अरे छाया तुम,,कितना सुखद आश्चर्य है न,,कभी सोचा ही नहीं था कि जीवन में कभी मिल पायेंगे,,
हाँ मीता,मुझे भी लग रहा था कि तुम हो,,लेकिन आँखों पर विश्वास नहीं हो रहा था,,तुझे छू के देखूँ,,कहीं सपना तो नहीं,,
आ गले लग जा यार,,इन पलों को सेलिब्रेट करते हैं,,
मिलन की खुशी में दोनों भूल ही गई कि सब मुंह फाड़े उन्हीं को देख रहे हैं,,बच्चों को भी कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि मम्मी को इतना खुश तो कभी नहीं देखा किसी से मिलकर,,आखिर ये हैं कौन,,
पर दोनों के पति जानते थे कि दोनों ही बहुत अच्छी सहेली हैं,,दोनों ने ग्रेजुएशन साथ-साथ ही किया था,,
इसके बाद मीता के पापा का ट्रांसफर हो गया,,उस समय लैंडलाइन फोन हुआ करते थे,,दो चार बार बात हुई और इसके बाद दोनों ही अपनी-अपनी घर गृहस्थी में व्यस्त हो गईं और आज दस साल बाद अचानक इस तरह से मुलाकात हुई,,
जब थोड़ा सहज हुईं तो पति और बच्चों का ध्यान आया,,जब पति को बताना चाहा तो उनके बोलने से पहले ही दोनों बोले,,कुछ बताने की जरुरत नहीं है,हम वैसे ही समझ गये,,
बच्चे भी एक दूसरे को बड़े प्यार से देख रहे थे,,मीता की बेटी सोना 5 साल की थी और छाया का बेटा श्रवण 7 साल का था,,दोनों ही बच्चे बड़े सुंदर थे,,अब तक वो भी जान गये थे कि दोनों की मम्मा बेस्ट फ्रेंड हैं,,
सब साथ में खाना खा रहे थे,,अचानक छाया बोली,,मैं चाहती हूँ कि यह दोस्ती कभी न टूटे,क्यों न आगे चलकर हम रिश्तेदार बन जायें,,
मीता और उसके पति को भी यह बात अच्छी लगी पर उन्होंने कहा कि अगर सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो कोई परेशानी नहीं होगी,रिश्ता बनाने में,,
लेकिन इसके लिए पहले श्रवण को पढ़ लिखकर अच्छा और काबिल इन्सान बनना होगा और इसके बाद भी दोनों की सहमति से ही यह रिश्ता तय होगा,,क्योंकि हो सकता है कि जीवन के सफर में दोनों को ही कोई हमसफर मिल जाये,,
इस बात पर सभी सहमत थे,,बच्चे भी सब बातें सुन रहे थे,,
धीरे-धीरे समय गुजरता गया और छाया और मीता की दोस्ती भी और अधिक प्रगाढ़ होती गई,,दोनों जब तक फोन पर बात न कर लेतीं ,,चैन नहीं मिलता लेकिन रिश्ते के बारे में कोई बात नहीं करतीं,,दोनों ही इन्तज़ार कर रही थी,,उचित वक़्त और शुभ घड़ी का,,
सोना आई आई टी कानपुर से पढ़ाई कर रही थी जबकि श्रवण यूपीएससी की तैयारी कर रहा था,,कभी-कभार दोनों की बातचीत हो जाती थी जो कुशलक्षेम पूछने तक ही सीमित थी,,
आज रिजल्ट आने वाला था,,दोनों ही परिवार बड़ी बेचैनी के साथ इन्तज़ार कर रहे थे,,जैसे ही पता चला कि श्रवण ने टॉप किया है,,सबकी खुशी का पारावार न रहा,,
ट्रेनिंग पर जाने से पहले छाया ने बेटे से पूछा कि तुम्हें कोई लड़की पसंद तो नहीं है,,
इस पर वह बोला,,माँ मैं जानता हूँ कि आप हमेशा से सोना को अपनी बहू बनाना चाहती हैं,, आपके वादे का सम्मान रखना मेरा फ़र्ज है और सोना को अपनी जीवन संगिनी बनाकर मुझे बहुत खुशी होगी लेकिन आप एक बार उससे पूछ जरूर लें कि वह क्या चाहती है,,
हाँ,एक बात और,,अब बहुत लोग मेरे लिये रिश्ता ले कर आयेंगे और दहेज़ का लालच भी देंगे पर आप अपनी दोस्ती का मान रखना और अपने आत्मसम्मान को बनाये रखना,,
इधर जब मीता ने सोना से पूछा तो वो शरमा कर भाग गई,,धूमधाम से विवाह सम्पन्न हुआ,,आज दोनों बहुत खुश हैं और कभी-कभी मज़ाक में कह देते हैं कि आपने तो हमारा बालविवाह कर दिया,,
#आत्मसम्मान
कमलेश राणा
ग्वालियर