तुम्हे क्या शादी करके आराम करवाने के लिए लाया हूँ – मीनाक्षी सिंह: hindi stories with moral

hindi stories with moral : सुन रहे हो… मेरे पैरों में और कमर में बहुत दर्द हैँ…. ज़रा विनी का डायपर तो उठा लाना  उस कमरे की टेबल से….

मैं ऑफिस से थका हुआ आता हूँ….. मेरे पास टाइम नहीं हैँ… मुझे आराम चाहिए…. तुम घर में रहकर बिमार पड़ ज़ाती हो…. नहीं होता विनी का काम तुम पर तो किसी को अपने मायके से बुला लो….बेड पर लेटे हुए  फ़ोन चलाता हुआ राशि का पति मोहित बोला…

अभी एक महीने पहले ही राशि के ऑपेरेशन से बेटी हुई हैँ…. उसे ज़रा भी आराम नहीं मिल पाया… .. सास और उसकी माँ आयी थी कुछ दिन के लिए…. तगा बंधते ही चली गयी…. बेचारी राशि पूरा दिन अकेले ही बेटी को संभालती हैँ…. घर के काम करती हैँ… पूरी रात तो बेटी जगाती हैँ…..

सुबह सोती हैँ तो राशि को भी नींद लग ज़ाती हैँ पर बेचारी सुबह भी कहां सो पाती हैँ… पतिदेव को 8 बजे ऑफिस के लिए निकलना होता हैँ…. उनका नाश्ता खाना तैयार करती हैँ…. तब तक बिटिया रानी उठ ज़ाती हैँ…. एक बार बुखार आ गया था राशि को तो राशि ने कहा आज आप अपनी कैंटीन में खाना खा लेना….

पति मोहित गुस्से में बोला…. तुम्हे क्या शादी करके आराम करवाने के लिए लाया हूँ…. अगर मुझे बाहर ही खाना हैँ तो तुम्हारे होने का क्या फायदा…. सामान पैक करो …. चली जाओ घर ….. बेचारी राशि सर पर कपड़ा बांध उठी थी… बनाया था बीच बीच में बैठकर खाना उसने….

जब बेटी रात को ज्यादा रोती हैँ तो मोहित झुँझला कर अपना तकिया उठा दूसरे कमरे में अंदर से बंद कर चादर तान कर सो जाता हैँ…. बेचारी राशि पूरी रात बेटी को गोद में ले बैठी रहती हैँ…. ये पति हॉउस वाइफ को क्या समझते हैँ… कि वो घर में सिर्फ  आराम करती हैँ… ..

काम तो सिर्फ वहीं करते हैँ…. घर की मुर्गी  दाल बराबर…. खुद का काम ही दिखता हैँ इन्हे …. ऐसा नहीं राशि पढ़ी लिखी नहीं हैँ… य़ा नौकरी नहीं कर सकती पर उसने परिवार को प्राथमिकता दी…. शुरू शुरू में सब अच्छा भी था…. मोहित एक प्यार करने वाला पति था…. पर असली प्यार तो बेटी के आने के बाद ही पता चल रहा हैँ राशि को….

अब तो हद हो गयी…. हर बात पर मोहित यहीं कह देता हैँ…. अब तुम किसी काम की नहीं रही…. भ्ई एक औरत का शरीर बच्चे के बाद पहले जैसा नहीं रहता….. राशि ने गुस्से में बोल दिया था कि तुम्हे मुझसे नहीं मेरे शरीर से प्यार हैँ… तुम स्वार्थी आदमी हो…. पता नहीं उस दिन से क्या हुआ…

मोहित ने राशि के पास आना ही बंद कर दिया…. वो राशि को प्यार से छूता भी नहीं था… बस खाना पीना खाकर दूसरे कमरे में सो जाता था…. राशि अब दिन पर दिन डिप्रेशन में जा रही थी… उसे शक हो रहा था कि मोहित किसी और औरत के पास जा रहा हैँ…. वो खोयी खोयी सी रहती थी …. एक दिन अचानक से बिना बताये राशि की सास उनके घर आ गयी …..

दरवाजा मोहित ने खोला…. वो माँ को देख घबरा गया…

माँ… तुम कैसे बिना बताये अपने आप आ गयी….??

ना राम राम….. ना हाल चाल…. ना पैर छुये ….क्या हो गया हैँ तुझे रे …. क्या मुझे अपने घर आने के लिए भी तुझसे पूछना पड़ेगा . …

अरे नहीं माँ…. वो तुम कभी अकेले ऐसे आयी नहीं ना इसलिये पूछा. … मोहित ने माँ के पैर छूये …. तभी राशि भी विनी को गोद में लिए आयी… सास के पैर छूने वाली थी तभी सास अनुपमाजी  ने विनी को गोद में ले लिया….. ले बहू अब पैर छू ….

सभी लोग अन्दर आ सोफे पर बैठ गए… दो महीना हो गए… तुम दोनों में से किसी ने फ़ोन नहीं किया  …. तो तेरे पापा बोले कि तू देखकर आ कि सब सही तो हैँ वहां …. मुझे खेत का काम हैँ…. मुझे बस में बैठा दिया … आ गयी मैं …

ठीक हैँ माँ… अच्छा हुआ आ गयी…. मोहित बोला….

अनुपमा जी राशि को गौर से देखने में लगी थी…. जबसे वो आयी थी राशि ने एक शब्द भी नहीं बोला…. वो बांवरी सी लग रही थी… बाल पूरे उलझे हुए…..जैसे कितने दिनों से कंघी ना हुई हो… बेकार सी मेक्सी पहने …. चेहरे पर उदासी…. अनुपमा जी पर अपनी  बहू की ऐसी हालत देखी नहीं गयी….

वो विश्वास नहीं कर पा रही थी कि  ये उनकी वहीं बहू हैँ ज़िसका गुलाब सा दमकता हुआ चेहरा था… साड़ी से पिन तो कभी हटती नहीं थी…. पूरे घर में अपनी पायल की छनछन करती थी…. अनुपमा जी राशि से बोली… मेरी बच्ची तूने अपना ये क्या हाल बना लिया हैँ…

मोहित गुस्से में बोला… माँ इसका ड्रामा तो चलता रहता हैँ…. कुछ नहीं करती…. देखो कैसे पागलों सी रहती हैँ…. आप इस पर ध्यान मत दो…

राशि माँ के लिए चाय तो बना दो… य़ा ऐसे ही बैठी रहोगी….

राशि उठने ही वाली थी सासू माँ बोली…. तू बना जाकर चाय… सुबह का नाश्ता भी तू ही बनाया कर …. बिना बहू को परेशान किये अपना चाय नाश्ता करके चला जाया कर …. उसे जगाने की  ज़रूरत नहीं सुबह ….. जब तक विनी एक साल की नहीं हो ज़ाती तब तक तू बहू के साथ सभी कामों में मदद करायेगा … जब भी घर  पर होगा … समझा….

तो माँ सब कुछ मुझे ही करना हैँ तो आप विनी और राशि को गांव ही ले जाओ अपने साथ …..

हां सही कह रहा हैँ… तेरे साथ सात फेरे लेकर ये हमारे लिए आयी हैँ…. उसे अपने साथ ले जाऊँ और तू यहां शहर की लड़की के रंगरलिया करें …. हरगिज नहीं… तेरे चाल चलन ठीक ना लग रहे मुझे मोहित….

क्या माँ…. आप मुझे ऐसा समझती हो… ठीक हैँ… कर दिया करूँगा थोड़े बहुत काम…. मोहित सकपकाता हुआ बोला…

वैसे तो मैं भी कहीं ना जा रही जल्दी… यहीं रहूँगी… अपनी लाडो की मालिश करूँगी…. उसकी देखभाल करूंगी… गांव में बड़क्की बहू संभाल ही रही हैँ….

उसी दिन से सास अनुपमा जी ने पूरे घर की कमान अपने हाथ में ले ली… राशि को आराम करने का पूरा समय देती….. विनी को खुद संभालती…. मोहित के स्वभाव में भी पहले से काफी बदलाव आ गया था… राशि भी डिप्रेशन से बाहर आ रही थी….

बहू ये जो आदमी होता हैँ ना भौंरे के स्वभाव का होता हैँ… उसे एक ही डाल पर बने रहने के लिए पत्नी को ही समझदारी से काम लेना पड़ता हैँ…. एक उम्र क बाद पति पत्नी का प्यार सुंदरता य़ा बाहरी आकर्षण का मोहताज नहीं रह जाता…… इसलिये तू सजी धजी रहा कर …. तैयार हो जा….

आज मोहित के साथ फिलम देख आ…. आ रहा होगा वो…. विनी को मैं देख लूँगी…. और बाहर ही खाना खा आना…..मेरे लिए तो रखा हैँ…. राशि फूटकर माँ जी के सामने रो पड़ी… उनके सीने से लग गयी…

जा पगली…. अब तैयार हो….

राशि सुन्दर सी गुलाबी रंग की साड़ी पहने बहुत ही खूबसूरत लग रही थी…. मोहित राशि के चेहरे से नजर ही नहीं हटा पा रहा था….

दोनों लोग हाथों में हाथ डाले चल दिये… अनुपमा जी के चेहरे पर मुस्कान आ गयी….

मोहित ने राशि से अपने बीते समय के व्यवहार के लिए माफी मांगी….

अब रात में भी कई बार अनुपमा जी बहाना बना देती हैँ कि लाडो के बिना मुझे नींद नहीं आती … मेरे पास ही सुला दे बहू….

मोहित और राशि को भी अब अपने पति पत्नी के रिश्ते के लिए समय मिल जाता हैँ…

सही बात है … घर क बड़े बूढ़े घर की नींव होते हैँ… इनके होते हुए कोई परिवार बिखर नहीं सकता….

मीनाक्षी सिंह की कलम से

आगरा

 

 

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