उपहार की कीमत नहीं दिल देखा जाता है – खुशी : Moral Stories in Hindi

राशि और राधा दोनों पड़ोसने थी दोनो का रिश्ता बहनों जैसा था।राशि के पति  मदन गांव में खेती ब।ड़ी का काम करते और राधा के पति सुरेश सरकारी स्कूल में अध्यापक थे। गांव का स्कूल छोटा था और सुरेश तरक्की के सपने देखता था।कई बार मदन उसे कहता भी यहां सब कुछ तो है खुला घर ताजी हवा अच्छा खाना सुकून तुझे और क्या चाहिए।

सुरेश कहता मै तरक्की करके शहर जाऊंगा बच्चों को भी वही पढ़ाऊंगा।कुछ दिनों में सुरेश की मेहनत का परिणाम निकल आया और उसकी ट्रांसफर शहर हो गई।सब बहुत दुखी थे क्योंकि एक दूसरे का साथ छूट रहा था। राशि और राधा सोच रही थीं कैसे रहेंगी अलग अलग तब तो स्मार्टफोन  का भी जमाना नहीं था कि फ़ौरन कॉल किया और बात हो गई।

खैर राघा और सुरेश का परिवार शहर आ गया।राधा का अकेले यहां मन नहीं लगता था इसलिए उसने अपने सास ससुर को भी अपने पास बुला लिया पर वो कुछ दिन रह कर चले गए क्योंकि गांव का खुला पन शहरों में कहा ताजी हवा,अच्छा खाना पीना। कुछ सालों में सुरेश बच्चे शहरी रंग में रंग गए।राधा ने भी एडजस्ट कर लिया था पर फिर भी उसका दिल गांव से जुड़ा था।

अब तो वो जब तब राशि से फोन पर बात कर लेती।पर अब सुरेश मदन से कम बात करता कभी मदन बात भी करना चाहता तो कोई बहाना बना देता।  मदन का बेटा जतिन पढ़ने में बहुत होनहार था उसका upsc में सिलेक्शन होना था वो उसका पेपर देने शहर आया।राधा ने राशि को पहले ही बता दिया कि जतिन आने वाला है ।

राधा ने कहा कि जतिन यही रहेगा।राधा के आग्रह पर जतिन उनके घर आया पर उसे सुरेश , अमित और नित्या का व्यवहार उसे समझ नहीं आया और वो पेपर देकर सीधा अपने घर आ गया उसने अपने माता पिता को बताया कि मौसी को छोड़ बाकी सब बदल गए है।मदन बोला ये चीज तो मैने भी महसूस की है।

अब। वो बदल गए हैं।  उनसे दूरी ही ठीक है।जतिन का upsc में सिलेक्शन हो गया और वो उसी शहर में कलेक्टर बन कर गया जहां रश्मि रहती थी।राशि ने ये खुशखबरी राधा को सुनाई राधा बहुत खुश हुई।सुधीर को उसने बताया तो सुधीर बोला चलो मदन के बेटे ने तो तरक्की की।इधर  सुरेश के बच्चे भी पढ़ लिख कर अच्छी जगह लग गए।

राधा की बेटी नित्या की शादी तय हो गई राधा ने गांव में अपने सास ससुर से कहा कि मैं तो बुलाएंगी पर आप भी उन सबको ले कर आएगा। नित्या की शादी से तीन दिन पहले ही मदन का परिवार और दादा दादी राधा के घर आ गए।मदन इतना सामान लाया था जिससे शादी में कोई परेशानी ना हो कैटरिंग कि सारी जिम्मेदारी उसने अपने सर ले ली।सुरेश को तो पता भी ना चला कि कैसे सब काम हो गए। राशि नित्या के लिए बहुत सुंदर सारी और हार लाई थी ।वो उसने सोचा था कि वो नित्या को शादी मै देगी।

उधर नित्या,राधा उसकी दादी के पास बैठी थीं। नित्या बोली मां तुमने इतने पहले से इन सब को बुला लिया इन्होंने तो हमे कोई उपहार भी नहीं दिया। दादी बोली

उपहार की कोई कीमत नहीं होती उन्होंने जो उपहार हमे दिया है वो कोई नहीं दे सकता तेरे पापा की नौकरी की सिफारिश मदन ने की पर सुरेश को लगता मै अपने दम पर आगे आया हूं उसी के साथ परायों जैसा व्यवहार तेरे बाप को लगता है वो एक फोन करता है पूरे दिन में उसकी इतिश्री हो गई पीछे से डॉक्टर हर जरूरत कौन पूरी करता है मदन।

अरे उनका दिल देखो तुम्हारे पराए पन के बाद भी तेरी शादी की सारी जिम्मेदारी मदन ने उठा रखी है।बेटी उपहार की कोई कीमत नहीं होती दिल होता है जो तेरे बाप के पास तो नहीं हैं। दरवाजे के बाहर खड़ा सुरेश अपने बर्ताव पर शर्मिंदा था।वो भाग कर मदन के पास गया और उसे गले लगा माफी मांगने लगा।

शोर सुन सब बाहर आए।सभी गिले शिकवे आंसुओं में बह गए और सिर्फ रह गया प्यार सबने खुशी खुशी नित्या की शादी में भाग लिया और जब राशि ने नित्या को सारी और हार दिया तो नित्या बोली आपके प्यार का अनमोल तोहफा मेरे पास है ये सारी और हार मैं सहेज कर रखूंगी।

आपके उपहार से बड़ा आपका दिल है और मैं चाहती हूं मेरा कन्यादान मेरे माता पिता के साथ साथ आप भी करे। मदन और राशि की आंखों में आंसू आ गए । सुरेश राधा ,राशि और मदन ने नित्या का कन्यादान किया।ये अनूठा उपहार बेमोल था जिसमें सिर्फ प्यार था।

स्वरचित कहानी 

आपकी सखी 

खुशी

vm

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