वैवाहिक स्वर्णजयंती-नीरजा कृष्णा

आज उनकी पचासवीं वैवाहिक वर्षगांठ है…. उन दोनों को बड़ा अरमान था अपने जीवन के इस विशेष दिवस को धूमधाम से मनाने का। वो अपने दोनों बच्चों, बहू दामाद, नाती पोते… सबको इस दिवस के लिए याद दिलाती रहती थी…बहू ने तो बहुत उत्साह से कहा भी था,”आप देखिएगा ना, हमलोग कितने बढ़िया से सब कुछ करेंगे…ये दिन आप दोनों का ही नहीं, हम सबके लिए बहुत ही विशेष और यादगार दिन साबित होगा… आप देख लीजिएगा।”

क्या बेटा बेटी..क्या बहू दामाद… सब पिछले एक वर्ष से मन ही मन प्रोग्राम बना रहे थे…प्यारे मम्मी पापा के लिए सब कुछ नया और यादगार करना चाहते थे…बेटा बेटी का परिवार मुंबई में और वो दोनों दिल्ली में थे….ये अचानक लॉकडाउन का बम गिर गया… सब अपनी अपनी जगहों पर फँस गए।

वो कहते हैं ना…होता वोही है जो मंज़ूरे खुदा होता है…. वो शुभ दिन भी आ गया… वो सुबह से ही उदास और दुखी थी…अपने बच्चे नाती पोते बहुत याद आ रहे थे…इसी तरह सुबह से शाम इंतजार में निकल गई पर किसी का फोन तक नही आया… एकाध मित्रों के तो आए….उन्होनें कई बार खाने के लिए कहा…पर वो टस से मस नही हुई।शाम को डाक्टर साहब ने तैयार होने को कहा तो एकदम भड़क गई,”क्यों किसके लिए तैयार होना है… किसको हमारी परवाह है… किसी का झूठे को भी फोन नही आया।”

“भई, किसी को हो ना हो…हमें तो तुम्हारी परवाह है… हमारे लिए ही आज तैयार तो हो जाओ।”

पर उनको नही मानना था….वो नही ही मानी…तब तक उन्होने लैपटॉप चालू कर दिया… सारा परिवार जुड़ता चला गया…. बधाइयों के ताँते लग गए… उनका तो खुशी के मारे बुरा हाल था…वो मंद मंद मुस्कुराते रहे… अचानक उनकी छठी इंद्रिय जागृत हो गई,”अच्छा जी! तो इस साँठ गाँठ में तुम भी शामिल थे ना।”

उन्होंने प्यार से उनका माथा थपथपा दिया… तब तक पोतू जी चिल्लाऐ,”दादू! दादी को चॉकलेट खिलाइए ना ।”

“ओह ,हाँ हाँ, ” कहते हुए दौड कर फ्रिज से दो चॉकलेट निकाल कर उनको खिलाने लगे…पर वो तो फिर रूठ गई थी,”तुमने इन सबके साथ मिल कर मुझे कितना तड़पाया है।”

अब बेटी विभा बोली,”अरे मम्मी, अब तो मज़ा आ रहा है ना…चलो आप भी तो पापा को खिलाओ।”

उन्होंने मुँह फेर कर उनकी तरफ़ चॉकलेट बढ़ा दी….दामाद जी हँसे…. देखो जी किरण सी लहराई…आई रे आई रे हँसी आई…और वो खिलखिला पड़ी…तभी बेटा चिल्लाया,”पापा, जल्दी से मम्मी के बालों में गजरा तो लगाइये।”

“पर देखो ना , जिद्द में बाल तक बनाए।”

अब बहू ने चुटकी ली,”कोई बात नही पापा, मम्मी ऐसे ही कितनी सुंदर लग रही हैं।”


“हाँ सो तो है।” कह कर वो गजरा लगाने लगे तो उनका हाथ झटक कर इतराई,”अब बच्चों के सामने इतने चोंचले मत दिखाओ।”

पर गजरा उनके बालों में लग गया और सबने जोरों से तालियां बजाई…तभी बेटे ने फरमाइश दागी,”आज के दिन मम्मी के लिए कुछ प्यारी सी बात कहिए।”

वो गला खँखार कर बोले…

“जो तुमको हो पसंद वोही बात करेंगे।”

वो शरमा गई,”अब क्या फायदा?जिंदगी तो तुम्हारे आगे पीछे नाचने में ही निकल गई।”

वो पुनः मुस्कुरा दिए..तब तक फिर फरमाइश…”मम्मी ,अब आप कुछ बोलिए।”

उन्होंने  बहुत धीमे से,”ये लो मैं हारी पिया” बोल कर अपने आँचल में मुँह छिपा लिया… वो मुग्ध होकर बोले,”देखो देखो, इतना तो ये शादी वाले दिन भी नहीं शरमाई थीं।”

नीरजा कृष्णा

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