्ति थी कि कोई उसे छूना तो दूर उसे गलत दृष्टि से देख भी नहीं पाता था। बस्ती के सभी लोग सुरक्षित थे, खुश थे समझ ही नहीं पा रहै थे कि ये परिवर्तन हुआ कैसे, उनकी नज़रों में वसुंधरा उनकी ही तरह थी, जिसे सुखिया ने पाल पोस कर बड़ा किया था। कौन थी वसुंधरा? कहां से आई थी?यह कोई नहीं जानता था बस पूरी बस्ती स्वर्ग सी हो गई थी।वहां सिर्फ और सिर्फ खुशियां छाई हुई थी,जादुई दुनिया की तरह।
प्रेषक-
पुष्पा जोशी