स्निग्धा ,मेरी बात सुन ,दो दिन से देख रही हूँ ।दादी बहुत उदास हैं पता नहीं क्या बात है?
हाँ ,सही कह रही हो ।मैंने भी देखा कल चुप चाप अपने कमरे में बैठी आँखें पोंछ रही थी।
सुविधा ने अपनी बहन की बात का समर्थन करते हुए कहा।
चलो, मम्मी से पूछते हैं ,शायद उन्हें पता हो
” मम्मी ,दादी को क्या हुआ है ?” दोनों ने पूछा।
मुझे भी ठीक से पता तो नहीं पर शायद उन्हें उनका मायका याद आ रहा है। बहुत दिनों से वहाँ जाने की बात तो कर रही थीं।
चलो पूछते हैं ।दादाजी को भी ले चलते हैं
और सब लोग दादी के पास पहुंचे ।
बहुत मान मनुहार के बाद ,बड़ी मुश्किल से रुलाई रोकते हुए बोलीं , तीन साल हो गए भाई भाभी से मिले ।इस बार सोचा ,मिल आऊंगी पर …… कहते हुए वो रो पड़ी
अरी भाग्यवान ! साठ साल की हो गई ।अभी तक मायके को मोह खत्म नहीं हुआ । दादी – नानी बन गई । अब छोड़ इन सब बातों को।
दादाजी चुहल करते हुए बोले ।
सुनते ही दादी का गुस्सा सातवें आसमान पर था ।
बोलीं , सारी जिंदगी अपने माँ बाप के साये में रहे । तुम क्या जानो पीहर और पीहर का मोह!
जाओ सब यहाँ से ।मुझसे कोई बात न करो।
मामला बिगड़ते देख दादाजी वहां से खिसक गए।
स्निग्धा और सुविधा ने पहले उनके आंसू पोंछे ,पानी पिलाया फिर पूछा अच्छा ,हम आपको यहीं बैठे -बैठे मायके में सबसे मिलवा दें तो ! कहते हुए उन्होंने दादी के मायके में वीडियो कॉल कर दिया ।
और ये लो ! दादी के भाई ने ही कॉल उठाया ।
स्निग्धा -सुविधा ने उनको नमस्ते किया और दादी को फ़ोन पकड़ा दिया ।
दादी अपने भाई को देखते ही फिर रो पड़ीं।
पर इस बार आँसू खुशी के थे।दादी अपने भाई भाभी ,भतीजों से मिल रही थीं ।शरीर अपने गांव में था ।मन , आत्मा से मायके पहुँच गई थी।
स्निग्धा -सुविधा अपनी विजय पर मुस्कुरा रहीं थीं।
बाद में दादी बोली ,तुम दोनों अब रोज मुझे मायके ले जाना ।
जी दादी ,कहकर दोनों पोतियां दादी के कंधों पर झूल गईं।