मम्मी तुमने हमारे साथ बहुत बुरा किया है देखना तुम तुम्हें इसकी ऐसी सजा मिलेगी कि तुम कभी भूल नहीं पाओगी। अखिल के ऐसे शब्द सुनकर तनुजा हतप्रभ रह गई, वो बेटे अखिल की तरफ देखते हुए बोली ये तुम क्या कह रहे हो बेटा,
ठीक ही तो कह रहा हूँ, तुमने बहुत बुरा किया हमारे साथ। तनुजा को तो जैसे किसी ने ऊचे पहाड से नीचे धकेल दिया हो। जिस बेटे के लिए मा बाप अपना सुख चैन भुला देते हैं,। जिसके दुख मे दुखी और सुख मे सुखी होते है, अपना सारा जीवन बच्चों की खातिर र्कुबान कर देते हैं वही बच्चे क्या बोल रहे है और क्या मा से कहना चाहिए और क्या नहीं ये भी समझ नहीं आता।
तनुजा काम कर रही थी बेटे की ऐसी बात सुनकर धम्म से कुर्सी पर बैठ गई और जोर जोर से रोने लगीं। दूसरे कमरे में बैठे तनुजा के पति सोमेश उठकर आज और पूछने लगे क्या हुआ तनुजा क्यों रो रही हो। तनुजा कुछ न बोल कर बस रोए जा रही थी।
सोमेश के बार बार पूछने पर तनुजा ने बताया कि अखिल कह रहा है तुमने मेरे साथ बहुत बुरा किया है दैख न ततुम्हारे साथ भी बहुत बुरा होगा इतना कि कहीं की नहीं रहोगी। अब तुम ह बबताओ सोमेश जिस बच्चे के लिए माँ बाप दर दर मन्नत मांगते है,
जिसके दुख मे बच्चे से ज्यादा माँ बाप दुखी हो जाते है वो आज हमसे कह रहा है कि तुम्हारे साथ बहुत बुरा होगा। क्या बताए आजकल की औलाद को सोमेश बोले शादी हो गई तो बीबी की भाषा बोलने लगेगा क्या आने दो नीचे मै बात करता हू तुम रोओ नहीं अभी, शांत हो जाओ अखिल से माफी मंगवाता हू। क्या होता है जी माफी मांगने से जो दिल पर घाव दिया है वो भर जाएगा क्या।
अखिल तनुजा और सोमेश की इकलौती संतान है सारी सुख सुविधा दी अखिल को जैसा कि हर मां बाप देते हैं अपने बच्चों को। अच्छा पढाया लिखाया और आई आई टी खडगपुर से इंजीनियर की पढ़ाई की है अखिल ने। हमेशा अपने सुख सुविधाओं मे और जरूरतों की कटौती करके अखिल को अच्छे से अच्छा देने की कोशिश की थी तनुजा और सोमेश ने।
अब आखिल की शादी की उम्र हो रही थी। तनुजा ने अखिल से कहा बेटा शादी कर लो अखिल बार बार मना करता रहा
तनुजा ने समझाया देखो हर चीज समय पर अच्छी लगती है और फिर उम्र जयादा हो गई तो हमारे मन मुताबिक रिशता नहीं मिलता फिर तो समझौता ही करना पड़ता है। कई बार समझाने पर अखिल तैयार हुआ। तनुजा और सोमेश ने कई पेपर और मैगज़ीन और मेट्रो मोनियल साइड पर अखिल का प्रोफाइल डाल दिया।
बहुत रिश्ते आने लगे आखिर अच्छा पढा लिखा और अच्छी नौकरी पर थि अखिल। लेकिन अखिल एक तरफ से सभी रिश्ते को नकारता जा रहा था। आखिर मे एक मैगज़ीन की तरफ से एक लडकी पसंद आई अखिल को लेकिन वो रिशता सोमेश और तनुजा को नहीं पसंद आ रहा था।
आखिर माँ बाप के पास कुछ तो अनुभवी निगाह होती ही है न लोगों को पहचानने की बाल धूप में थोड़ी सफेद किए होते है। आखिर में बेटे की ही बात माननी पडी। और शादी हो गई।
लेकिन दोनों में पटरी ही नहीं बैठती थी। नौकरी वाली लडकी थी तो वो घर में कोई भी काम करने को तैयार ही नहीं थी। मत करो कोई काम आप घर मे नौकर रख लो लेकिन नौकर को भी तो देखना पडेगा न कि वो क्या और कैसे काम कर रही है।
फिलहाल रोज रोज दोनों की तू तू मैं मै होती थी फिर यही तू तू मैं मै आगे चलकर विकराल रूप धारण कर गई। अब तो बहू विकेडं मे अपना सामान उठाती और जाने कहाँ चली जाती फिर दो दिन के बाद आ जाती। पूछने पर घर में झगड़ा होता। इसी तरह लडते झगडते तलाक की नौबत आ गई और दोनों का तलाक़ हो गया।
अब तनुजा और सोमेश अखिल को लेकर फिर चिंतित रहने लगे। माँ बाप है न चिंता करना तो जायज है न। तनुजा बेटे की परेशानी में घुली जा रही थी। सोमेश हाथ पैर मार रहे थे कि आखिल की फिर से शादी हो जाए, घर बस जाए। आखिर कोशिश रंग लाई और सोमेश के एक परिचित की बेटी थी उसकी भी शादी टूट चुकी थी। लडकी अखिल को पसंद आ गई तो शादी हो गई।
तनुजा ने जब अखिल की पहली शादी हुई थी तो रिश्ते दारों को देने लेने के लिए कुछ कपड़े खरीदे थे उसमें से कुछ बच गऐ थे तो उनको उठाकर ऊपर आखिल के कमरे मे बनी आलमारी मे रख दिए थे नीचे जगह नहीं थी तो ऊपर एक किनारे रखे रहेगें कोई दिक्कत नहीं है।
अखिल की जब दूसरी शादी हुई तो सारी तैयारी फिर से तनुजा ने अकेले ही क्यों कि सोमेश के पैर फैक्चर हो गया था इसलिए वो कुछ नहीं कर पा रहे थे सारी तैयारी घर की बाहर की तनुजा ने अकेले ही की।
अखिल की दूसरी बीबी मानसी आज विदा होकर घर आ गई थी। दूसरे दिन अखिल तनुजा से कहने लगा मम्मी ऊपर जो कमरे में कपड़े वगैरह रखे है वो सब वहाँ से हटा दो। मानसी कह रही है वो सब पहली पत्नी के है इसलिए मुझे देखकर अच्छा नहीं लग रहा है।
उसे हटाओ वहाँ से। तनुजा बोली बेटा वो सब कपड़े पहली पत्नी के नहीं है, वो तो अपना एक एक सामान पहले ही उठा ले गई थी। ये तो हमारे खरीदे हुए कपड़े है। रिश्तेदार को देने के लिए खरीदे थे उसी मे से बच गऐ है नीचे जगह नहीं थी तो ऊपर रख दिया था। रखा रहने दो एक तरफ क्या परेशानी है। अखिल कहने लगा नहीं मानसी को परेशानी है हटाओ वहाँ से
अखिल के बोलने के बाद भी तनुजा बात को टाल गई कोई इतना बड़ा मसला नहीं है। बस दो दिन बाद अखिल नीचे आकर मम्मी से बदतमीजी करने लगा। तुम हटा नहीं रही हो कपड़े मेरा अच्छा नहीं देख सकती। बताओ जिस बच्चे की परेशानी से आप पल पल परेशान होते है वो कह रहा है आप मेरा बुरा चाहती है।
अखिल की बातों से तनुजा के मन पर बहुत चोट लगी। और वो अनमने मन से खाना बना कर रखकर लेट गई। सुबह से खुद भी कुछ नाश्ता नहीं किया और बिना खाए पीए लेट गई। दोपहर तीन बजे जब सोमेश जी तनुजा को आवाज देने लगे तो कोई जवाब न पाकर तनुजा को हिलाया कोई हरकत न होने पर सोमेश ने अखिल को आवाज दी
कि देखो नीचे आकर मम्मी को क्या हो गया है। अखिल दौड़ा दौड़ा नीचे आया । तनुजा शुगर की पेशेन्ट थी सुबह से कुछ नहीं खाया था तो शुगर लो हो गई थी और तनुजा बेहोशी की हालत में पहुँच गई थी। फिर आनन फानन मे शुगर का घोल पिलाया गया,
कुछ मीठा खिलाया जबरदस्ती तब जाकर तनुजा थोड़ी ठीक हो पाई। उठकर बैठी तो रोने लगी कि आज हमारी ही औलाद मुझसे कह रही है कि तुमने हमारे साथ बहुत बुरा किया है देखना तुमहारे साथ भी बहुत बुरा होगा। अखिल ने तनुजा को गले से लगा लिया मुझे माफ कर दो मम्मी गलती हो गई,
मुझे ऐसा नहीं बोलना चाहिए था। कुछ देर मम्मी को गले से लगाए रहा अखिल। फिर जाकर माहौल कुछ ठीक हुआ। अब देखो आगे से अगर कुछ ऐसा बोला अखिल तो ठीक नहीं होगा। सारी मम्मी कब ऐसा नहीं होगा।
दोस्तों आजकल नई पीढ़ी मे ऐसा देखने को आ रहा है। वो कुछ भी अनाप शनाप माँ बाप को बोल देते हैं जिसकी हमे उम्मीद भी नहीं होती। प्लीज ऐसा न करें माँ बाप बच्चों का बुरा कभी नहीं चाहते। शादी की है तो बीबी की भी इज़्ज़त करें लेकिन माँ बाप को बेवजह बेज्ज न करें।
मंजू ओमर
झांसी उतरप्रदेश
22 मई