बेटा.. तुम और मानसी अगर घूमने के लिए आगरा जा रहे हो तो थोड़ी दूर पर ही मौसी का घर भी है अगर समय मिले तो मौसी के यहां जरूर हो कर आना ,6 महीने पहले तुम्हारी शादी में ही मौसी आई थी कई बार फोन पर कह चुकी है…. जीजी इस बार सचिन और मानसी को जरूर भेजना पर बिना काम के तो जल्दी से निकलना ही नहीं होता अब जा ही रहे हो
तो मानसी को भी अपनी मौसी का घर दिखा लाना! सरोज की बातें सुनकर सचिन ने कहा… ठीक है मम्मी अगर समय मिलेगा तो हम मौसी के यहां जरूर जाएंगे, मौसी के बच्चे भी तो कब से भाभी भाभी की रट लगाए हैं,कहते हैं भैया एक बार भाभी को जरूर लाना अभी तो हमारी सर्दियों की छुट्टियां भी हैं तो एक दिन के लिए मौसी के हम अवश्य जाएंगे!
सर्दियों की छुट्टी लगते ही सचिन और मानसी आगरा घूमने निकल गए सभी जगह घूमने के बाद सचिन और मानसी मौसी के यहां भी चले गए, मौसी मौसा जी और मौसी के दोनों बच्चे भैया भाभी को देखकर बेहद प्रसन्न हुए और छोटी रिया जो 8 साल की थी उसे तो भाभी कोई अजूबा लग रही थी और अपनी मम्मी से बार-बार कह रही थी….
मम्मी.. भाभी कितनी गोरी है, भाभी कितनी अच्छी-अच्छी बातें करती है, पर भाभी इतना कम क्यों बोलती है! तब मम्मी ने बोला… तू जो इतना बोल देती है भाभी का नंबर ही कहां आता है, मौसी मौसा जी ने उन दोनों की आवभगत में कोई कसर नहीं छोड़ी हालांकि मौसी की आर्थिक स्थिति अपनी बहन की जितनी नहीं थी
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फिर भी उसने दिल खोलकर दोनों का सादर सत्कार किया, अगले दिन जब सचिन और मानसी जाने को हुए तब मौसी ने दोनों के हाथ में एक-एक लिफाफा दिया और साथ ही मानसी को एक साड़ी और एक पर्स भी दिया, यह सब देखकर मानसी को बेहद आश्चर्य हुआ क्योंकि उसे पता था की मौसी की आर्थिक स्थिति इतनी ज्यादा अच्छी नहीं है
तब उसने चुपके से लिफाफे में देखा सचिन और मानसी दोनों के लिफाफे में 2100–2100 थे, इतने कि उन्हें उम्मीद नहीं थी, तब मानसी ने अपनी मौसी को सचिन और अपना लिफाफा वापस देते हुए कहा…. मौसी जी हम तो आपके प्यार के कारण यहां आए थे इन सब की कोई जरूरत नहीं है अगर आप इतना सब कुछ देंगे तो हम दोबारा कैसे आ पाएंगे,
मैं चाहती हूं हमारे आने से आप लोग खुश हो चिंतित नहीं! किंतु बेटा.. तुम पहली बार यहां आई हो हमारा भी तो कुछ फर्ज बनता है तुम्हें कुछ देने का? हां मौसी जी… मैं मना नहीं कर रही आप के प्रेम और आदर सत्कार के आगे तो यह सब बहुत छोटा है आपका इतना अच्छा व्यवहार देखकर हम इतने खुश हुए की बार-बार आपके पास आने का मन करता है,
किंतु मौसी जी उपहार कीमत से नहीं दिल से दिया जाता है मैं नहीं चाहती की आप हमें इतना सारा देकर किसी भी तरह का बोझ अपने दिल में रखें, आपका सम्मान रखने के लिए मैं यह साड़ी अवश्य ले लूंगी और आप सचिन को भी केवल ₹100 ही दीजिए! किंतु बेटा ऐसे कैसे हो सकता है तुम भी तो आए थे
जब दोनों बच्चों के लिए इतनी सारी मिठाइयां चॉकलेट नमकीन लेकर आई थी क्या मैंने कुछ कहा, जैसे तुम उनके बड़े भैया भाभी हो वैसे तुम भी तो हमारे बच्चे हो! हां मौसी जी आप बिल्कुल सही कह रही हैं किंतु इतना मैं नहीं ले सकती मौसी जी “उपहार की कीमत नहीं दिल देखा जाता है” और आपका दिल बहुत बड़ा है
उन सब में इन सब की कोई जरूरत नहीं है! अपनी बहू मानसी की बातें सुनकर मौसी जी की आंखें नम हो गई क्योंकि मौसी जी ने दिखाने के लिए अपनी हैसियत से ज्यादा देने की कोशिश की थी जिसे मानसी भांप गई थी, और फिर मौसी ने मानसी को अपनी समर्थ अनुसार ही देकर विदा किया!
हेमलता गुप्ता स्वरचित
#उपहार की कीमत नहीं दिल देखा जाता है