उधार की खुशियां – मुकेश पटेल  : Moral Stories in hindi

श्वेता के घर मे पैसे की कोई कमी नहीं थी मम्मी-पापा डॉक्टर थे फिर भी घर मे रोज लड़ाई होती थी बात इतनी बढ़ी की तलाक तक आ पहुंची, अपनी मम्मी-पापा की लड़ाई देखकर उसने फैसला किया की वो कभी शादी नहीं करेगी लेकिन उसे अपना फैसला बदलना पड़ा  क्यों आइये कहानी सुनते हैं। 

श्वेता इसी साल दसवीं बोर्ड देने वाली थी।  माता-पिता दोनों डॉक्टर थे पैसे की भी कोई कमी नहीं थी, कमी थी तो सिर्फ प्यार की श्वेता के माता-पिता के पास श्वेता के लिए थोड़ा सा  भी वक्त नहीं होता था।  छुट्टी के दिन भी  अगर उसके माता-पिता घर में होते भी थे तो उस दिन, पूरा दिन आपस में लड़ाई करने में ही बीत जाता था।  श्वेता यह सोचती थी इससे अच्छा तो मम्मी-पापा घर पर नहीं होते। कम से कम घर मे शांति तो होती है।  श्वेता को आज तक अपने मम्मी-पापा के बीच की लड़ाई की वजह नहीं पता चल पाया था कि यह दोनों एक दूसरे से लड़ते क्यों है। 

श्वेता 12वीं बोर्ड पास कर इंजीनियरिंग इंट्रेंस एग्जाम पास करके एक इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला ले लिया। वह एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर बनना चाहती थी अपनी पढ़ाई में बहुत मन लगाती थी।  लेकिन छुट्टियों में जब भी घर आती फिर से वही मम्मी-पापा की लड़ाई देखने को मिल जाता था।  पता नहीं इनकी लड़ाई कब खत्म होगी। श्वेता एक  दिन इंजीनियरिंग कॉलेज से क्लास करके अपने हॉस्टल लौट रही थी तभी उसकी नानी माँ का फोन आया, “बेटी बहुत बुरा  हो गया है, तुम्हारे पापा ने तुम्हारे मम्मी को बहुत मारा है, मम्मी ने तुम्हारे पापा के खिलाफ एफ आई आर दर्ज करा दिया है।”

श्वेता बहुत चिंतित हो गई और उसी समय अपने घर के लिए रवाना हो गई। घर आई तो देखी माँ दर्द से कराह रही है, नानी माँ भी  आई हुई है और उसी शहर में उसकी मौसी भी रहती है वह भी आई हुई है। श्वेता जैसे  ही  अपनी मां से पूछा माँ क्या हुआ ? उसी वक्त श्वेता की नानी ने उसकी माँ का पीछे से पीठ दिखाने लगी।  

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जो उसके पापा ने बेल्ट से पीट-पीटकर उसके माँ का हाल बुरा कर दिया था। श्वेता सोचने लगी कि मेरे माता-पिता इतने एजुकेटेड लोग हैं, दोनों डॉक्टर हैं फिर भी इतनी लड़ाई होती है। लड़ाई इतनी की बात मारपीट तक पहुंच गई। मैंने सुना था कि इस तरह की घरेलू हिंसा अनएजुकेटेड फैमिली में ही होती है। लेकिन फिर यह क्या है, इस तरह के संभ्रांत परिवारों में भी घरेलू हिंसा होगी तो फिर क्या कहा जा सकता है। श्वेता बचपन से अपने  मम्मी-पापा की लड़ाई देखकर ऊब  गई थी इस बार तो अति ही हो गया था। श्वेता ने अपनी माँ से कहा, “मां तुम कब तक बर्दाश्त करती रहोगी, तुम तलाक क्यों नहीं ले लेती हो।”

श्वेता की बातों को सब ने समर्थन किया, उसकी नानी माँ ने और मौसी ने भी कहा, “श्वेता सही कह रही है विजय के साथ यानी कि श्वेता के पापा के साथ एक  दिन भी कोई कैसे गुजार सकता, वह  इंसान नहीं जानवर है. इस तरह कोई क्या अपनी पत्नी को पीटता है। 

अगले दिन श्वेता की माँ ने कोर्ट में तलाक के लिए अर्जी दे दी। उस दिन के बाद से श्वेता की माँ अपने मायके में रहने लगी। श्वेता कुछ दिनों के बाद अपनी पढ़ाई पूरा करने के लिए इंजीनियरिंग कॉलेज वापस लौट गई। ये सब देख कर  श्वेता ने फैसला कर लिया था कि वह शादी नहीं करेगी। 

जिंदगी भले अकेले  बिता देगी, क्योंकि अगर उसे भी उसके पापा जैसा लड़का मिल गया तो वह कैसे अपनी जीवन बिता पाएगी। वह अपने मम्मी का हाल देख कर डर गई थी, नहीं चाहती थी उसके साथ भी उसके मम्मी जैसा हो। समय के साथ श्वेता की इंजीनियरिंग की पढ़ाई खत्म हुई और वहीं पर कैंपस  सिलेक्शन में एक मल्टीनेशनल कंपनी में, बेंगलुरु, जॉब लग गई। श्वेता, कंपनी में भी बहुत कम लोगों से बात किया करती थी।  उसे किसी से भी बात करने का मन नहीं करता था, खासकर के लड़कों से तो वह बिल्कुल ही बात नहीं करती थी, उसे ना जाने क्यों हर लड़के में अपने पापा का चेहरा दिखाई देता था। 

इधर अब श्वेता की मम्मी और पापा के बीच तलाक हो गया था,  श्वेता के पापा ने उसकी माँ से बहुत माफी मांगी थी, लेकिन श्वेता की मां ने इस बार ठान लिया था कि वह तलाक लेकर रहेगी। अब नहीं, 20 वर्षों तक झेलती रही है, अब वह एक मिनट भी नहीं झेल पाएगी। 

कई बार श्वेता के पापा का फोन श्वेता  के पास आया, लेकिन श्वेता ने हर बार अपने पापा का फोन काट दिया।  श्वेता ने मैसेज मे अपने पापा को रिप्लाई कर दिया वह उनसे बात नहीं करना चाहती। जो इंसान मेरी माँ जैसी औरत का नहीं हो सका, वह  मेरा  बाप कहलाने लायक नहीं है और आज के बाद आप मुझे कभी कॉल मत करना, क्योंकि आप से मेरा कोई रिश्ता नहीं है। एक दिन अपनी कंपनी के कैंटीन में  श्वेता बैठकर लंच कर रही थी।

  तभी रोहित नाम का लड़का उसके टेबल के पास आया और श्वेता से पूछा, “क्या मैं यहां बैठ आपके साथ लंच कर सकता हूं?”  श्वेता ने कहा, “वैसे तो बहुत सारी टेबल खाली है वहां पर भी बैठ कर आप लंच कर सकते हो लेकिन फिर भी आपका मन है कि मेरे साथ ही लंच करूँ तो आपका स्वागत है.” रोहित, श्वेता की टेबल पर ही बैठकर लंच करने लगा थोड़ी देर तो दोनों शांत रहे कुछ देर के बाद रोहित ने श्वेता से पूछा, “अगर आप बुरा ना माने तो आपसे एक सवाल पूछ सकता हूं,”  श्वेता ने कहा,” हाँ कहो क्या बात है.” “आप जब से इस कंपनी में ज्वाइन की हैं  तब से मैं आपको नोटिस कर रहा हूं कि आप हमेशा अकेले- अकेले रहती हैं।  लड़कियों से तो आप बात कर लेती हैं लेकिन लड़कों से तो बिल्कुल ही बात नहीं करती हैं इसका कारण जान सकता हूं.” 

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श्वेता  ने रोहित से कहा,  “इस बात का उत्तर मैं आपको बताना जरूरी नहीं समझती हूं, मेरी लाइफ है मैं जिसके साथ बात करना चाहूं कर सकती हूं और जैसा रहना चाहूँ रह सकती हूँ।   श्वेता वहां से उठकर चल दी क्योंकि 2:00 बजे लंच ओवर  हो जाता है । 

अब तो रोजाना रोहित, श्वेता के साथ ही लंच करता था।  ना चाहते हुए भी श्वेता, रोहित से बात करने लगी धीरे-धीरे बात करते-करते कब एक दूसरे में दोस्ती हो गई उन दोनों को भी पता नहीं चला। एक  दिन, श्वेता, ऑफिस नहीं आई, रोहित ने देखा, श्वेता की  कुर्सी खाली है, उसने पता किया तो पता चला, 

 श्वेता ने आज छुट्टी ले रखी है,  उसकी तबीयत ठीक नहीं है।   ऑफिस के बाद रोहित सीधे श्वेता के फ्लैट पर चला गया। वहां गया तो पता चला श्वेता को तेज बुखार है। रोहित का एक मित्र डॉक्टर था, रोहित ने उसी समय फोन कर कर उसे बुलाया और श्वेता को दवाई ले कर दिया। रोहित  दो-तीन घंटे तक वहीं बैठा रहा। रात के 10:00 बज रहे थे, श्वेता ने कहा, “रोहित अब तुम जा सकते हो क्योंकि रात हो गई है, तुम्हारे मम्मी का भी फोन आ रहा है.”  रोहित, श्वेता को अपना ख्याल रखने के लिए कहकर  वहां से चल दिया,  जाते जाते रोहित ने कहा, “मैं सुबह-सुबह ही आ जाऊंगा। श्वेता ने कहा अरे ऐसी बात नहीं है मैं ठीक हूं मैं मैनेज कर लूंगी। 

रोहित अपने घर गया तो उसकी मम्मी ने पूछा आज इतना देर क्यों कर दिया रोज तो 7:00 बजे तक घर आ जाते हो।  रोहित ने अपनी मम्मी को सब कुछ बता दिया।  श्वेता नाम की एक लड़की उसके साथ ही जॉब करती है और वह उसकी अच्छी दोस्त भी है।  उसको बुखार लगा हुआ है, वह यहां पर अकेली रहती है।

उसका देखभाल करने वाला यहां कोई नहीं है।  रोहित की मां ने कहा, “उसे अकेला क्यों छोड़ दिए उसे अपने साथ घर लेकर आ जाते। चलो श्वेता को अभी घर लेकर आते हैं.” रोहित अपनी मम्मी के साथ श्वेता के फ्लैट पर पहुँच के फ्लैट का दरवाजा खटखटाया, श्वेता ने दरवाजा खोला तो देखा रोहित और उसके साथ  एक

महिला खड़ी है रोहित ने श्वेता से परिचय कराया , “यह मेरी मम्मी है,” श्वेता ने पैर छूकर प्रणाम किया और बोला, “आंटी बैठिए मैं आपके लिए पानी लाती हूं” रोहित की मां ने कहा, “अरे नहीं बेटी पानी लाने की जरूरत नहीं है तुम तो खुद बीमार हो।  हम तो तुम्हें लेने आए हैं चलो हमारे घर जब तबीयत ठीक हो जाएगा तब तुम यहां आ जाना” श्वेता ने कहा, “नहीं आंटी मैं यहां ठीक हूं आप खामखा इतना तकलीफ उठाई।

” रोहित की मां ने कहा, “रोहित मेरा बेटा है और तुम रोहित की दोस्त हुई इस नाते तुम भी मेरी बेटी हुई अब मैं तुम्हारी एक भी नहीं सुनने वाली चलो अभी मेरे साथ।  रोहित की मां के जिद के कारण श्वेता को साथ जाना ही पड़ा। रोहित कि माँ,  ने श्वेता की देखभाल  रात भर की श्वेता के सिर  के ऊपर भिंगा हुआ कपड़ा रखा और सिर में तेल भी लगाया। श्वेता को पहली बार माँ का एहसास हुआ।  माँ ऐसी होती है।  माँ अपने बेटों और बेटियों को कितना केयर करती है।  लेकिन यह सब श्वेता के नसीब में नहीं था, श्वेता की माँ कभी भी प्यार से उसके सिर  में तेल तक नहीं लगाया था। 

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क्योंकि वो इतने बिजी होते थे, हॉस्पिटल से आते ही थककर सो जाते थे।  फिर सुबह होते ही हॉस्पिटल।  उनके ज़िंदगी में सुकून के पल तो थे ही नहीं।  श्वेता ठीक होते ही फिर से अपने फ्लैट वापस लौट आई। अब रोहित और श्वेता के बीच दोस्ती और भी प्रगाढ़ हो गई थी। एक दिन रोहित की मां ने रोहित से पूछा, रोहित अब मैं तुम्हारा शादी करना चाहती हूं अब मेरे बस की नहीं है घर में काम करना, बहू आ जाएगी तो मैं भी चैन की जिंदगी जिऊंगी।

अगर तुम्हें कोई लड़की पसंद है तो बता दो वरना तुम्हारे मौसा जी ने एक लड़की के बारे में बताया है फिर हम उस लड़की से तुम्हारी शादी की बात करेंगे।  रोहित ने अपनी माँ से श्वेता के बारे मे कहा, माँ, श्वेता, बहू के लिए कैसी रहेगी। रोहित की माँ ने कहा, “मुझे तो श्वेता पसंद है क्या श्वेता भी तुम्हें पसंद करती है।

रोहित ने कहा, “यह तो मुझे पता नहीं लेकिन हम दोनों की दोस्ती तो बहुत गहरी हो गई है। लेकिन मैंने कभी भी श्वेता से प्यार का इजहार नहीं किया है।”  तुम एक बार बात करो ना श्वेता से।   रोहित की मां ने कहा, “कैसी बात कर रहे हो अगर तुम श्वेता से प्यार करते हो तो बेटा खुद पूछो।  अगर श्वेता हाँ कर देगी तो उसके बाद मैं श्वेता की माँ से बात करूंगी।” 

 एक  दिन दोपहर में ऑफिस के कैंटीन में श्वेता और रोहित लंच कर रहे थे।  रोहित ने कहा, “श्वेता क्या तुम आज शाम को फ्री हो, मुझे तुमसे कुछ इंपॉर्टेंट बात करनी है।” श्वेता ने कहा, “इतना भी इंपोर्टेंट क्या है यहीं पर कर लो शाम को क्या कहोगे” रोहित ने कहा, “हर बात हर जगह और हर समय नहीं कही जा सकती है”

श्वेता ने कहा, “ठीक है मैं शाम को मिलूंगी। शाम होते ही बंगलुरु के एक  रेस्टोरेंट में दोनों एक टेबल पर बैठे हुए थे।  काफी देर हो गया रोहित कुछ बोल रहा था ना श्वेता कुछ बोल रही थी श्वेता का भी दिल धड़क रहा था उसे भी अंदाजा हो गया था कि रोहित शायद अपने दिल की बात बताने वाला है। क्योंकि श्वेता भी रोहित को मन ही मन पसंद करने लगी थी, लेकिन वह कैसे बोले और इधर रोहित यह सोच  रहा था कि कहीं मैंने अपने दिल की बात बताई और श्वेता ने मना कर दिया तो क्या होगा।  लेकिन रोहित ने फिर सोचा जो भी हो बताना तो पड़ेगा ही . थोड़ी देर बाद रोहित ने श्वेता को एक गुलाब दिया और कहा, 

“श्वेता, ‘आई लव यू’ मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूं और मैं तुम्हें वह सारी खुशियां देना चाहता हूं जो अब तक तुम्हें नहीं मिली।  मेरी माँ भी तुम्हें पसंद करती है और पापा भी अगर तुम हाँ कहो तो मेरे मम्मी-पापा तुम्हारे मम्मी से बात करेंगे।  श्वेता ने भी हाँ कह  दिया लेकिन ये शर्त रखा कि मेरी  मम्मी हां कहेगी, तभी मैं करूंगी

अपने मन से मैं नहीं कर सकती।  रोहित ने कहा, उसके बाद की बात तुम छोड़ दो तुम्हारी मम्मी को तो मेरी मम्मी मना ही लेंगी। कुछ दिनों के बाद दोनों के पेरेंट्स श्वेता और रोहित की  शादी तय कर दी। कुछ दिनों में ही सगाई हुई और अगले छह महीने बाद शादी की डेट फिक्स हो गई।  
अभी से ही श्वेता का आना-जाना रोहित के घर में शुरू हो गया था.  रोहित की माँ श्वेता को बहुत प्यार करती थी। श्वेता की पसंद का खाना बनाकर खिलाया करती थी। श्वेता का अब लड़को के प्रति विचार बादल गया था । जरूरी नहीं कि हर लड़का वैसे ही हो जैसे मेरे पापा।  मेरी सासू मां कितनी अच्छी है। 

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मेरी माँ से भी अच्छी, वह मुझे कितना प्यार करती हैं लोग खामखा सास के बारे में बुरा भला कहते हैं, अगर इस तरह की सास मिल जाए तो माँ की जरूरत ही क्यों पड़े। आखिर वो दिन भी आ गया रोहित और श्वेता एक दूसरे के गले में जयमाला डालकर शादी के बंधन में बंध गए थे। श्वेता ने भी कंपनी से एक  महीने की छुट्टी ले रखी थी।  धीरे-धीरे ससुराल की सारी जिम्मेदारियां अपने ऊपर ले ली थी। शुरू में तो कुछ दिन श्वेता को रोहित की मां ने कोई काम करने ही नहीं दिया।

खाना भी बना कर खुद ही खिलाती थी।  लेकिन शादी के 10 दिन बाद ही धीरे-धीरे श्वेता को सब कुछ करना पड़ने लगा। रोहित की माँ अब तो किचन में बिल्कुल ही नहीं जाती थी।  एक गिलास पानी भी लेना होता था वह भी श्वेता से मांग कर ही पीती थी। एक दिन श्वेता ने सोचा अब तो सासू माँ बिल्कुल ही उसकी केयर नहीं करती हैं। 

पहले  तो किचन में भी साथ में काम करवाया करती थीं।  अब तो किचन में एंट्री भी नहीं लेती हैं। दिन भर टीवी देखती हैं और अपनी सहेलियों के साथ ताश खेलती रहती हैं। ऐसा लगने लगा श्वेता को वह इस घर की बहू नहीं नौकरानी बनकर रह गई है।  रोहित भी शुरु-शुरु में तो श्वेता का बहुत ख्याल रखता था। शुरू के एक  सप्ताह रोज बाहर घुमाने ले जाता था शाम को बाहर खाना खाकर आते थे। 

लेकिन 15 दिनों बाद से  ही रोहित अब श्वेता से ढंग से बात भी नहीं करता था। अब ऑफिस से  भी देर से आता था और थकने  का बहाना बना कर सो जाता था। ऐसा लगने लगा था रोहित को श्वेता से कोई मतलब ही नहीं, सुबह भी देर से सोकर उठता था और जल्दी से नाश्ता कर कर ऑफिस चला जाता था। अब तो रोहित को श्वेता से बात करें हुए 2 से 3 दिन भी हो जाता था। सिर्फ काम की बातें होती थी।  फिर भी यह सोचकर श्वेता सब करे जा रही थी कि अब चार-पांच दिन ही बचे हैं फिर तो वह भी नौकरी करने जाने लगेगी उसे भी कहां टाइम है इतना सोचने का। 

 आज महीने का 1 तारीख था  और आज से श्वेता को कंपनी में ज्वाइन करना था सुबह जल्दी उठकर सबके लिए नाश्ता बना कर। ऑफिस जाने के लिए साड़ी पहन कर तैयार हो गई थी।   श्वेता को साड़ी में देखकर श्वेता की सासु माँ ने कहा, “बहु कहीं जा रही हो क्या ? इतनी सुबह-सुबह साड़ी पहनी हो. श्वेता ने कहा, “हाँ माँ आज एक तारीख है, आज से मुझे अपनी नौकरी ज्वाइन करनी है।

रोहित की माँ ने कहा, “यह क्या कह  रही हो बहू अब क्या तुम नौकरी करने जाओगी। लोग क्या कहेंगे कि रोहित की बीवी नौकरी करने जाती है।  शादी से पहले यह सब अच्छा लगता है, शादी के बाद हमारे घर की बहू नौकरी नहीं करती हैं।  मैं भी शादी से पहले टीचर थी लेकिन तुम्हारे ससुर जी से शादी होने के बाद मैंने भी अपनी नौकरी छोड़ दी।  तुम तो प्राइवेट नौकरी करती हो मैं तो सरकारी शिक्षक थी फिर भी अपनी नौकरी छोड़ दी।

   तुम भी नौकरी करने लगी तो घर को कौन संभालेगा, रोहित को कौन संभालेगा।” तभी रोहित बाथरूम से निकला और श्वेता से कहा, माँ सही तो कह रही है, “तुम अब नौकरी कर कर के  क्या करोगी, मैं इतना तो कमा ही लेता हूं कि हम दोनों का जीवन  आराम से चल जाए। फिर तुम नौकरी करने जाओगी तो लोग क्या कहेंगे ऑफिस के सारे लोग मेरा मजाक उड़ाएंगे।

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रोहित अपनी बीवी से जॉब करवा रहा है।” श्वेता ने रोहित से कहा, “ऐसी बात नहीं है रोहित आजकल कोई किसी का मजाक नहीं उड़ाता है, वर्किंग वूमेन होना आजकल कोई शर्म की  बात नहीं है आजकल बहुत सारी लड़कियां जॉब के साथ-साथ अपना घर भी संभालती हैं।   

रोहित, श्वेता का एक तर्क भी मानने को तैयार नहीं था उसने तो साफ-साफ कह दिया, “देखो श्वेता, अगर तुम्हें इस घर में रहना है तो इस घर के नियम कायदे तो निभाने होंगे। मम्मी ने कह दिया कि जॉब नहीं करना है तो नहीं करना है।”  जबरदस्ती कंपनी में रोहित ने श्वेता से रीजाइन दिलवा दिया। फिर क्या था श्वेता घर की कठपुतली बनकर रह गई। श्वेता अब वही करती जो रोहित कहता उसका अपना जीवन दिशाहीन हो गया।  उसने क्या-क्या सपने देख रखी थी रोहित के साथ लेकिन रोहित वही करने लगा जो उसके पापा कभी उसके माँ के साथ करते थे। 

अब तो रोहित को जब भी श्वेता देखती उसमें उसमें उसके पापा का ही चेहरा नजर आता।  उसको समझ आ गया था कि सभी पुरुष एक समान ही होते हैं और सासु माँ कभी माँ नहीं बन सकती है और चाहे कुछ भी कर ले सासु माँ तो सासु माँ ही होती है। श्वेता का माँ का फोन आता श्वेता की माँ  पूछती श्वेता कैसी हो तुम नौकरी कब ज्वाइन कर रही हो?  श्वेता बहाना बना देती थी कि अभी मेरा तबीयत ठीक नहीं है जैसे  ही ठीक हो जाएगा मैं ज्वाइन कर लूंगी।

श्वेता, अपनी मम्मी को सच  बता कर दुखी नहीं करना चाहती थी। उसका भी यही हाल है जो कभी उसका हुआ करता था।  श्वेता को थोड़ी खुशियां क्या मिली वह तो अपने आप को खुशनसीब ही समझने लगी थी वह भूल गई थी कि उधार की खुशियां कितने दिन काम आएगी।

एक सप्ताह के लिए श्वेता अपने मायके गई थी। श्वेता की माँ उसकी नानी के यहां रहती थी। रात मे सोते समय श्वेता की माँ ने श्वेता से कहा वहां पर सब ठीक है ना पता नहीं क्यों तेरा चेहरा देख कर मुझे लगता है कि वहाँ सब कुछ ठीक नहीं है।  श्वेता की माँ का इतना कहना था कि श्वेता फफक फफक कर अपनी माँ से लिपट कर रोने लगी और उसने अपनी सारी बात माँ को बता दिया। 

श्वेता की माँ ने कहा, “देख श्वेता जो मैंने गलती की थी वह गलती दुबारा से मत करो मेरे साथ भी शुरू में ऐसा ही हुआ लेकिन मैंने सोचा सब ठीक हो जाएगा, करते-करते मैंने 20 साल निकाल दिए और उसका नतीजा क्या निकला अलग ही होना पड़ा।  तेरे साथ भी कुछ ऐसा हो उसके पहले ही तुझे अपना रास्ता निकालना होगा तुम्हें अपना जॉब नहीं छोड़ना चाहिए था। आज मैं अपने पैरों पर हूं इसीलिए तेरे पापा से अलग रह कर भी रह रही हूं।  वरना मैं एक रुपए भी किससे मांगने जाती। कौन मेरा सहारा बनता ? क्योंकि इस दुनिया में जब तक तुम्हारे

पास पैसा नहीं कोई भी तुम्हें अपने साथ नहीं रख सकता है। 

 तुम्हारे मामा-मामी भी मुझे इसलिए अपने साथ रखे हैं क्योंकि उन्हें पता है कि महीने दिन दीदी अपने सैलरी से ₹20 हजार हमें दे देती है। श्वेता को अपनी माँ की बातों का बहुत असर हुआ और वह बेंगलूरु जाते ही कई सारी कंपनियों में जॉब के लिए अप्लाई कर दिया था। एक सप्ताह के अंदर ही उसका इंटरव्यू कॉल आ गया और उसके बाद एक कंपनी में सिलेक्शन हो गया था।  अगले दिन श्वेता जॉब पर जाने के लिए तैयार हो गई थी। 

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आज फिर से घर में हंगामा शुरू हो गया था लेकिन इस बार श्वेता ने किसी की नहीं सुनी। श्वेता की सास ने कहा, बहु अगर तुम्हें अपने मन की करना है, इस घर के नियम कानून नहीं मानना है तो यह याद रखो इस घर में वापस मत आना। श्वेता ने कहा, “मां जी आप सही कह रही हैं मुझे पता था आप ऐसा ही कहने वाली हैं इसलिए मैंन अपना बैग पहले से ही पैक कर लिया है और मैंने एक पीजी भी पहले से ही बुक कर लिया है अब मैं वही जाकर रहूंगी। 

शाम को जब रोहित घर आया तो घर मे श्वेता नजर नहीं आ रही थी, रोहित ने अपनी मां से पूछा, श्वेता कहां है? रोहित की मां ने सुबह का सारा किस्सा रोहित को सुना दिया।  रोहित ने भी गुस्से में कहा, “अच्छा उसकी यह मजाल ठीक है जाने दो रहने दो देखते हैं कितना दिन वहां अलग रहती  है।”  

एक सप्ताह से भी ज्यादा बीत गया श्वेता को तो कोई फर्क नहीं पड़ रहा था क्योंकि उसे अपनी जिंदगी में आगे बढ़ना था जिस खुशी  को पाने के लिए उसने रोहित और रोहित की माँ को अपनाया था जब वही खुशी उसे नहीं मिल पा रही है तो उनके साथ रहने का क्या फायदा । इसलिए वह रोहित और उसकी माँ को भूल जाना चाहती थी।  लेकिन इधर रोहित शाम को जब ऑफिस से घर लौटता था तो घर बिल्कुल खाली लगता था, श्वेता की कमी खलने लगी थी।  रोहित को भी अपने आप पर आत्मग्लानि होने लगी। उसने श्वेता के साथ सही नहीं किया आखिर श्वेता ने मुझे क्यों अपनाया

मैं यह सब भूल गया था, वह  मुझसे बहुत प्यार करती थी और मैं भी श्वेता को मैंने श्वेता को बहुत दुख पहुंचाया है, अगली सुबह ही रोहित श्वेता के पीजी पहुंच गया और श्वेता से माफी मांगने लगा श्वेता मुझे माफ कर दो मैं तुम्हें बहुत प्यार करता हूं और मैं तुम्हें वो सब कुछ देना चाहता हूं जिसके तुम हकदार हो।

  हम अलग एक फ्लैट किराया पर ले लेंगे और हम दोनों साथ रहेंगे बोलो मंजूर है। श्वेता पहले तो रोहित को साफ मना कर दी थी लेकिन रोहित के बार बार माफी मांगने से श्वेता ने कहा ठीक है हम दोनों साथ रहेंगे लेकिन मैं अपना जॉब कभी नहीं छोडूंगी और ना ही तुम मुझे कभी जॉब छोड़ने के लिए कहोगे रोहित ने कहा हां बाबा हां तुम्हें जो अच्छा लगे करना मैं तुम्हें कभी भी किसी चीज के लिए मना नहीं करूंगा। ऐसे करके दोनों साथ रहने लगे।

लेखक: मुकेश पटेल

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