तुम शक्ति हो -रंजना बरियार

मेडिकल में दाख़िला हेतु आज फिर अनन्या का टेस्ट है..वो दो सालों से टेस्ट दे रही है..अब तक दसों टेस्ट दे चुकी है!

“माँ मुझे नहीं जाना है क्या फ़ायदा टेस्ट देने का?” निराशा में वो अपनी माँ, सुनैना से कहती है।

“नहीं बेटे तू जा एक प्रयास और कर ले!” सुनैना ने कहा।

एक साल पूर्व ही अनन्या के पिता राम प्रसाद जी की ह्रदयाघात में मृत्यु हो गयी थी.. वो नामी गिरामी कार्डियोलौजिस्ट डॉ प्रशांत साह के क्लीनिक में टेक्नीशियन का काम करते थे।अंतिम समय में उन्होंने सुनैना से कहा था ” मैं तो क्लीनिक में नौकर था..काम के आगे अपनी तकलीफ़ ज़ाहिर करने का अधिकार मुझे नहीं था.. तुम अनन्या को डॉक्टर बनाना.. ताकि अपने और अपने परिवार के स्वास्थ्य पे ध्यान रखने का उसे अधिकार हो!” कहते कहते उनकी साँसें अटक गयी थी..।

                      सुनैना दिन रात ईश्वर से प्रार्थना करती..किसी तरह उसकी बेटी का मेडिकल में चुनाव हो जाय.. यद्यपि वो पढ़ाई में सामान्य थी, फ़िर भी उसे विश्वास था कि उसके पति की अंतिम इच्छा ज़रूर पूरी होगी।वो गाँव में घूम घूम कर चूड़ियाँ बेचती..मेहनत मज़दूरी कर पैसों का जुगाड़ करती… सुना था मेडिकल पढ़ाने में बहुत पैसे लगते हैं, फिर भी कमर कसे तैयार थी!

                         आज रात सुनैना के सपनों में माँ दुर्गा आयी थीं ” उठो सुनैना, कमर कस के तैयार हो जाओ..अनन्या को डॉक्टर बनाने के लिए!”

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‘मैं तो कमर कसे तैयार हूँ माँ.. बस उसका मेडिकल में चुनाव हो जाए!’सुनैना ने सर नवाए सपने में माँ को जवाब दिया!

“उसका शीघ्र ही चुनाव हो रहा है! पैसे भी कम लगेंगे! तुम्हारी सासु माँ के कुछ ज़ेवरात संदूक में पड़े हैं.. तुम्हारा काम हो जाएगा!” कहकर माँ अन्तर्ध्यान हो जाती हैं..। झटके से सुनैना की नींद खुल जाती है!… ये तो माँ दुर्गा से उसका साक्षात्कार था! उसे लगता है काश अनन्या के पिता होते… सोचते हुए वो तंद्रा में चली जाती है… राम प्रसाद जी सामने खड़े हो कर उसे समझा रहे हैं.. “देखो सुनैना, थोड़ी हिम्मत तो रखनी होगी तुम्हें… तुम शक्ति हो.. कुछ भी तुमसे परे नहीं!” जी बिलकुल.. मैं पूरी शक्ति लगा दूँगी..केवल आप अनन्या को आशीर्वाद देते रहें! सुनैना कहती है ।

                                        सुबह उठते ही वो दौड़ी संदूक खोलती है.. वाक़ई उसमें कुछ ज़ेवरात हैं जिसकी जानकारी उसे नहीं थी..। उसे लगता अनन्या को अविलम्ब सब बता दे.. पर उसने अभी बताने का उपयुक्त समय नहीं  समझा!अनन्या काॉलेज चली गयी..


                       सुनैना दिन भर अपने माँ दुर्गा से साक्षात्कार के बारे में ही सोचती रही।शाम के ठीक पाँच बजे अनन्या दरवाज़े से ही माँ माँ आवाज़ लगाती दौड़ी आकर माँ से लिपट जाती है.. “माँ मेरा ए एफ एम सी में दाख़िला हेतु चुनाव हो गया है माँ..और माँ जानती हो, वहाँ फ़ीस भी नहीं लगता.. बहुत कम पैसों में ही मेरी पढ़ाई हो जाएगी!” एक ही साँस में सारी बातें वो कह गयी! माँ ने पहले उसे जी भर चूमा.. सारा वात्सल्य उड़ेल दिया..!

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                                                      “बेटा, आज रात मेरा माँ दुर्गा

से साक्षात्कार हुआ था… तभी मैं समझ गयी थी, इस बार तो तेरा चुनाव ज़रूर होगा! तेरे पिता ने भी रात आकर मुझे ढाढ़स दिया था!“ सुनैना ने दिल का उद्गार व्यक्त करते हुए अनन्या को बताया।

                             आज अनन्या पुणे की बहुत बड़ी गाइनोकोलॉजिस्ट है । पति डॉ विनोद जाने माने कार्डियोलॉजिस्ट हैं! स्व.राम प्रसाद जी एवं स्व. सुनैना देवी स्वर्ग से अशीषों की अनवरत वर्षा कर रहे हैं!

स्वरचित

रंजना बरियार

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