इस बार मयंक और नव्या को अचानक आया देख मानवी जी और निलेश जी की ख़ुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा।
माँ पापा, इस बार हम आप दोनों को यहां से हमेशा के लिए ले जाने आये हैं, हमें वहाँ आप दोनों की कमी बहुत खलती है, इस बार हम आप दोनों की एक नहीं सुनेंगे।।।
रात को खाने के वक्त मयंक ने अपने माँ पापा से अपने दिल की बात कही तो नव्या भी बोल उठी, जी पापा, मम्मी इस बार अगर आप नहीं चले तो हम फ़ैसला कर के आये हैं कि ऐसी नौकरी ऐसा देश ही छोड़ देंगे जो हमें हमारे माँ बाप की छाया से दूर करे।। हम भी रहीं आपके साथ रहेंगे।।।
कुछ दिन पहले ही तो मयंक और नव्या कनाडा से इंडिया आये थे , दो साल बाद मयंक को ऑफिस से छुट्टी मिल पाई थी और इस बार मयंक और नव्या ने सोच रखा था कि माँ पापा को साथ ही लेकर जाना है. मयंक को कनाडा में रहते हुए हर पल माँ पापा की चिंता खाये जाती थी और बहु नव्या भी माँ पापा को साथ ही रखना चाहती थी, वो दोनों हर बार नीलेश और मानवी जी को साथ ले जाने की ज़िद करते लेकिन नीलेश और मानवी जी ये कहके मना कर देते कि वो अपना बुढ़ापा यहीं इसी घर इस शहर में गुज़ारना चाहते हैं।
लेकिन इस बार मयंक ज़िद करके बैठा था कि इस बार वो माँ पापा को अपने साथ लेकर ही जायेगा।
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इतने में मयंक के सास ससुर मिलने के लिए आये, लेकिन उन्हें देखकर ऐसा लग रहा था की वो सिर्फ अपनी बेटी से मिलने आये हैं बाक़ी घरवालों से उन्हें कोई मतलब वास्ता नहीं है। नव्या के माता पिता सिर्फ नव्या के आने पर ही उसके ससुराल उससे मिलने आते , उन्होंने नव्या के सास ससुर से कभी कोई मतलब वास्ता रखा ही नहीं उन्हें सिर्फ अपनी बेटी और दामाद से मतलब था।
इस बार भी नव्या के माता पिता आये , नव्या ने सास के साथ मिलकर उनकी खातिरदारी की लेकिन उन दोनों ने ही नव्या के सास ससुर को कोई तवज्जोह न देकर सिर्फ नव्या और मयंक से बात करनी जारी रखी।
ये बात सभी ने महसूस की।।।
नव्या मामले की गम्भीरता को समझते हुए अपने माता पिता को अपने कमरे में ले गई और उनसे बोली “माँ पापा, आपको कोई हक़ नहीं बनता मेरे सास ससुर के साथ ऐसा बर्ताव करने का, हर बार आप उन्हें अनदेखा करते हो, आप आज अच्छे से सुन लीजिए वो सिर्फ मयंक के ही नहीं मेरे भी मम्मी पापा हैं और ये घर उनका ही है जहाँ आप खड़े हैं।
मैं तो इसे कई बार समझा चुका हूँ, लेकिन ये समझने को तैयार ही नहीं है। मुझे भी नहीं बोलने देती, नव्या के पिता सुधीर जी ने बेबसी से बेटी से कहा।
नव्या, अभी तुम बच्ची हो, बात समझ नहीं पा रही, कितने नाज़ों से हमने तुम्हें पाला था, तुम्हारी ज़िद के आगे मजबूर होकर मयंक से शादी कर दी, जबकि हम इन लोगों से कही ज़्यादा बड़े लोग हैं। तुम शादी से अब तक सास के आगे पीछे लगी रहती हो अगर ऐसा चलता रहा तो वो दिन दूर नहीं जब मेरी फूल सी बच्ची पर हुक़ूम चलाया जाएगा और मैं वो दिन नहीं आने दूँगी i
देखो, नव्या मै जो कह रही हूँ ठीक कह रही हूँ, जब जब यहां आती हो एक पैर से इनकी सेवा में खड़ी रहती हो, वो तो शुक्र है तुम दोनों बाहर जॉब करके वही रह रहे हो,,,इन लोगो के साथ रहती तो सारा दिन चक्की की तरह पिसती रहती,,,।।।
माँ, ये तुम क्या क्या सोचे बैठी हो, तुम कैसी माँ हो जो अपनी बेटी को ही ससुराल के खिलाफ़ भड़का रही है
माँ, मुझे शर्म आती है तुम्हारी सोच पर।।।
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और जहाँ तक माँ बाबू जी से दूर दूसरे शहर में रहने की बात है तो इस बार मैं और मयंक स्पेशल छुट्टियां लेकर आए हैं, सिर्फ और सिर्फ मां और बाबूजी को यहां से अपने साथ वहां ले जाने के लिए और मां इस बार मां और बाबूजी जिंदगी भर के लिए हमारे साथ अपने वहाँ के घर में रहेंगे।।।
नव्या की ये बात सुन कर उसकी माँ को काटो तो ख़ून नहीं,,, वो कुछ बोलने ही लगी थी कि नव्या के पिता जी बोल उठे, अब तो सुधर जाओ सुधा, तुमने आज ख़ुद देख लिया कि तुम्हारी ख़ुद की बेटी तुम्हारे जैसी बहु नहीं है और उसे बनाने की कोशिश भी न करो, तुम एक अच्छी बहु तो कभी नहीं बन पाई एक अच्छी माँ तो बन जाओ,,,नव्या के पिता जी ने ताना मारते हुए कहा।
लेकिन मैं तो नव्या की भलाई ही चाहती थी कि मैं नहीं चाहती कि मेरी बच्ची की उम्र सेवा में गुजरे उसके खुद के भी सपने हैं खुद की भी चाहते हैं,नव्या की मां उसका हाथ थामते हुए बोली।
नहीं मां तुम मेरी भलाई नहीं चाहती तुम सिर्फ मेरे सास ससुर की बुराई चाहती हो, अगर तुम भलाई चाहती तो मुझे सास ससुर के खिलाफ कभी ना भड़काती।
मेरे सास ससुर मेरे साथ अपने दूसरे घर जा रहे हैं और वही रहेंगे और अब तुम भी यहाँ से जा सकती हो।।।। और अब मेरे सास ससुर मेरे लिए मेरे ख़ुद के माँ बाप से भी पहले हैं,,, ये मुझे दादी सीखा कर गई है
मेरे पास दादी के दिये संस्कार है और मैं दादी के दिये संस्कारों की धज्जियां कभी नहीं उड़ाऊंगी। अब तुम यहाँ से जा सकती हो माँ।।।
नव्या ने गुस्से में अपनी मां से कहा, तभी उसके सास ससुर और मयंक अंदर आ गए ।।।सास ससुर ने नव्या को डांटते हुए कहा, नव्या यह किस तरह से अपनी मां से बात कर रही हो, आखिर उन्होंने तुम्हें जन्म दिया है अपनी मां से माफी मांगो।
नव्या के माफी मांगने से पहले ही नव्या की मां नव्या की सास के आगे हाथ जोड़कर खड़ी हो गई और उनसे माफी मांगते हुए शर्मिंदा हो गई और बोली कि आज मैं नाज़ करती हूं इस बात का कि मेरी नव्या को उसकी दादी ने बहुत ही अच्छे संस्कार देकर पाला है नहीं तो वो भी मेरी तरह एक बुरी बहु बन कर रह जाती ।।।
मैं आपकी गुनाहगार हूँ, मुझे माफ़ कर दीजिए।।।
नहीं सुधा जी, ऐसा मत कहिये, जो हुआ उस पर मिट्टी डालिये
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मानवी जी ने समधन को गले से लगा लिया,,,
नव्या भी आकर सास के गले से लग गई।।।
अपनी बहु का अपने लिए ये प्यार और सम्मान देख कर मानवी जी और निलेश जी की आंखों में आंसू आ गए।। वही मयंक भी नव्या जैसी पत्नी को पा कर गदगद हो उठा जो न सिर्फ उसे बल्कि उसके माँ बाप को भी प्यार करती है, उनका सम्मान करती है।।।
शनाया अहम