तुम्हारे हिस्से का प्यार – पूनम भारद्वाज : Moral Stories in Hindi

70 वर्षीय बद्री प्रसाद अभी पौधो को पानी दे रहे थे कि काम वाली बाई आ गई। बाऊजी बर्तन खाली कर दीजिए । हां हां कहते हुए बद्री प्रसाद जी ने रसोई में आकर बर्तन खाली कर  शांता बाई को दिए। तभी उन्होंने दूध और सब्जी बाहर पड़ी देखी.. ओह लगता साक्षी इन्हें फ्रिज में रखना भूल गईं।

उन्होंने सब्जी और दूध उठा फ्रिज में रखा और  लॉबी में बैठ गए  सफाई करती शांता बाई को साथ साथ अच्छे से सफाई करने की हिदायत दे रहे थे वह जानते थे कि अगर सफाई अच्छे से नही हुई तो साक्षी बात का बतंगड़ बनाते एक मिनट लगाएगी।

बद्री प्रसाद जी वहीं लॉबी में अखबार ले बैठ गए।

   लेकिन ध्यान अखबार की बजाए सरला की कही बातों पर चला गया

  सरला भी तो उसको हमेशा कहती थी। बहू ऑफिस जाती है अगर मैं न रहूं तो आप उसके साथ काम में हाथ लगा दिया करना,बुढ़ापा आसानी से निकल जायेगा।

सरला कितना थक जाती थी मगर बद्री प्रसाद कभी उसके साथ हाथ नही बंटाते थे।वह अकेली ही सारा दिन लगी रहती चाहे कितनी भी तबियत खराब होती। बद्री प्रसाद जी को अपना हर काम हर चीज समय पर चाहिए होती, अक्खड़ और दबंग स्वभाव था उनका।  बेशक वो सरला को कभी कुछ नहीं कहते थे

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या ये कह लो सरला ने कभी कहने का मौका ही नही दिया तब भी सरला उनके आगे बोलती नही थी । हां बेटे विवेक  की शादी के बाद सरला ने उनसे  सहमते हुए कहा था, बहू नौकरी पेशा है उसके साथ ज्यादा तलखी मत रखिए वह ना जाने कैसे जवाब दे जो मुझे अच्छा नहीं लगेगा।

बद्री प्रसाद जी ने सरला को हां कहते हुए कहा,” क्यों डरती हो ,तुम्हें क्या लगता है मैं इनसे डर कर रहूंगा ? बद्री प्रसाद जी जानते थे कि सरला कभी उनकी बेइज्जती सहन नही करेगी ।इसलिए वह उन्हें यह सब कह रही थी।

  देखिए बात डरने की नही ये आजकल के बच्चे है किस बात का क्या मतलब निकाले और क्या ही जवाब दे तो  हमें कहना ही क्यों ? अब गृहस्थी इनको बनानी है ,जहां इन्हें हमारी जरूरत होगी हम कुछ समझाएंगे भी बताएंगे भी..मगर किसी भी चीज को थोपेंगे नही।

  बद्री प्रसाद जी ने सरला की बात सुन उसका हाथ पकड़ उसे आश्वस्त किया।

साक्षी स्वभाव से थोड़ी तेज हो थी मगर  सरला जी तो शुरू से ही चुपचाप काम करती आई थी तो बहू से ज्यादा अनबन नही हुई।

                   सरला  बीमार पड़ने पर बद्री प्रसाद जी के लिए चिंतित हो जाती, उन्हें चिंता ही रहती कि बद्री प्रसाद जी की अक्खड़ता उनकी बहू कभी बर्दाश्त नहीं करेगी।इसलिए वह अक्सर बद्री प्रसाद जी को अपना वास्ता दे अपने ना रहने पर घर का काम करने को कहती रहती।

     सरला के जाने के बाद बद्री प्रसाद कब छोटे छोटे काम जिम्मेदारी से करने लगे उन्हें अहसास ही नही रहा।

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बाऊजी मैं जा रही हूं,”शांता बाई की आवाज से उनकी तंद्रा भंग हुई। उन्होंने सिर हिला उसे जाने को कहा। तभी उन्होंने अपना चश्मा उतार अपनी आंखों को पोंछा कब सरला की बातों में खोए उनकी आंखे बह गई पता ही नही चला।

आज उन्हें अपनी सरला बहुत याद आ रही थी , क्यों चली गई इस जीवन संध्या में वो उन्हें छोड़ कर?

तभी फोन की घंटी बजी, उनका फोन उठाने का मन ही नही था। बड़ी हिम्मत से शारीरिक और मानसिक दोनों तरह से थके हुए बद्री प्रसाद जी ने देखा,विवेक का फोन था। उन्होंने बोझिल स्वर में हेलो कहा,” अरे पापा इतना टाइम लगा दिया फोन उठाने में। अच्छा सुनिए डाइनिंग टेबल पर बिजली का बिल रखा है उसमें पैसे भी है आप जाकर बिल भर आइए आज अंतिम दिन है बिल भरने का।

मगर विवेक..अभी वह कुछ बोलते कि विवेक ने फोन काट दिया।

  शारीरिक रुप से थका व्यक्ति फिर खड़ा हो जाता है किंतु  मन से बोझिल होने पर खुद को खड़ा करना बहुत मुश्किल होता है।

वह थके कदमों से साइकल उठा बिल भरने चले गए। घर आए तो अपने कमरे में आ लेट गए..आज उनका मन न जाने क्यों सरला की यादों से हटना नही चाह रहा था , उन्हें उनकी हर बात का सरला का चुपचाप सहना आज अच्छा नही लग रहा था।

   उन्हें आज महसूस हो रहा कि सरला को उनकी बातों का प्रतिकार करना चाहिए था। उन्होंने उसे वो प्यार ,सम्मान दिया नही जिसकी वह हकदार थी।

  वह बार बार अपनी आंखों को पोंछ रहे थे कि काश वह भी सरला के साथ ही चले जाते और यूं अकेलापन न झेलते सोचते सोचते  कब उनकी आंख लग गई पता ही नही चला।

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   सपने में सरला उनकी आंखे पोंछते हुए कहती है अरे आप तो इतने कमजोर कभी नहीं थे फिर आज क्यों??

और मैं कहीं नहीं गई आपके पास ही तो हूं। क्या मैं आपको छोड़ कर जा सकती हूं?

क्या हुआ बच्चों के पास समय नहीं, या वो आपकी परवाह नही करते  मगर अरु तो आपसे कितना प्यार करता है।समय है बीत जाएगा अपने पोते संग समय बिताया कीजिए।

तभी अरु की आवाज से उनकी नींद खुल गई जो स्कूल से आ सीधा दादू के कमरे में  आ गया था।

दादू के बुझे चेहरे को देख नन्हा अरु बोला,” दादू आप उदास क्यों हो। नही बेटा,”मैं ठीक हूं कहते हुए बद्री प्रसाद जी की आंखे नम हो गई।

अरु ने अपने नन्हें हाथों से दादू का चेहरा थामते हुए और आंसू पोंछते हुए कहा,” जब आप हंसते हो तो अच्छे लगते हो,दादी भी कहती थी आप सुपर हीरो हो।

उसकी बात सुन उन्होंने उसे सीने से लगा लिया, टूटती भावनाएं कुछ देर के लिए ठहर गई।

उन्होंने सरला की तस्वीर को देखते हुए कहा ,तुम्हारे हिस्से का प्यार भी अरु को देकर और तुम्हारी खूबसूरत यादों के साथ बचा हुआ जीवन बिता लूंगा, कह वह अरु को साथ ले बाहर निकल गए।

 

पूनम भारद्वाज

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