गोल्डन पब्लिक स्कूल की बच्चों की छुट्टी हो चुकी थी।
अचानक एक रजिस्टर लेकर आए क्लर्क धीरज भैया से आकांक्षा ने पूछा ये क्या है भैया ? धीरज भैया हँसते हुए बोले खुद देख लीजिए मिस पता नहीं क्या है ।
आकांक्षा ने रजिस्टर लेकर पढ़ना शुरू किया । डियर टीचर्स प्लीज कम टू ऑडिटोरियम एमिडेटली ….
चलो स्वाति जल्दी से चलते हैं, तभी वैदेही ने कहा अरे यार … आज लंच भी नहीं कर पाई हूँ,इतना सब्सिचुशन ओह …. ये गोल्डन पब्लिक स्कूल की शिक्षिकाएं थीं , आइए अब इनसे परिचय करवाती हूँ ।े
आकांक्षा साइंस की शिक्षिका थी ,जिसे पढ़ाना बहुत पसंद था।
सोनल ,स्वाति ,वैदेही लगभग सभी हमउम्र थीं , स्वाति को स्टे बैक बहुत बुरा लगता था। सभी जब हॉल पहुंची।
बड़े से से सजे ऑडिटोरियम में म्यूजिक बज रहा था ,
माहौल खुशनुमा था , आज डायरेक्टर सर की इकलौती
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पोती का जन्मदिन था । सभी नहीं मिलकर बच्ची को आशीर्वाद दिया,केक कटिंग की गई । सभी आशीर्वाद देने आए ,तभी सबसे पुरानी दशमी दीदी जो पच्चीस साल से कम कर रही है,वो एक पैकेट लेकर चढ़ी ,उसने प्यार से कहा ,मैं गुड़िया के लिए गुड़िया लाई हूँ। उसकी बातें सुनकर सुनकर मधु श्री बोल उठी मै तो ब्रांडेड डॉल से खेलती हूँ, ये सस्ती चीजें मुझे अच्छी नहीं लगती ,
है न दादू ? सेक्रेटरी सर सभी का सम्मान करने वाले हैं उन्होंने अपने कि मधु बेटा # उपहार की कीमत नहीं देखी जाती ,देनेवाले की नीयत देखी जाती है। ये दीदी तुम्हारे पापा को भी यहां पढ़ते देखी है , चलो पैर छूकर आशीर्वाद लो , और हां खाना अच्छा से खिलाकर भेजना । मधु को अपनी गलती समझ आई , दादाजी को सॉरी बोलकर दशमी दीदी को प्रणाम कर ली । दशमी दीदी ने भरी नजरों से देखा । मधु की मम्मी जो खुद प्रिंसिपल थीं,उनका खूब सम्मान करती थीं।
आज गोल्डन स्कूल सफलता के शिखर पर है,किंतु उसकी सबसे बड़ी पहचान सभी कार्यरत लोग हैं, जो परिवार की भांति सारे त्यौहार साथ मनाते हैं ।
लेखिका सिम्मी नाथ, स्वरचित
राँची झारखंड