Moral stories in hindi : कहते हैं वहम का इलाज हकीम सुलेमान के पास भी नहीं है और सुरेखा तो साधारण मानवी है। पहिरावा, दिखावा से भले ही वह शिक्षित,आधुनिका दिखाई देती है, परंतु बाल्यावस्था से मन में कुछ मनोवैज्ञानिक गुत्थियां अवश्य पाले हुई है।
सुबह जल्दी में थी। गृहिणियों का प्रातकाल वैसे भी बड़ा अस्त व्यस्त रहता है। एक काम पकड़ो तो दुसरा छूटा हाथ से।
खैर, पति को चण्डीगढ़ की फ्लाइट पकड़नी थी ,”यह क्या?”है
सुरेखा का हाथ अपने गले पर गया।वह चौंक पड़ी।दो टूकडों में बंटा मंगलसूत्र उसके हाथ में था।
फिर क्या था वह बौखला उठी।”सुनते हैं, देखिए मेरा मंगलसूत्र टूट गया। अपशगुन हो गया। आप अपनी यात्रा स्थगित कर दीजिए।”
“क्या, हरीश ने पलटकर देखा। बदहवास सुरेखा टूटा मंगलसूत्र लिए उसी की तरफ देख रही थी।
“कितना बड़ा अनर्थ हो गया, मैं खाली गले कैसे रहूंगी। तुम मत जाओ मेरा दिल
बैठा जा रहा है।”
“पगली”हरीश हंस पड़ा”सोने की चेन थी टूट गई इसमें आश्चर्य क्या है कैसा अपशगुन।”और वह बैग उठा कर चला गया।।
दोपहर में टीवी पर न्यूज आने लगा दिल्ली से चण्डीगढ़ जाने वाला प्लेन क्रैश हो गया। किसी की बचने की संभावना नहीं है।
सुरेखा को काठ मार दिया। टूटा हुआ मंगलसूत्र।
तभी दरवाजे की कुण्डी बजी। सामने हरीश खड़े थे । बदहवास हालत में सुरेखा और टीवी की खबर हरीश सब समझ गऐ।”मैं यहां हूं तुम्हारे पास। तुम्हारा मंगलसूत्र बनवाने के लिए मैंने अपना जाना स्थगित कर दिया। अतः मंगलसूत्र का टूटना हमारे लिए तो शुभ ही हुआ न। सोचों अगर मंगलसूत्र नहीं टूटता तो मैं कैसे रूकता और सभी के साथ मैं भी मारा जाता”
याद रखो सुरेखा मारने वाले से बचाने वाला बड़ा है।
इस तरह छोटी-छोटी बातों पर शुभ अशुभ का वहम निराधार है।
सुरेखा ने ईश्वर का धन्यवाद किया और सदा के लिए इस वहम से मुक्त हो गई।
सर्वाधिकार सुरक्षित मौलिक रचना – डॉ उर्मिला सिन्हा©®