मां आज मेरी सबसे खास सहेली का जन्म दिन है। उसने शाम को सात बजे अपने घर पार्टी में बुलाया है।
क्या तोहफा लेके जाऊ, बताओ न मां।
वो बहुत अमीर लोग है तुम उनके लिए क्या लेके जाओगी। वहां सब बड़े बड़े लोग आयेंगे बड़े बड़े तोहफे लेके उनके सामने तुम्हारा तोहफा कुछ मायने नहीं रखता।
तो क्या करूं मां, नहीं जाऊंगी तो वो नाराज़ होगी।
तुझे किसने कहा नहीं जाना। जाके आओ तोहफा लेके जाना जरूरी नहीं है। तू अपना तोहफा उसे कल कॉलेज में दे देना।
ठीक है मां, अब में कॉलेज जा रही हूं। जिसका जन्म दिन है वो भी आ गई।
दोनों सहेलियां रोज साथ साथ कॉलेज जाती थीं।
आज वो अपनी सहेली के साथ तो थी लेकिन एकदम गुमसुम किसी अलग ही उधेड़बुन में, दरअसल वो तोहफे के बारे सोच रही थी।
दोनों कॉलेज में पहुंची और सब दोस्तों से मिली सब उसके दोस्त को जन्म दिन की बधाई दे रहे थे।
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शाम को सब पार्टी में पहुंच गए।
वाकई प्रोग्राम बहुत शानदार था बहुत बड़े बड़े लोग आए थे। उसके पिताजी पुलिस महकमे में बड़े पद पर थे तो कई मंत्री कई फिल्म स्टार टीवी स्टार सब आए हुए थे। खास अनुपमा जी आई थी तो सब उनके ऑटोग्राफ के लिए धमाल मचा रहे थे।
मुझे मां की बात अब समझ में आई कि मां ने तोहफे के लिए क्यों मना बोला था।
उसकी सब सहेलियों ने उपहार दिया और सब मेरी और देख कर मेरे उपहार के बारे में पूछ रही थी।
तो जिसका का जन्म दिन था उसने बताया उसका उपहार पहले से ही मेरे पास आगया ।
क्या दिया इसने हमे भी बताओ।
तो उसने अपने कान के झुमके बताए और कहा कि मुझे इतने पसंद आए इसलिए पार्टी के मैने यही पहने।
मै देखती ही रही और सोचती रही कि उसने ऐसा क्यों किया इतने कीमती झुमके मैं कहां से दूंगी। मै कुछ कहना चाहती थी पर उसने इशारे से रोक दिया।
उसकी सब सहेलिया मेरे तोहफे की ही बात कर रही थी। वो मुझसे कहने लगी तुमने आज साबित कर दिया कि तू उसकी खास सहेली है।
कोई खूब तारीफ कर रही थी तो कोई नकली है बोल रही थी ।
फिर हमने खूब मस्ती की और अच्छा खाना खाया और सब अपने अपने घर निकल पड़े।
मै पूरे रास्ते यही सोच रही थी कि उसने ऐसा क्यों किया।
मुझे पूरी रात नींद नहीं आई।
अब वो सोच रही थी या तो उस झुमके की कीमत मुझे देनी पड़ेगी या कोई दूसरा तोहफा सब सहेलियों के सामने ही देना पड़ेगा। ताकि कोई गलतफहमी में न रहे।
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तभी उसकी सहेली का फोन आ गया।
मैने पूछा तूने ऐसा क्यों किया।
मैने कोई तोहफा दिया नहीं।
उसने जो कहा वो मैं जिंदगी भर नहीं भूल पाई।
इसने कहा तेरी मेरी दोस्ती तोहफे की मोहताज नहीं है।
सुबह जब तू मां से बात कर रही थी मैने सब सुन लिया था फिर हम कॉलेज जा रहे थे तब भी तुम गुमसुम थी। मै समझ गई शाम को कुछ ऐसी ही सिचुएशन होने वाली है। मैं सोच रही थी पार्टी ही क्यों रखी । जहां मेहमानों की पहचान उनके तोहफे से हो।
और मै नहीं चाहती थी कि तुम्हे सबके सामने शर्मिंदा होना पड़े।
और तोहफा देने वाले की नीयत देखी जाती कीमत नहीं।
तू खुद मेरी जिंदगी का एक अप्रतिम तोहफा है।
तुझसे ही मैने जीना सीखा है।
तेरी दोस्ती उस ऊपरवाले का बेशकीमती उपहार है मेरे लिए…..
राजेश इसरानी