तुम्हारा मायका तुम्हारे ससुराल से बढ़कर हैं क्या ?? – स्वाति जैन : Moral Stories in Hindi

नीलिमा , यह क्या आज अब तक खाना नहीं बना जबकि आज तो हम दोनों कितनी देरी से आई हैं सास उषा जी  अपनी बड़ी बहू निलिमा पर चिल्लाकर बोली !!

मम्मी , आज मुन्नी ने बहुत परेशान किया , कुछ काम ही नहीं करने दिया !!

अभी चलना सीखी हैं तो यहां वहां भागती रहती हैं , नीचे पडा सामान उठा उठाकर मुंह में डाल देती हैं इसलिए उसका ध्यान रखना पड़ता हैं निलिमा बोली !!

उषा जी बोली बहू तुम तो ऐसी बातें कर रही हो जैसे तुमने ही बच्चा जना हैं , अरे मैंने तीन तीन बच्चों को जन्म दिया हैं , मेरे सामने मत करो यह बच्चों का गुणगान !!

उतने में उषा जी की छोटी बहू टीना जो कि उन्ही के साथ किट्टी पार्टी में गई हुई थी वह बोली भाभी , मुन्नी तो अब रोज रोज परेशान करेगी इसका मतलब आप रोज रोज खाना नहीं बनाओगी क्या ??

टीना की बात का निलिमा ने कुछ जवाब नहीं दिया !!

वैसे भी देवरानी टीना जब से शादी करके आई थी घर में कुछ काम नहीं करती थी बस मुंह चलाना उसे अच्छे से आता था !!

इसका सबसे बड़ा कारण था टीना का पति मुकेश !!

मुकेश पहले से ही स्मार्ट और चालाक लड़का था !! घर में छोटा बेटा होने के कारण खुब लाड प्यार से भी बड़ा हुआ था !!

मुकेश अपने बड़े भाई सुरेश से ज्यादा कमाता था , यही कारण था कि घर में मुकेश और उसकी पत्नी टीना का बोलबाला था !!

सुरेश और नीलिमा दोनों बहुत सीधे साधे थे !! नीलिमा शादी करके आई तब से उसने घर में उषा जी का यही रूप देखा था !!

उषा जी घर का कुछ काम नहीं करती !! कभी किट्टी पार्टी तो कभी सहेलियों के साथ घूमना तो कभी यहां जाना तो कभी वहां जाना !! जिस वजह से घर का सारा काम पहले से ही नीलिमा ने किया हुआ था और अब टीना भी सासू मां की टीम में शामिल हो गई थी क्योंकि टीना बहुत ज्यादा मोर्डन और किसी की ना सुननेवाली लड़की थी और घमंडी तो इतनी कि किसी की सही बात का भी जवाब ठीक से नहीं देती थी !!

नीलिमा समझ चुकी थी कि उसके पति भी उसी की तरह सीधे हैं इसलिए तो आज घर में नीलिमा की हालत नौकरानी जैसी हो गई थी !!

दिन हो या रात नीलिमा को घर का सारा काम करना पड़ता !! अपनी बेटी मुन्नी के लिए भी उसे मुश्किल से समय मिलता !!

दूसरे दिन उषा जी ने अपनी बेटी और दामाद को घर खाने पर बुलाया था !! नीलिमा सुबह से खाना बनाने की तैयारी में लगी हुई थी !!

सभी लोग बाहर खाना खाने बैठे , जब सभी का खाना हो गया तब नीलिमा का खाना खाने का नम्बर आया , उसने देखा कि सब्जी और दाल दोनो ही खत्म हो गए हैं , उसे याद आया कि देवरानी टीना के मायके से आया हुआ आचार अंदर पड़ा हैं , वह अंदर गई और थोड़ा आचार थाली में निकालकर ले आई और उसी के साथ रोटी खाने लगी !!

टीना ने जब देखा कि नीलिमा उसके मायके से लाया आचार खा रही हैं तो वह आगबबुला होकर बोली – नीलिमा भाभी , मेरे मायके से लाया हुआ आचार छूने की हिम्मत कैसे हुई आपकी ?? तपाक से आचार लेकर बैठ गई थाली में जैसे तुम्हारे बाप का माल हो !! तुम्हारे मायके वालो ने तो आचार कभी देखा भी ना होगा , तुम्हारी औकात भी हैं क्या आचार खाने की ?? वैसे ही इस घर का कलंक हो तुम , वह तो हम जैसे लोगो का शुक्र मनाओ कि हमारी वजह से दो वक्त की रोटी नसीब हो जाती हैं तुम्हें !!

टीना तो टीना उसके पीछे सासू मां ने भी ताना मारने में कसर ना छोड़ी !!

उषा जी बोली नीलिमा टीना सही कह रही हैं , तुम तो ऐसे आचार लेकर बैठ गई जैसे यह आचार तुम्हारे मायके से आया हो , यह घर तुम्हें रो वक्त की रोटी तो दे ही रहा हैं !!

नीलिमा की आंखो से झरझर आंसू बह निकले !!

मन में तो आया कह दे कि सारा खाना मैंने बनाया और मेरे लिए दाल और सब्जी तक नहीं छोड़ी गई और उस पर आचार के नाम पर रो रही हैं दोनों सास बहू , आज तो सारी हदे पार कर ली थी सास बहू ने मगर नीलिमा के वैसे संस्कार नही थे इसलिए बिना कुछ बोले खाना छोड़कर रसोई में चली गई !!

नीलिमा के पति सुरेश को भी सब दिखाई देता था और अपने ही घरवालो के ऐसे व्यवहार पर उसे बहुत गुस्सा भी आता था !!

अपनी पत्नी को मारा आज का यह ताना सुरेश से सहा नहीं गया और वह बोला मां , बहुत कर ली आप लोगो ने अपनी मनमानी , बस अब ओर नहीं !!

नीलिमा कुछ बोलती नहीं इसका मतलब यह तो नहीं कि उसे हमेशा नीचा दिखाया जाए !!

एक आचार के दो टुकड़ो के लिए आप लोगो ने तिल का ताड़ बना दिया !!

घर में आई हुई उषा जी की बेटी राधिका समझदार थी !! वह बोली मां सुरेश भैया सही कह रहे हैं !!

आप दोनों को नीलिमा भाभी के साथ ऐसा व्यवहार नहीं करना चाहिए !!

उषा जी बेटी और दामाद के सामने ज्यादा बखेड़ा नहीं खड़ा करना चाहती थी इसलिए बोली हां बेटा तु सही कह रही हैं , चल छोड इन सब बातो को ओर बता वापस कब आएगी तु यहां ??

राधिका भी मां से इधर उधर की बातों में लग गई !!

बाहर माहौल शांत हो चुका था मगर नीलिमा के अंदर जो प्रतिदवंद चल रहा था वह शांत नहीं हो रहा था !!

उस दिन नीलिमा से खाना ही नहीं खाया गया और वह अपने कमरे में चली गई !!

उस रात नीलिमा बहुत रोई जिसका अंदेशा सुरेश को भी हो गया था !!

सुरेश के मन में भी कम प्रतिशोध नहीं था मगर घर में आए बहन जमाई का ध्यान कर उसने अपने आप को समझा लिया था !!

दूसरे दिन नीलिमा उठी तो देखा मुन्नी को बुखार चढ़ गया था !!

नीलिमा फिर भी रसोई में गई और फटाफट सभी के लिए चाय नाश्ता बनाने लगी क्योंकि वह जानती थी ओर कोई तो रसोई की तरफ देखता भी नहीं और मुन्नी को भी तो दूध देना था !!

मुन्नी को बुखार होने की वजह से नीलिमा का मन घर के कामों में नही लग रहा था और वह मुन्नी के पास चली गई !!

सुरेश भी ऑफिस जा चुका था इसलिए वह देवर मुकेश से बोली कि वह उसके साथ हॉस्पिटल चले मगर टीना बीच में ही आकर तपाक से बोली – अरे भाभी !! यह सही हैं आपका , खुद के पति को तो ऑफिस भेज दिया और देवर से पैसे ऐंठने के लिए उसे हॉस्पिटल लेकर जा रही हो !!

उषा जी बोली बहु , तुम क्या जरा से बुखार से घबरा गई , जाओ जाकर खाना बनाओ !! तीन बच्चे पैदा किए हैं मैंने , कुछ नही होगा तुम्हारी बेटी को !!

हल्का सा बुखार हैं शाम तक उतर जाएगा !!

थोडी देर बाद उषा जी और टीना बैठकर आराम से टी.वी देखने लगी और नीलिमा कीचन में खाना बनाने लगी !!

कोई रसोई में तो मदद नहीं करता था मगर किसी को नीलिमा की बेटी मुन्नी की भी नही पड़ी थी , थोडा सा मुन्नी को लेकर ही बैठ जाते दोनों नीलिमा मन ही मन बुदबुदाई और फिर वापस खुद ही अपने कमरे में आकर मुन्नी का तापमान देखने लगी !!

रोज पुरे घर में भागदौड करने वाली मुन्नी आज बिस्तर पर निढाल सी पड़ी थी , नीलिमा को मुन्नी की हालत देखी नहीं जा रही थी मगर घर में उसकी सुनने वाला था ही कौन ???

उसने सुरेश को फोन किया और बोली सुनिए आप जल्दी से घर आ जाईए , हमें मुन्नी को अस्पताल लेकर जाना होगा , उसका बुखार बढ़ता ही जा रहा हैं !!

सुरेश का ऑफिस दूरी पर था इसलिए वह बोला तुम घर से हॉस्पिटल पहुंचो मैं तुम्हें वहीं मिलता हुं !!

नीलिमा जैसे ही मुन्नी को लेकर घर से निकलने लगी , उषा जी बोली सब काम पडा हैं कहां जा रही हो ??

नीलिमा उषा जी की बात का जवाब दिए बिना निकल पड़ी !!

दोनों पति पत्नी हॉस्पिटल पहुंचे तो डॉक्टर ने मुन्नी की हालत बहुत गंभीर बताई और बोले आप लोग अब ला रहे हो अपनी बेटी को , हम पूरी कोशिश करेंगे इसे बचाने की !!

यह सुनते ही दोनों पति पत्नी रोने लग गए मगर होनी को कौन टाल सकता था !!

थोडी ही देर बाद डॉक्टर ने मुन्नी को मृत घोषित कर दिया !!

मुन्नी दुनिया से जा चुकी था जिसका असर सिर्फ नीलिमा और सुरेश पर हुआ था , बाकी घरवाले तो बस बुत बनकर खड़े थे !!

मुन्नी की मृत्यु के दो तीन दिन बाद उषा जी बोली जो होना था हो चुका हैं , अब तुम दोनों पति पत्नी ओर कितना शोक मनाओगे !!

टीना बोली ओर नहीं तो क्या अब भगवान की मर्जी के आगे किसी की कहां चलती हैं ??

आज सुरेश से चुपचाप ना सुना गया और वह बोला तुम सब लोगो की वजह से आज मेरी मुन्नी हमारे बीच नहीं रही !! मां आपने अपना बच्चा नहीं खोया इसलिए शायद आप ऐसा कह पा रही हो और शायद इसकी जगह आपका बच्चा होता भी तो आप यह कर लेती जैसे की मेरे और मेरी पत्नी के लिए करती आई हैं !!

आपके दोनों बेटो में मैं कम कमाता हुं , मैं सीधा हुं इसलिए तो मैं भी अगर चला जाऊं तो आपको क्या ही फर्क पड़ेगा !!

चलो नीलिमा, अब हमारा इस घर में कोई काम नहीं !! अपनी बच्ची तो मैं खो चुका हुं , अब तुम्हें नहीं खोना चाहता !!

इन लोगो ने तुम्हें हमेशा नौकरानी बनाकर रखा , अब बस बहुत हो गया !!

नीलिमा भी थक चुकी थी ससुराल वालो के अत्याचार से और अब तो अपनी बच्ची भी खो चुकी थी इसलिए वह भी अपने कमरे में जाकर अपना सामान बांधने लगी !!

उषा जी यह सब देखकर सख्ते में आ गई मगर बहु टीना उनके पास आकर बोली – मांजी , जब बाहर दरदर ठोकरे खाएंगे तो वापस हाथ जोडे यही आएंगे देख लेना , वैसे भी सुरेश भैया की क्या ही कमाई हैं जो इतना तेवर दिखाकर यहां से जा रहे हैं !!

उषा जी बोली हां बहू , तुम सही कह रही हो , कौन हैं बाहर जो इन लोगो को रखेगा , दोनों को वापस आना तो यहीं है !!

सुरेश और नीलिमा अपना सामान बांध वहां से चले गए !!!

रास्ते में नीलिमा ने अपने मायके फोन  कर सब कुछ बता दिया !!

नीलिमा के माता पिता तो नीलिमा की मदद करना चाहते ही थे मगर उसके भाई भाभी भी ऐसे समय में नीलिमा का साथ देने से चुके नहीं !!

उन्होंने दोनों को अपने घर बुला लिया !!

कुछ दिनों के बाद सुरेश ने किराए पर एक मकान ले लिया , उनकी वहां ग्रहस्थी बसाने में नीलिमा के मायके वालो ने पुरा योगदान दिया !!

सुरेश और नीलिमा ने लोन लेकर टाई और डाई का काम शुरू किया तब कपड़ो को रंगने का काम एक कमरे से ही शुरू किया था !! दोनों ने खुब मेहनत की जिसका नतीजा यह निकला कि कपडे रंगने का काम एक कमरे से शुरू होकर कब फैक्ट्री में तब्दील हो गया दोनों को पता ही नहीं चला और दिन ब दिन उनकी तरक्की होने लगी !!

सुरेश और नीलिमा को अपना घर छोड़े पुरे पांच साल बीत गए थे और इन पांच सालो में एक बार भी सुरेश की मां या उसके घरवालो ने यह जानने की जरूरत तक नहीं समझी कि सुरेश और नीलिमा का क्या हुआ होगा ?? घर के बेटे बहू जो घर में से एक पैसा लेकर भी नहीं निकले उन्होंने अपनी गृहस्थी कैसे बसाई होगी ??

मगर वह कहते हैं ना जो होता हैं अच्छे के लिए होता हैं !! यदि सुरेश और नीलिमा घर से यूं बेघर ना होते तो आज यहां तक कैसे पहुंचते ?? घरवालो के लिए कहीं ना कहीं कड़वाहट तो थी क्योंकि उन लोगो ने सुरेश और नीलिमा का हर बात पर अपमान किया था

और अब अपने ही घरवालों को जवाब देने का समय आ गया था !! दो दिन बाद सुरेश और नीलिमा ने अपना फैक्ट्री का मुर्हुत रखा जिसमें उन्होंने अपने सारे परिवार और रिश्तेदारो को आने का न्यौता दिया !!

सुरेश ने जब अपने घर फोन कर फैक्ट्री के उदघाटन में आने का न्यौता दिया तो उषा जी यह सुनकर भौंचक्की रह गई क्योंकि यहां बेटे मुकेश का कारोबार डूबता जा रहा था !!

उषा जी और टीना काफी समय से किटटी पार्टीज में जाना भी बंद कर चुकी थी , दोनों सास बहु मिलकर रसोई का सारा काम खुद ही करती , यहां तक कि घर में बर्तन , झाडू पौछा लगाने वाली बाई को भी हटा दिया गया था क्योंकि मुकेश की आमदनी बहुत कम होती थी

और इसी में उषा जी और टीना को समझौता करना होता था मगर वह कहते हैं ना कुत्ते की पूंछ हमेशा टेढ़ी ही रहती हैं , इतना कुछ हो गया था मगर दोनों सास बहु अपनी आदतों से बाज नहीं आई थी !!

टीना बोली मम्मी जी चलिए देखते हैं आपके बेटे बहू ने आखिर इन पांच सालो मे क्या तीर मार दिया हैं जो हमें आने का न्यौता दिया हैं !!

उषा जी बोली हां बहू , देखना तो पड़ेगा बोलकर मुकेश , टीना और उषा जी भी दो दिन बाद सुरेश और नीलिमा के फैक्ट्री के उद्घाटन में पहुंचते हैं जहां सुरेश पहले से मौजूद था और सभी का स्वागत कर रहा था !!

सभी रिश्तेदार सुरेश को खुब बधाईयां दे रहे थे और उसकी खुब वाहवाही कर रहे थे कि कहां से शुरू करने वाला सुरेश आज कहां आ पहुंचा !!

सुरेश बोला अगर इस सफर में नीलिमा ने मेरा साथ ना दिया होता तो यह कभी मुमकिन नहीं होता !!

नीलिमा कहीं नजर नहीं आ रही थी , सब पूछने लगे नीलिमा कहां हैं ??

सुरेश बोला – वह पुजा की सामग्री लेकर बस अभी आती ही होगी !!

उतने में पंडितजी बोले बेटा , पुजा का  शुभ मुर्हुत निकला जा रहा हैं , तुम और तुम्हारी पत्नी जल्दी आओ और पुजा में बैठो !!

सुरेश बोला बस पंडितजी पांच मिनट !! नीलिमा आती ही होगी !!

उषा जी सुरेश से बोली तुम कहो तो तुम्हारा छोटा भाई और उसकी पत्नी पुजा में बैठ जाए , कहीं शुभ  मर्हुत ना निकल जाए !!

सुरेश बोला मां पुजा में तो मैं और नीलिमा ही बैठेंगे !! 

यह सुनकर उषा जी मुंह बिचकाकर साईड में खड़ी हो गई !!

पांच मिनट बाद एक बड़ी सी गाड़ी फैक्ट्री के आगे आकर खड़ी हुई जिसमें से नीलिमा उतरकर बाहर आई !!

नीलिमा को देखकर उषा जी और टीना का मुंह खुला का खुला रह गया !!

शिफॉन की पतली सी साड़ी पहनने वाली 

नीलिमा ने आज भारी बनारसी सिल्क साड़ी पहन रखी थी और वह इतनी सुंदर लग रही थी जैसे मानो स्वर्ग से कोई अप्सरा उतरकर आ गई हो !!

नीलिमा के आते ही पुजा शुरू की गई और पुजा संपन्न के बाद सभी को खाना खिलाया गया !!

खाना खाने के बाद सभी रिश्तेदार जाने लगे !!

नीलिमा के मायके वालों ने जब जाने की इजाजत मांगी तो नीलिमा ने अपनी मां और भाभी को साड़ियां दी !!

अब नीलिमा के ससुराल वालों ने भी जाने की इजाजत मांगी तो नीलिमा ने उषा जी और टीना को भी साड़ियां दी !!

आदतन टीना फिर से तपाक से बोली भाभी , हम लोग तो आपके ससुराल वाले हैं , हममें और आपके मायके वालों में कुछ तो फर्क हैं ना , तो आपका फर्ज नहीं बनता कि ससुराल वालो को मायके वालो से ज्यादा अच्छा गिफ्ट दिया जाए !! क्या मायके वाले ससुराल वालो से ज्यादा प्यारे हो गए ??

नीलिमा बोली हां टीना , तुम सही कह रही हो , मैंने तुम्हारे लिए एक्स्ट्रा गिफ्ट मंगवाकर रखा है वैसे भी !!

नीलिमा ने फैक्ट्री के कर्मचारी को बुलाया और अंदर पडा पैकेट लाने कहा !!

कर्मचारी अंदर से पैकेट ले आया , नीलिमा ने उसे टीना को पकडाते हुए कहा यह लो तुम्हारे लिए गिफ्ट !!

टीना से रहा ना गया , उसने तुरंत पैकेट वहीं खोल दिया तो अंदर से एक आचार की भरी हुई बोटल निकली !!

टीना उसे देखकर अंचभित थी !!

नीलिमा बोली एक बार तुमने मुझे इसी आचार को लेकर मेरी औकात बताई थी इसलिए मैंने सोचा इससे अच्छा गिफ्ट तुम्हारे लिए ओर क्या हो सकता हैं ??

उषा जी बोली नीलिमा , आज तुम हमसे उपर आ चुकी हो इसलिए तुम्हे अंहकार हो गया हैं !!

नीलिमा बोली नही मम्मी जी !! अंहकार तो कभी मुझमे आ ही नहीं सकता !! मैं तो अपना आत्मसम्मान , अपनी बच्ची बहुत कुछ खो चुकी थी और इतना कुछ खोने के बाद अब बडी मुश्किल से आया हैं यह आत्मविश्वास !!

अब इसे मैं नहीं खोना चाहती और हां तुमने सही कहा मेरे मायके वाले मेरे ससुराल वालो से ज्यादा मायने रखते हैं क्योंकि उन्होंने मुझे ऐसे समय में सहारा दिया जब मैं अपना सब कुछ खो चुकी थी !!

उषा जी , टीना और मुकेश का सर शर्म से झुक चुका था और सुरेश और नीलिमा का सर फर्क से ऊंचा था क्योंकि आज जीत उनके आत्मविश्वास की हुई थी !!

आपको यह कहानी कैसी लगी ?? कृपया अपनी प्रतिक्रिया जरूर दे तथा ऐसी ही अन्य कहानियां पढने के लिए हमारे पेज को फॉलो जरूर करें !!

धन्यवाद !!

#कलंक

स्वाति जैन

2 thoughts on “तुम्हारा मायका तुम्हारे ससुराल से बढ़कर हैं क्या ?? – स्वाति जैन : Moral Stories in Hindi”

  1. अच्छी कहानी है जैसे को तैसा ही होना चाहिए,दुष्टों को उनकी दुष्टता जवाब मिलना चाहिए

    Reply

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!