कल रात जब से रोहन अपने दोस्त सुधीर की बर्थडे पार्टी में से लौट कर आया है नींद तो जैसे गायब हो गई हो, एक चेहरा उसे बरबस अपनी और आकर्षित किया जा रहा है
कौन था वह चेहरा, किसका था, कहां से आई थी, बहुत सारे सवाल उस के जहन में चल रहे थे, बस सुबह होने का इंतजार कर रहा था
ताकि अपने दोस्त सुधीर से इन सब के बारे में मालूम कर सके! सुबह सबसे पहले सुधीर का फोन डायल किया,! सब ठीक तो है..
तुम्हारी तबीयत वगैरा, कोई दिक्कत तो नहीं है? सुधीर ने इतनी सुबह-सुबह फोन पर रोहन को पूछा! क्या बताऊं यार …
मेरी तो नींद चैन सब उड़ गया है ,मुझे पता नहीं क्या हो रहा है एक अजीब सी खुमारी दिमाग में चल रही है, एक बात बता..
कल तेरी पार्टी में ब्लू कलर की साड़ी में जो लड़की आई थी वह कौन थी..? क्या नाम था उसका? कहां रहती है? क्या करती है. प्लीज यार.. मेरा उससे मिलना बहुत जरूरी है,
अगर मैं उससे नहीं मिला तो पागल हो जाऊंगा! रोहन की बात सुनकर सुधीर ने कहा.. ओ भाई साहब.. आपने तो एक साथ प्रश्नों की झड़ी लगा दी
और एक बात सुन लो वह मेरे साथ ऑफिस में काम करने वाले एक कलीग की धर्मपत्नी है, वहां बात चलने की जरा भी गुंजाइश नहीं है और यार तू खुद इतना हैंडसम है
कि तुझे तो कोई भी मिल जाएगी, बस उसे भूल जा, वैसे उसका नाम शिप्रा है, हां वास्तव में बहुत खूबसूरत है जो भी उससे मिलता है उसकी सुंदरता का दीवाना तो हो ही जाता है
लेकिन मेरे भाई.. तुम इन सबके चक्कर में मत पढ़ क्योंकि वह किसी की ब्याहता है! क्या करूं यार.. इस दिल पर कोई जोर चलता ही नहीं,
मुझे तो पहली नजर का पहला प्यार हो गया उससे, धीरे-धीरे रोहन का एक तरफा प्यार उसकी सनक में बदल गया, वह किसी भी कीमत पर शिप्रा को अपना बनाना चाहता था,
अब वह शिप्रा का का पीछा करने लगा वह जहां जाती वहीं से उस पर नजर रखता किंतु एक दिन एक मॉल में शिप्रा अपने पति के साथ आ रही थी
अचानक उसके पति के सीने में जोर का दर्द उठा और वह वही गिर पड़े, शिप्रा मदद के लिए लोगों को बुलाने लगी और चिल्लाने लगी.. प्लीज..
मेरे पति को बचा लो, प्लीज मेरे पति को बचा लो, मेरा इन के सिवा दुनिया में कोई नहीं है मैं इनसे बहुत प्यार करती हूं, एक बार को तो रोहन को लगा
अच्छा है अब शिप्रा अकेली रह जाएगी और फिर मैं उससे शादी कर लूंगा की तभी उसके दिमाग ने कहा …नहीं रोहन यह गलत है, तुम किसी की पत्नी को अपना कैसे बना सकते हो
और शिप्रा को अपने पति के कारण पागल देखकर रोहन को अपने ऊपर बहुत शरमा आई, तुरंत रोहन उसके पति को लेकर अस्पताल गया और समय पर इलाज मिल जाने से शिप्रा के पति की जान बच गई,
शिप्रा ने उसे बहुत-बहुत धन्यवाद दिया, शिप्रा को खुश देखकर रोहन को बेहद खुशी हुई और रोहन शिप्रा से अपने प्यार का इजहार किए बिना वहां से लौट आया
हमेशा हमेशा के लिए, हालांकि उसे अपने प्यार को खोने का दुख तो था लेकिन कहीं ना कहीं उसे इस बात की खुशी थी कि उसकी वजह से किसी का घर बर्बाद नहीं हुआ,
रोहन भी आखिर क्या करें दिल पर कोई जोर चलता नहीं! सच है निस्वार्थ त्याग से बढ़कर कोई खुशी नहीं!
हेमलता गुप्ता स्वरचित
दिल पर कोई जोर चलता नहीं