“टूटते रिश्ते जुड़ने लगे” – पूजा शर्मा : Moral Stories in Hindi

अपने किसी परिचित के शादी समारोह खत्म होने पर निधि वापस सहारनपुर से गाजियाबाद जा रही थी। थोड़ी देर बाद उसी बस में शिवम को चढ़ते देखकर

निधि ठगी सी रह गई कहीं मैं सपना तो नहीं देख रही शिवम यहां कैसे ।एक बारगी उसका मन हुआ वह दौड़कर शिवम के पास चली जाए और पूछे कैसे हो मेरे बिना तुम कैसे रहते हो? आज भी वैसा ही था जैसा छोड़ कर आई थी। चेहरे पर शालीनता और होठों पर मुस्कुराहट पूरे 2 साल बाद देखा था उसने शिवम को।

 इससे पहले शिवम उसे देख ले उसने अपनी आंखें मोबाइल में गड़ा दी थी और अपनी गर्दन झुका ली थी।

 लेकिन शायद किस्मत दोनों को मिलवाना ही चाह रही थी उसके पास वाली सीट खाली पड़ी थी तो शिवम वहीं आकर बैठ गया, उसके दिल की धड़कन बढ़ गई थी। उसने अपना मुंह खिड़की की तरफ घुमा लिया।

  तुम्हारा झूठ मैं आज भी पकड़ सकता हूं निधि तुम मुझसे छुप नहीं सकती। बस में चढ़ते ही मैंने तुम्हें देख लिया था। कैसी हो? बहुत कमजोर हो गई हो। आरव कैसा है? तुम अपना ध्यान नहीं रखती ना। शिवम इतने हक से बोल रहा था निधि से?

 निधि की आंख भर आई लेकिन उसने अपने आंसूओ को छुपा लिया और बोली मैं ठीक हूं तुम कैसे हो? देख लो तुम ही बताओ मैं कैसा हूं? दोनों की नजरे मिली और दोनों की आंखों में दर्द साफ झलक रहा था। कहीं जा रहे हो तुम अकेले ही हो क्या कोई और नहीं है साथ तुम्हारे, पहेलियां क्यों बुझा रही हो सीधे-सीधे क्यों नहीं पूछ लेती की शादी की या नही,

शादी तो तुम जब करते तब हमारा तलाक होता हमारा कौन सा तलाक हुआ है अभी, तलाक नहीं तो और क्या है ये कागजों पर ही तो होना बाकी है। लेकिन अब तो तुम पूरे आजाद हो चुके हो, अब तो खूब मिलते होंगे अपने साथ काम करने वाली उस वैशाली से, वैशाली का नाम आते ही

निधि का मन उसके प्रति नफरत से भर गया। आखिर वही तो थी जिसनें उसके हंसते खेलते घर में आग लगा दी थी। तुम आज भी गलत सोच रही हो नीधि, वैशाली की शादी हो चुकी है पुनीत से जो उसे

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 पहले से ही प्यार करता था और उसके 2 साल के बच्चे को अपनाने को भी तैयार था। मैंने तुम्हें कितनी बार फोन किए थे लेकिन तुमने हर बार मेरा फोन काट दिया। यहां तक की तुमसे मिलने दो तीन बार तुम्हारे घर भी गया लेकिन तुम्हारे भाई ने मुझे अंदर तक जाने नहीं दिया। तुम्ने अपने फोन से भी मुझे ब्लॉक कर दिया।

बस फिर कुछ दिन बाद मैंने भी उम्मीद छोड़ दी थी। उसके बाद मैंने कोई कोशिश भी नहीं की। मेरे सबसे प्यारे दोस्त विनीत के मर जाने के बाद उसने मेरे ही स्कूल में पढ़ाना शुरू किया था। विनीतकी माँ उसे बेटी की तरह मानती थी इसीलिए दूसरी शादी करना चाहती थी लेकिन वैशाली दूसरी शादी के लिए बिल्कुल तैयार नहीं थी।

वो नहीं चाहती थी कि उसके बेटे का प्यार बट जाए कोई इंसान भी बाप की तरह प्यार नहीं कर सकता किसी और के बेटे को।।मुझे पता था पुनीत उससे अब भी प्यार करता था इसी वजह से विनीत की मम्मी के कहने पर मैं बार-बार उसे समझाने जाया करता था कि उसे शादी कर लेनी चाहिए पुनीत अभी उसे उतना ही प्यार करता है।

भला मैं अपने ही दोस्त की बीवी पर क्यों गलत नजर डालूंगा? मगर उस समय तुम पर शक का भूत चढ़ा हुआ था तुमने मेरी एक बात भी सुननी उचित नहीं समझी, और बुरा मत मानना तुम्हारे घर वालों ने तुम्हें समझाने की बजाय मुझे ही गलत ठहरा दिया। कम से कम एक बार तो मेरी थी बात सुननी चाहिए थी।

 खैर अब इन बातों से क्या फायदा? हमारा बेटा कैसा है क्या मुझे उससे एक बार नहीं मिलवाओगी? बातों के बीच में पता ही ना चला कब गाजियाबाद आ गया उसे उतरना था? शिवम को दिल्ली जाना था, चलते चलते रूंधे गले से शिवम ने इतना ही कहा मैं आज भी तुम्हारे इंतजार में हूं।

मेरा घर आज भी वैसा ही पड़ा है जैसा तुम छोड़कर गई थी। तुम्हारी मर्जी है आना चाहो तो। क्या कहती निधि चुपचाप बस से उतर गई और शिवम उसे दूर तक जाते हुए देखता रहा। घर आईतो देखा उसका बेटा आरव अभी तक सो रहा था मां भी उसी के बगल में लेटी थी। उसने आरव का माथा सहलायाऔर उसके माथे पर एक चुंबन जड़ दिया।।‌

वह उठ गया और अपनी मां को गले लगकर मिला मम्मी आप आ गई। शाम के 6:00 बज रहे थे। बड़ी भाभी और छोटी भाभी अपने बच्चों को पढ़ा रही थी। उसने मुंह हाथ धोएं कपड़े बदले और अपने और मां के लिए चाय बना लाई। आरव को भी दूध में कॉर्न फ्लेक्स डालकर दे दिए।

वह निढाल सी वहीं लेट गई आरव बाहर खेलने के लिए चला गया। उसने अपनी मां को सब कुछ बताया मां तो उसे कब से यहीसमझाने की कोशिश कर रही थी? देख बेटा पिछले दो सालों में तूने देख ही लिया है कितने तेवर बदल गए हैं तेरे भाई भाभी के तेरे दोनों भाई कभी तुझे अपने हाथों पर रखते थे लेकिन आज उन्हें परवाह भी नहीं है अपने बहन की सुख-दुख की बस उन्हें तो तेरी कमाई का लालच हो गया है। तेरे पापा के बाद मुझे बस तेरी ही चिंता रहती है मेरा क्या मैं तो आज हू कल ना हूं?

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  शिवम को पहचानने में तूने ही गलती कर दी। और फिर तेरे दोनों भाई उन्होंने भी कोई कसर नहीं छोड़ी तेरा घर तुड़वाने में। तुम्हारे पापा ने भी अपने लाड़ के कारण तुम्हें अपने घर बैठा लिया। मैंने कितना कहा एक बार शिवम से भी बात कर लीजिए लेकिन वह सुनने को तैयार ही नहीं थे यही कहते रहे मेरी बेटी मेरे ऊपर कभीबोझ नहीं हो सकती जमाना कितना भी बदल जाए सच आज भी यही है और कल भी यही था। ब्याही हुई बेटी चाहे कितनी भी लाडली हो भाइयों को बोझ ही लगती है। अब भी कुछ नहीं बिगड़ा है

तू वापस अपने घर चली जा। तू कहे तो मैं शिवम को फोन कर दूं वह तुझे लेने आ जाएगा। नहीं मां मैंने घर भी तो अपनी मर्जी से ही छोड़ा था अपनी मर्जी से ही मैं अपने घर जाऊंगी। निधि की मां बहुत खुश थी। आखिर टूटता हुआ रिश्ता जुड़ने लगा था। अगले दिन जब घर में सबको उसके जाने का पता चला तो उन्होंने समझाया तू

अपने उसे पति के पास जाकर क्या करेगी? जिसे तेरी कदर नहीं है आखिर कमाई का लालच जो पड़ गया था दोनों भाइयों को। सोने का अंडा देने वाली मुर्गी जो बन गई थी उनकी बहन उनके लिए। मगर उसने उनकी तरफ एक नजर भी नहीं देखा और अपने बेटे को लेकर चल पड़ी। मां ने रोते हुए उसके सर पर हाथ रखा और उसे गले लगा लिया।

 शिवम को उसने फोन कर दिया मैं आ रही हूं तुम्हारे बेटे के साथ हमेशा के लिए।

 घर पहुंची तो शिवम दरवाजे पर उसी का इंतजार कर रहा था् अपने बेटे को गोद में लेकर बेहताश चूमने लगा शिवम। नीधि भी अपने पति के गले लगकर फुट-फुट पर कर रोने लगी कुछ कहने सुनने को अब बाकी नहीं रह गया था आखिर अपना घर संसार यही है। देर से ही सही निधि की समझ में आ गया था।

पूजा शर्मा

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