सुनो जी हमने अपने हिसाब से सलोनी का भात देने की सारी तैयारी तो कर ली लेकिन दीदी को और उनके ससुराल वालों को सब समझ में आएगा या नहीं। पता नहीं। डर सा लग रहा है कहीं हमारी वजह से उनके ससुराल में उन्हें नीचा ना देखना पड़ जाए। दीदी तो जानती है हमारी आर्थिक स्थिति अपनी हैसियत से ज्यादा ही तैयारी की है हमने। हमने तो कहा था हमसे जितना बने
नगद ले लो आप अपने हिसाब से कपड़े खरीद लेना। मगर।उन्होंने तो कह दिया कि अपने हिसाब से जैसा ठीक लगे वैसा ले आना। हमेशा अपनी पसंद का ही तो पहनते हैं एक बार अगर आपकी पसंद का पहन लेंगे तो क्या हो जाएगा? सलोनी इकलौती लड़की है उनकी। बस हमारा दिया हुआ सब सामान समझ में आ जाए उन्हें तो दिल को तसल्ली हो जाए। नंदिनी अपने पति सोमेश से कह रही थी।
इससे पहले सोमेश कुछ बोलता सोमेश की मां जानकी जी बोली ।तू क्यों चिंता करती है बहू तुमने बहुत अच्छा इंतजाम किया है? माना प्रीति के ससुराल वाले हैसियत में हमसे बहुत ज्यादा है उनके लिए हमारे दिए हुए सामान की कोई कीमत ना हो मगर लड़की के लिए उसका भाई खाली हाथ भी खड़ा हो जाए उसे वही बहुत लगता है।
अच्छा चलो सुबह ही शादी के लिए निकलना है बच्चों के अभी कोई सामान छूट न जाए अच्छी तरह सामान पैक कर लेना आखिर बुआ की बेटी की शादी है। कितना चाव है बच्चों को। नियत समय पर प्रीति के मायके वाले उसके ससुराल पहुंच जाते हैं और भात देने का समय भी आ जाता है।
ढोल बज रहा है महिलाएं भातगीत गा रही है।
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टीका भी लाया भैया कंगन भी लाया
पायल ना लाया भैया शरमाया खड़ा रे।
आज मेरा भैया भात लाया रे।
अच्छे से भात देने का कार्यक्रम निपट जाता है। ससुराल वाले भात में दिए हुए उपहार देखते हैं
तभी प्रीति की नंद हंसते हुए बोल उठती है अरे इकलौती भांजी है तुम्हारी बस कानों की झुमकी और नाक की नथ लेकर आए हो गले का सेट तो लाए ही नहीं। थाली में भी बस 21 हजार रुपए ही डाले हैं। प्रीति की भाभी नंदिनी की आंखें नम हो जाती हैं लेकिन वह चुप ही रहती है
लेकिन तभी प्रीति की सास अपनी बेटी को चुप कराते हुए कहती हैं देख तो झुमकी का डिजाइन कितना सुंदर बनवाया है सलोनी।की मामी ने सोने का रेट भी आसमान छू रहा है ऐसे में भी कितनी भारी झुमकी दी हैं अपनी भांजी को। देने वाले की नियत देखी जाती है। तेरे मामा तो कितने बड़े आदमी हैं
अरबो खरबो के मालिक लेकिन फिर भी तेरे लिए कानों के कुंडल तक ना बने थे उनसे यह कहकर पल्ला झाड़ लिया था कि बिजनेस में हमें बहुत बड़ा नुकसान हो गया है। सलोनी के मामा ने तो कोई कसर नहीं छोड़ी, परिवार में सब का मान सम्मान रखने में भी। सब परिवार के लोगों की मिलनी भी की है। रुपए 1०० हो या 500 क्या फर्क पड़ता है?
उपहार की कीमत नहीं देने वाले का दिल देखा जाता है। अरे मां मैं तो मजाक कर रही थी क्या हमारा हक नहीं बनता मजाक करने का प्रीति की नंद झेंपते हुए बोली तभी प्रीति अपने भाई के पास आई और उसके गले लगकर रो पड़ी और कहने लगी,
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क्या जरूरत थी इतना सब करने की भैया? तुमने तो मेरी उम्मीद से भी बहुत।ज्यादा कर दिया। मेरे लिए मेरे भाई भाभी से अनमोल कुछ नहीं है जिनसे मेरा मायका जिंदा है। अरे अब दोनों भाई बहन रोोोते ही रहोगे शादी की तैयारी नहीं करनी है क्या और तुझे भी तो अपने भाई भाभी को, उनके हक के उपहार देने हैं, जो तूने उनके लिए लाकर रखे हैं?
प्रीति की सास ने अपने हाथों में लाए हुए पैकेट अपनी बहू को थमा दिए और उसने वह बच्चों के कपड़े भाभी की साड़ी और भाई के कपड़े लाकर उसके हाथ में दे दिए। मना मत करना भैया। ये तो आपका हक बनता है और आज यह कपड़े जरूर पहनना मैं अपनी पसंद से लेकर आई हूं।
अरे बहु सलोनी की फेरों वाली साड़ी बाहर निकाल कर रख लेना। फेरे भी तो मामा के घर की साड़ी में ही होंगे होंगे। और हां मम्मी कानों की झुमकी भी मैं मामा वाली ही पहनूंगी बहुत सुंदर डिजाइन है। सलोनी अपनी मामी के गले में हाथ डालती हुई बोली प्रीति की मां अपनी समधन जी के आगे हाथ जोड़ते हुए कहने लगी सच में मैने बहुत अच्छा भाग्य पाया है जो अपनी बेटी के लिए ऐसी ससुराल
मिली है। अरे समधन जी हाथ तो मुझे जोड़ने चाहिए आपके।आपकी बेटी ने भी तो हमारे घर को स्वर्ग बना दिया है। स्नेह और अपनेपन की खुशबू रिश्तो में बनी रहे तो फिर रिश्ते सदा महकते रहते हैं। अरे फोटोग्राफर कहां गया अब जल्दी से मेरी समधन के साथ मेरा फोटो तो खींच दो? माहौल को खुशनुमा बनाने की वजह से प्रीति की सास बोली सब खिलखिलाकर हंस पड़े।
पूजा शर्मा स्वरचित।