उपहार – रश्मि स्थापक

“नेहा का फोन आया था…।” अविनाश बाथरूम से जैसे ही नहा के बाहर निकला कि पत्नी ने बताया।

“अरे!मैं वही सोच रहा था कि छुटकी आज पहली बार रक्षाबंधन पर दूर है और अभी तक उसका फोन नही आया…मैं खुद ही नहा कर लगाने वाला था…क्या कहा छुटकी ने?”

“आपसे बात करेगी…पर मुझे समझ नहीं आता …बचपन से आप उसकी फरमाइशें पूरी करते आ रहे हो…पर अभी भी वो गिफ्ट की ही बात कर रही है।”

“तो क्या हुआ यार… बड़ा भाई हूँ उसका…मुझसे नही माँगेगी तो किससे माँगेगी वो?”

“पिछले बार भी आपने बिना माँगे उसे कम्प्यूटर ला दिया था…अब तो उसकी शादी हो चुकी है…विदेश जाकर भी वही…बहनें भाई की लंबी उम्र की दुआ करती हैं पर यहाँ तो दिमाग में गिफ्ट के सिवा कुछ नहीं।”

पत्नी ने इतना कहा ही था कि नेहा का नंबर मोबाइल पर फिर बज उठा।

“मैं भी तो सुनूँ क्या गिफ्ट चाहती है तुम्हारी छुटकी।” मन-ही-मन बुदबुदाते हुए उसने स्पीकर पर करते हुए मोबाइल अविनाश को थमा दिया।

“हलो छुटकी…।”अविनाश  ने बड़े स्नेह से कहा।

“भैया ये पहली रक्षाबंधन है जो मैं आपसे दूर हूँ…।” कहते कहते उसका गला रुंध गया।

“अरे!पगली मैं तो हमेशा तेरे साथ हूँ ….।”

“पर भैया मैं कितने भी दूर हूँ…मेरा गिफ्ट तो आपको देना ही पड़ेगा…।”

“बोल…क्या चाहिए तुझे…?”

“बोलूँगी तो आपको देना पड़ेगा…।”

“चल छुटकी बिना सुने प्रॉमिस करता हूँ।”

“भैया …आप बड़े हैं …संकोच हो रहा है पर …ये वादा चाहती हूँ… अभी शुरुआत है लत नही है आपको… आप छोड़ सकते हैं…स्मोकिंग छोड़ दीजिए…बहुत चिंता रहती है आपकी…।”

*********

रश्मि स्थापक

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!