उपहार – आरती झा आद्या

हैप्पी रोज डे मेरी जान…हॉस्पिटल रूम में स्तन कैंसर से ठीक हुई शून्य में ताकती रोहिणी की आंखों के सामने गुलाब थामे खड़ा हुआ उसके पति अभिनव ने कहा।

ओह आप…आपने तो मुझे डरा ही दिया… भावविहीन चेहरे से अभिनव को देखती पैंतीस साल की रोहिणी ने कहा।

क्या हुआ रोहिणी.. पूरे साल किसी भी त्योहार से ज्यादा तुम वेलेंटाइन त्योहार का इंतजार करती हो और तुम्हें अपना वेलेंटाइन बनाने के लिए मुझे कितनी मशक्कत करनी पड़ती है और आज तुम्हारी इतनी शुष्क प्रतिक्रिया…स्टूल खींच कर बैठता रोहिणी का हाथ अपने हाथ में लेता अभिनव पूछता है।

क्यों दिखावा कर रहे हैं। मुझे किसी की सहानुभूति नहीं चाहिए.. अभिनव का हाथ झटकती रोहिणी कहती है।

पर हुआ क्या.. अभिनव के चेहरे पर उलझन के भाव स्पष्ट तौर पर दिख रहे थे।

आप दूसरी शादी कर लीजिए… रोहिणी की आवाज उसी तरह शुष्क रही।

क्या..पर क्यूं…किसी ने कुछ कहा है क्या। कहां से आई ये बात तुम्हारे दिमाग में… अभिनव को ऐसा लगा जैसे कई बिच्छू ने एक साथ डंस लिया हो।

अब मैं आपके लायक नहीं रही। आपको कोई सुख नहीं दे सकूंगी … अपने शरीर को निहारती रोहिणी फूट फूट कर रो पड़ी।

हाहाहा… पगली क्या हुआ तुम्हारे शरीर को, भली चंगी तो हो… एक ठहाके के साथ अभिनव अपनी बात पूरी करता है।

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उड़ा लीजिए मजाक.. इस शरीर ने मजाक ही तो बना दिया है मेरा.. ना सिर में बाल हैं और ना…इससे अच्छा तो मैं मर ही जाती।

ऐसे कैसे मर जाती तुम। तुम्हें तुम्हारे शरीर से पूर्णता मिलती होगी। पर मेरी पूर्णता तुम से ही है रोहिणी… अभिनव की आवाज स्निग्ध हो आई थी।

मैं जानती हूं…आप मुझे बहलाने की कोशिश कर रहे हैं… अभिनव की आवाज की स्निग्धता महसूस कर रोहिणी की आवाज भी स्निग्ध हो चली थी।

क्यूं क्या मुझे पता नहीं था कि कैंसर में ये सब होने वाला है। बस मुझे मेरे प्यार को हर हाल में बचाना था और तुम्हारी जिजीविषा के लिए थैंक्यू रोहिणी। इस वेलेंटाइन तुम्हें रोज डे सकूंगा या नहीं.. हग कर सकूंगा या नहीं..किस कर सकूंगा या नहीं.. ये डर अंतर्मन को खाए जा रहा था, लेकिन कल डॉक्टर ने कहा ऑल ओके तो उसी समय तुम्हें गले लगा लेने का जी चाहा लेकिन इस पूरे सप्ताह हर दिन के अनुसार ही त्योहार मनाया जाएगा… रोहिणी के अश्रु धार को उसके गालों पर से साफ करते हुए अभिनव ने कहा।

धत…बोलती हुई रोहिणी के गाल गुलाब की आभा लिए आरक्त हो उठे।

ओह हो… बिन श्रृंगार ही दुल्हन सी चमक उठी तुम तो …चलो अच्छा है आज ही छक्का लग गया, अब इस पूरे सप्ताह नए नए आइडियाज सोचने की मशक्कत नहीं करनी होगी…. अभिनव रोहिणी के चेहरे को देखता हुआ मजाक करने लगा।

जी नहीं जनाब… इस भूल में न रहें…मुझे वेलेंटाइन बनाने के लिए मेहनत तो करनी ही होगी… रोहिणी भी अब खिलखिला पड़ी थी।

ठीक है जान इस बार तुम जो कहोगी…वही उपहार लाऊंगा… अभिनव रोहिणी से कहता है।

आपने मुझ में फिर से विश्वास जगा जो उपहार दिया है, उससे बढ़कर दुनिया का कोई उपहार कीमती नहीं हो सकता…रोहिणी अपनी क्षीण काया को समेट बैठे बैठे ही अभिनव के सीने से लग गई।

अरे अरे आज रोज डे है, हग डे नहीं… खुद में रोहिणी को समेटते हुए हंसते कर अभिनव ने कहा।

कोई रोज डे हग डे नहीं…मेरे लिए अब सब दिन वेलेंटाइन डे है क्योंकि मेरा प्यार मेरा विश्वास हर पल मेरे साथ है…बोलती रोहिणी अभिनव के आगोश में और सिमट आई।

5वां_जन्मोत्सव 

आरती झा आद्या

दिल्ली

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