त्याग – चन्द्रकान्ता वर्मा

रोली पडी लिखी अच्छी पोस्ट पर थी चार भाई बहन थे एक भाई तीन बहनें।

किस्मत की मार एसी पडी कि माता पिता एक सडक दुर्घटना में स्वर्गलोक सिधार गये।

रोली बडी थी भाई बहन पड रहे थे।

एक दिन पिता नें उसका रिश्ता जहां किया था वो लोग आये पर रोली नें इंकार कर दिया कि मेरे उपर अब जिम्मेदारी है इस परिवार की ।

शादी टूट गई और सबको पडाती रही घर का खर्च भी कम नां था भाई जोब मैं लग गया तो उसनें घर खर्च मांगा बोला दीदी मेरे अपनें बहुत खर्च है माफ करनां।

एक दिन वो सामनें एक लडकी के साथ आ खडा हुआ मैंनें शादी करली आशीर्वाद दो।

रोली हक्की बक्की रह गई। बोली ठीक है पूजा रखवाती हूं ऊपर कमरे में रह जानां पर वो तुरंत बोला नहीं दी मोनां मेरी पत्नी संयुक्त परिवार में नहीं रहेगी उसनें पहले ही बता दिया था।

चुप रह गई बहनें पड रहीं थीं।धीरे धीरे रोली की उम्र बडती गई उसनें बहनों की शादी लोन ले ले कर करवाई सब अपनें घरों मे चलीं गईं।

सुखी थी रोली खुश थी पर अब उसकी जिंदगी का क्या?

एक दिन ओफिस के एक साथी नें रोली को शादी का प्रस्ताव दिया ,उसनें भाई बहन सबसे बात की सब बोले क्या दीदी 55साल में शादी करोगी रोली उदास हो गई किसी नें साथ नहीं दिया खैर उसनें कोर्ट में शादी करली और ओफिस वालों नें पार्टी रखी पर घर का कोई नहीं आया।

एक दिन भाई बहनें आईं और बोलीं दीदी घर तो पापा का था बंटवारा करदो हम सबको अपनां हिस्से का पैसा दे दो।

रोनें लगी रोली उसके पति नें जो बनता था सबको देकर घर रोली के नाम करवा दिया।

रोली गले लग कर रो पडी बोली पर मुझे संतुष्टि है कि मैंनें अपनां कर्तव्य पूरा किया इसीलिए भगवान नें आप जैसा जीवन साथी दिया।

#त्याग

चन्द्रकान्ता वर्मा

लखनऊ

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