Moral stories in hindi : मुझे कुछ नही पता, तुम देख लो अपने हिसाब से, मैंने तुम्हे बता दिया इसके बाद एक बार और complain आयी तो अच्छा नही होगा, चीखते हुए मकान मालिक ने सुमित से कहा ।
सुमित और उसकी पत्नी पिछले 3 सालों से उस घर में रह रहे थे, अपने ही घर मे सुमित को किराया देना पड़ता था, और हर बार उसके चाचा आकर उसे इतनी ही बेज़्ज़ती से उस पर चीखते थे। वो क्यों इतनी बेज़्ज़ती सहन कर रहा था , उसकी पत्नी ने काफी बार उसे घर छोड़ देने को कहा पर सुमित ने मना कर दिया। वो पिछले 3 सालों से उस कमरे को छोड़ कर क्यों नही जा रहा था या वो जाना नही चाहता था। विरासत में मिला था ये घर उसे उसके बाबूजी से। और यही सोचते हुये अपने अतीत में खो गया वो….
कुछ नहीं था वो, कोई नाम भी नही था उसका, बाबूजी ने ही तो उसे नाम दिया “सुमित”। उनके दिए नाम को लेकर वो बाबूजी के साथ घर आ गया, उसे माँ का प्यार सावित्री से मिला और भाई का प्यार विवेक से, पर घर के बाकी लोगों(चाचा, चाची, उनके बच्चे पिंकल, सोनू) ने उसे नकार दिया था,
बाबूजी की ज़िद थी कि वो उसी घर में रहेगा, किसी ने उसे अपनाया नही पर बाबूजी की ज़िद के कारण कोई कुछ नही कहता था, विवेक के साथ ही उसने अपना बचपन बिताया, सुमित विवेक के अलावा पिंकल और सोनू से भी कई बार बात करने की कोशिश की पर वो लोग उससे बात नही करते थे। चाचाजी त्योहार पर सभी के लिए नए कपड़े दिलवाते थे, पर सुमित को कुछ नही देते थे। सुमित चाचाजी चाचाजी कहते मुँह नही थकता था पर चाचाजी उसकी एक न सुनते।
कई बार चाचाजी की बाबूजी से भी बहस हो जाती थी, पर अब ये रोज का हो गया था। एक बात हमेशा सुमित सोचता कि बाबूजी ने इस घर को इतने अच्छे से संभाल कर रखा, सभी लोगो को प्यार से समेटा, और ऐसा क्या हुआ कि पूरा परिवार बिखर गया, सभी के मन में कड़वाहट भर गई, वो छोटा तो था पर बहुत समझदार था, समझ गया था कि ये कड़वाहट उसके आने से हुई है, उसने कई बार घर से भाग भी गया पर बाबूजी हर बार उसे ढूंढ ले आते, कई बार बाबूजी ने उसे समझाया भी।
सुमित विवेक के साथ हर काम करता, और जब कभी पिंकल और सोनू को मदद की जरूरत होती वो उनकी मदद भी करता था, कभी कभी तो वो उनकी डांट का शिकार हो जाता था, उसने हर संभव प्रयास किये पर उनके दिल में जगह नही बना पाया, एक दिन बाबूजी ने सुमित को बुलाया और कहा बेटा मैंने बहुत समेटना चाहा पर इन लोगो के दिलों से नफरत नही मिटा पाया,
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स्वरचित
लेखिका – निधि जैन (इंदौर मध्यप्रदेश )