अस्पताल के पलंग पर वह थी। पास में उसके बेटा लेटा था, जिसका 2 दिन पहले ही जन्म हुआ था । प्राइवेट रूम खाली खाली न होने के कारण सेमी प्राइवेट लेना पड़ा। जिसमें तीन बेड थे एक खाली धा दो भरे थे जिसमे एक पर नेहा थी और दूसरे पर एक महिला थी जिसका नाम रीता था। उसकी बेटी थी।
दोनो के घरवाले उस समय वहां नही थे तो दोनो बात करने लगी। रीता ने नेहा से पूछा -“आप वर्किंग हो?”
वह मुस्कुराते हुए बोली- हां”
फिर रीता ने पूछा -कहां?
नेहा ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया – अपने घर में।
रीता ने कहा – “अच्छा ऑनलाइन कर रही हो।
नेहा ने कहा- नहीं । ऑफलाइन।
रीता ने उसको ध्यान से देखते हुए पूछा- कैसे? किस पोस्ट पर हो?
नेहा की मुस्कान गहरी हो गयी फिर वो बोली – बहुत सारी पोस्ट एक साथ हैंडिल करती हूं।
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रीता कुछ समझ नहीं पा रही थी बल्कि जिज्ञासु हो रही थी कि कैसे ,क्या जैसे अनेक प्रश्नों के लिए, फिर धीरे से बोली-
कौन कौन सी और कैसे?
नेहा की आंखो मे चमक आ गयी वो मुस्कुराते हुए बोली- मेरा आफिस घर है। मैं मैनेजर हूं सारी व्यवस्थाएं मैं देखती हूं। मैं ही एच आर हूं जो घर में दूसरे काम करने वाले इमप्लाई को सेट करती हूं । मैं ही इंचार्ज हूं जो दिन भर घर में क्या सही क्या खराब ,क्या बनाना चाहिए क्या कहां से कहां रखना चाहिए। यह सब भी देखती करती हूं। और कभी-कभी मैं ही वही एंप्लाई भी बन जाती हूं । खाना भी बनाती हूं ,घर की सफाई भी करती हूं। कामवाली नहीं आई तो झाड़ू-पोछा और बर्तन भी साफ करती हूं। वॉशिंग मशीन खराब हो गई तो कपड़े भी धुलती हूं । माली नहीं आया तो पौधों को पानी भी देती हूं। घर में होने वाले हर प्रोग्राम के लिए इवेंट तैयार करना ,मेहमानों की आवभगत से लेकर उनकी विदाई तक की तोहफे की व्यवस्था करना। सभी रिश्तों की देखभाल करना, यहां तक अगर बच्चे ने दीवार खराब कर दी तो बाजार से पेंट लाकर कमरे की दीवारों को पेंट भी कर देना।
रीता उसका मुंह आंखे फैलाकर देख रही थी फिर अचानक जैसे ध्यान भंग हुआ हो अपने पेट को संभालते हुए हंसने लगी। फिर बोली-” नेहा तुम्हारी जॉब तो बहुत डेंजरस है । “
नेहा थोड़ी देर रुकी, पानी पिया और फिर बोली – और सुनो रीता , यह सारा वर्क विदाउट सैलेरी होता है। कोई लीव नहीं। मायके जाने के लिए लीव मिलती है लेकिन वहां भी काम लेकर जाती हूं। दोनो बच्चे साथ जाते हैं। वहां पर कॉल पर अपडेट देती और अपडेट लेती रहती हूं। अब तुम ही बताओ मैं वर्किंग हुई ना? अभी नेहा इतना ही बोल पाई थी कि तभी अचानक तीसरी आवाज वहां पर दोनो को सुनाई पड़ी जो दरवाजे से अंदर दाखिल होती हुई डा. प्रीती सिंह की थी जिन्होने नेहा की सारी बातें सुन ली थीं वो अंदर आ ही रहीं थीं किसी काम से वहीं रुकना पड़ा उतनी देर में अंदर होने वाली बातें उन्हें सुनाई पड़ी तो उनको पूरी बात सुनने का मन हुआ और फिर वो वहीं रुकी रहीं अब नेहा का प्रश्न सुनकर अंदर दाखिल होते हुए
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बोलीं – “यस, जी हां, बिल्कुल नेहा, आप ग्रेट वर्किंग वूमेन हैं।और आप जैसी बहुत हैं।”
डॉक्टर की बात सुनकर नेहा मुस्कुराई और फिर असंतुष्ट भाव से व्यथित स्वरों मे बोली – “कहां डॉक्टर, इसके बाद भी यही सुनने को मिलता है। तुम तो घर पर रहती हो तुमको क्या पता कि बाहर क्या होता है।”
नेहा की इस बात ने कुछ पल के लिए वहां एक सन्नाटा फैला दिया।
#भेदभाव
स्वरचित- उषा भारद्वाज