उन्मुक्त खिलखिलाहट – लतिका श्रीवास्तव

अरे ये मैं क्या सुन रही हूं बेटा !!तुम मनन को समझाती क्यों नहीं  ये अचानक नौकरी नौकरी की जिद लगा रखी है इसने !!वो भी दूर दराज गांव में!! यहां देख अंशु भी कितने बड़े स्कूल में सोनू के साथ पढ़ता है कितना लंबा चौड़ा घर है आराम है सब सुख सुविधा है…वहां इन सब के लिए तरस जाओगी….अंशु का भविष्य बर्बाद हो जाएगा …गांव में कौन रहना चाहता है भला आज कल!!कितने आराम से तो हो यहां पर तुम्हें तो अपना भाग्य सराहना चाहिए इतना अच्छा ससुराल मिला है किसी चीज की कमी नही है……शालिनी जी अपनी बहू पल्लवी को चाय पीते हुए समझाए जा रही थीं…इतना बड़ा घर,नौकर चाकर गाड़ी सब तो है क्यों बेटा ठीक कह रही हूं ना..नौकरी करने की जरूरत क्या है…!!बात का बतंगड़ मत बनाओ ….अपने पुत्र मनन की ओर देखते हुए उन्होंने उसे भी चर्चा में शामिल करने की कोशिश की थी।

मनन तो बस पल्लवी के  शांत चेहरे की ओर देखे जा रहा था….कल की घटना वो भूल ही नहीं पा रहा था…!

मनन के पुत्र अंशु की सालगिरह की पार्टी चल रही थी ….अंशु के बहुत सारे दोस्त आए हुए थे बहुत खुश था वो खूब सारे गिफ्ट्स मिल रहे थे उसे…बच्चों को और चाहिए भी क्या!!तभी मनन के बड़े भैया के ऑफिस का स्टाफ आया और अंशु को एक शानदार  टॉय कार गिफ्ट किया….अंशु की खुशी का ठिकाना नहीं था…उसने बालसुलभ उत्साह में तत्काल गिफ्ट खोल कर टॉय कार चलाकर अपने दोस्तों के बीच रौब दिखाने का यत्न किया ही था कि सोनू …बड़े भैया का बेटा आकर कार छीनने लगा… अंशु तुम इस कार को हाथ नहीं लगाओगे ये मेरी कार है समझे!!

…क्यों क्यों बर्थ डे मेरा है तो सारे गिफ्ट भी मेरे हुए ….तुम्हारे बर्थडे के सारे गिफ्ट तुम्हारे थे ना तुमने भी तो मुझे एक भी नहीं दिया था ये मेरी कार है मैं ही चलाऊंगा …अंशु सबके सामने सोनू का तानाशाही हस्तक्षेप आज के दिन बर्दाश्त नहीं कर पाया था…!

पल्लवी ने तुरंत आकर अंशु को समझाने की कोशिश की लेकिन तब तक सोनू भड़क चुका था और कार पकड़ के छीनने की कोशिश करने लगा था …अरे जाओ जाओ तुम्हारा गिफ्ट!!ये तो मेरे पापा के स्टाफ ने दिया है…. मेरे बर्थडे पर तुम्हारे पापा के स्टाफ ने कुछ दिया था क्या बताओ ..!!तुमने भी कुछ नहीं दिया था …..ये टॉय कार मेरे लिए है…. छीना झपटी में कार टूट गई अब तो अंशु आगबबूला हो चुका था ….तभी सोनू की मम्मी ने सोनू  का हाथ पकड़ते हुए अपनी नाराज़गी पल्लवी पर जाहिर कर दी थी ..”अरे इसके पापा का स्टाफ तब होगा ना जब कुछ नौकरी चाकरी करेंगे …इतना महंगा गिफ्ट हम लोग या हमारा स्टाफ ही दे सकता है …. बेटा तेरे को किस चीज की कमी है तेरे पापा कमाते हैं एक क्या चार कार ले आयेंगे इस बिचारे को तो एक ही मिल पाई थी ले लेने देता !! मुफ़्त की लेने की आदत जो पड़ी है।

दंभ आज बड़प्पन पर हावी हो चुका था …आपसी रिश्तों की गरिमा झूठे दिखावे और बड़बोले पने में कहीं तिरोहित हो चुकी थी।

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पल्लवी ने इस कठोर लेकिन सत्य ताने को सुन कर भी अनसुना कर दिया था और बेतरह रोते हुए मासूम अंशु को चॉकलेट देते हुए प्यार से समझा कर दोस्तों के साथ उलझा दिया था।पर खुद उलझ गई थी…!पति की बेकारी उसकी उलझन बढ़ाती थी ….मनन काबिल था नौकरियां मिलती रहती थीं उसे पर वो अपने घर में इतनी शान शौकत से रहने का अभ्यस्त हो चुका था कि कहीं बाहर जाकर नौकरी करने में अपनी तौहीन समझता था ….अभी भी एक नौकरी का ऑफर आया हुआ है पर मनन ध्यान ही नही दे रहा है……समस्त सुख सुविधाओ के बोझ तले अपना स्वाभिमान दबाती  पल्लवी की घुटन…. छटपटाहट अव्यक्त ही रही….अभी तो पूरी जिंदगी पड़ी है ऐसे कड़वे ताने सुनने के लिए….एक गहरी उसांस भरते हुए वो बच्चों के लिए नाश्ते की प्लेट लगाने में व्यस्त हो गई थी।

मनन को पूर्ण अपेक्षा थी कि पल्लवी इस घटना के बारे में जरूर चर्चा करेगी आक्रोश व्यक्त करेगी क्योंकि मनन स्वयं आक्रोशित हो उठा था ….शिकवा शिकायत करेगी उसे भी कुछ सुनाएगी वो कुछ कमाता नहीं है …..पर अपेक्षा के विपरीत पल्लवी ने इस बारे में एक शब्द भी नहीं कहा निशब्द खामोशी से सबको खाना खिलाती रही एक अबूझ सी मुस्कान हमेशा की तरह उसके मीठे शांत चेहरे पर टिकी हुई थी।

मनन को अचानक अपनी अक्षमता और अज्ञानता पर क्रोध आने लग गया था।ठीक है वो कोई नौकरी नहीं करता पर दिन भर घर की तमान जिम्मेदारियां मां का ख्याल आने जाने वालों के टहल देखभाल वकील डॉक्टर सब वही देखता है करता है और अपनी इस जिंदगी में रच गया था उसे लगता था वो सबका इतना ख्याल रखता है सब उससे खुश रहते है संतुष्ट रहते है घर में उसकी हैसियत सबसे ज्यादा है ।शादी के तुरंत बाद ही अपनी नवेली पत्नी पल्लवी को उसने उसकी भी सारी जिम्मेदारियों के बारे में भली भांति समझा दिया था। उस दिन से आज तक पल्लवी ने कभी किसी भी प्रकार की शिकायत का मौका नहीं दिया था….

…..एक पत्नी के बतौर उसे जिंदगी की तमाम सुख सुविधाएं भरपूर मिल रही हैं वो अपनी पत्नी को सम्मान के साथ रख रहा है …ये संतुष्टि उसे आंतरिक खुशी और उसके सुयोग्य और सक्षम पति होने के स्वाभिमान को मजबूत करती रहती थी।



पर कल की घटना ने मनन के समक्ष वो कटु सत्य उजागर कर दिया था जिसने उसके स्वाभिमान और हैसियत दोनों को बुरी तरह झकझोर दिया था…. उसकी पत्नी पल्लवी धीरता से खामोशी से इस तरह की जाने कितनी अनगीन कठिन परिस्थितयों से सामंजस्य बिठाती रहती है वो आज तक देख नही पाया..!!..वो कुछ बोलती नहीं या बोल पाने की सामर्थ्य नहीं जुटा पाती इस कारण नहीं कि वो कमज़ोर है  या उसकी कोई गलती है ..!केवल अपने पति की ख्वाहिशों और निर्णयों के सम्मान को सुरक्षित रखने के लिए पति के ओढ़े हुए स्वाभिमान का सम्मान करने के लिए!!

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…. नहीं मां मैने  वो नौकरी ज्वाइन करने का निश्चय कर ही लिया है पल्लवी दो दिनों में तैयारी कर लो हमें जाना है..मनन के दृढ़ स्वर को सुन पल्लवी हैरान थी।

अरे तो तू जा…पल्लवी और अंशु यहीं  रहेंगे….अपनी पत्नी की तो चिंता कर वहां कैसे रह पाएगी वो!!और अंशु की पढ़ाई !!!भविष्य चौपट करना है क्या उसका!!

मां ने हमेशा की तरह अंतिम अकाट्य तर्क प्रस्तुत कर दिया था।

मां आप बिल्कुल चिंता ना करें मैं जानता हूं इन सब मुफ्त की सुख सुविधाओं की अपेक्षा मेरी पत्नी मेरे साथ मेरी कमाई की दाल रोटी खाकर बहुत प्रसन्न और संतुष्ट रहेगी और जहां तक अंशु की पढ़ाई और भविष्य का प्रश्न है तो गांव में भी स्कूल रहते हैं भले छोटे और कम आधुनिक होते हैं पर संघर्ष करके अपना स्वतंत्र और दृढ़ अस्तित्व खड़ा करवाने में पूर्ण सक्षम होते हैं मेरा विश्वास है….सोनू की मम्मी की तरफ देखते हुए मनन ने अपना निर्भीक निर्णय सुना दिया था।

“….सुनिए आप इन सब सुख सुविधाओं के बिना क्या वहां रह पाएंगे.!!.. एक बार फिर से ठीक से सोच लीजिए…..पल्लवी ने कमरे में आते ही धीरे से पूछा तो मनन ने तसल्ली देते हुए कहा था …”पल्लवी सुख सुविधाओं के बिना जीने की आदत डालना मेरे लिए थोड़ा मुश्किल रहेगा परंतु अगर एक बार स्वाभिमान के बिना मेरी जीने की आदत पड़ गई तो तुम जिंदगी जीना भूल जाओगी  ये मुझे अच्छी तरह समझ में आ गया है….!

……..आओ अब सोच क्या रही हो ..चलो मिलके पैकिंग करते हैं जल्दी हो जायेगी ….हंसकर पल्लवी का हाथ स्नेह से थामते हुए मनन ने कहा तो आज पहली बार पल्लवी खुल कर खिल खिला उठी थी।

#स्वाभिमान 

लतिका श्रीवास्तव 

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