तुम सबसे खूबसूरत हो – लतिका श्रीवास्तव : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi : शानदार होटल.. ऑर्केस्ट्रा की मधुर संगीतमई धुन पर मीठे गीत गाता एक युगल …सिर पर पग्गड़ बांधे चुस्त वर्दी में सजे वेटर …मद्धम रौशनी में सुस्वादु भोजन से सजी प्लेट… ऊंचे रौबदार अत्याधुनिक वेश भूषा में सज्जित रईस कांटे चम्मच से सलीके से अंग्रेजी की गिटर पिटर के साथ धीमी स्मित लिए खाना खाने में तल्लीन थे अचानक जोर से आवाज आई सबने मुड़ कर  देखा एक साधारण वृद्ध दंपति खाना खा रहे थे और पत्नी की प्लेट टेबल से नीचे गिर कर टूट गई थी प्लेट का पूरा खाना पत्नी की साड़ी और फर्श पर उलट गया था….

गंवार कहीं की…गंवार कहीं की ..चारो तरफ से तेज उपेक्षा पूर्ण आवाजे सुनकर पत्नी बुरी तरह सहम गई और रोने ही लग गई

साधारण पहनावे वाले वो दंपत्ति उन पाश्चात्य सजावट वाले लोगो के बीच टाट का पैबंद प्रतीत हो रहे थे उन्हें देख कर ही सभी उपस्थित तथाकथित सभ्य सुसंस्कृत लोगो ने हिकारत से मुंह बना लिया

कहां कहां से चले आते हैं…अपनी हैसियत तो देख ली होती इस फाइव स्टार होटल में आने से पहले…ना शकल है ना अकल है मिस्टर रॉय ने नज़ाकत से चम्मच पर अपनी उंगली टिकाते हुए कहा… हां और ना ही उम्र.. साड़ी तो देखो इसकी और पहनने का भी सलीका नहीं है चार सभ्य लोगों के बीच उठने बैठने लायक पहनावा तो होना चाहिए अस्त व्यस्त बाल हैं मानो सोते से उठ कर चली आ रही हो……

मिसेज रॉय ने भी उतनी ही उपेक्षा से कंधे उचकाते हुए सहमति व्यक्त की …ऐसे लोगों का तो आना प्रतिबंधित कर देना चाहिए सुधांशु जी ने भी ठंडे पानी का ग्लास उठाते हुए कहा उनकी अभिजात्य सी बेटी अपनी प्लेट में रखे मंचूरियन को उठा कर वापिस प्लेट में रखते हुए  बोल पड़ी सारा मज़ा खराब हो गया इन लोगों को देख कर ही देखो तो पूरा फर्श खराब हो गया इतनी गंदगी देख कर ही मुझे तो उल्टी सी आने लगी है पापा चलो यहां से इस होटल में कभी नहीं आयेंगे…!

होटल मैनेजर की तो सांस ही रुक गई थी अपने रईस ग्राहकों की व्यक्त होती नाराजगी उसे अपने होटल की आमदनी की कब्र खोदती प्रतीत होने लगी थी बहुत ज्यादा नाराज था वो उस वृद्ध दंपति के आगमन से जिन्होंने अपनी असभ्य हरकतों और गंवार व्यक्तित्व से उसके आलीशान होटल की इज्जत पर बट्टा लगा दिया था घोर उपेक्षा और हिकारत के भाव लिए वह उस दंपत्ति की टेबल पर पहुंचा और सबके सामने उनकी भर्त्सना करने लगा और रईस ग्राहकों से गर्दन झुकाकर विनयानवत होने लगा ।

वो वृद्ध पत्नी जिसके हाथों से होटल की कीमती प्लेट टूट गई थी अपराधिनी सी खड़ी थी सैकड़ों नजरों में अपने लिए उपज आई उपेक्षा झेल  पाने में असमर्थ हो शायद उसने अपनी नजरें भी झुका ली थीं …

जल्दी से नीचे बैठ कर उसने फर्श साफ करने की कोशीश भी की जिस कोशिश में फर्श पर बिखरे भोजन पर उसका पैर फिसल गया और वो मुंह के बल गिरने को हुई ही थी तब तक उसके पति जो अभी तक शांत भाव से बैठे थे बिजली की गति से लपक कर अपनी पत्नी के पास आए और अपने दोनों हाथों से उसे थाम लिया.

अपनी जेब से धुला रूमाल निकाल कर उसकी साड़ी पर गिरे भोज्य पदार्थ को साफ़ करने लगे बहुत स्नेह से एक हाथ से उसके कंधे को थपथपाते हुए दिलासा देने लगे तभी उनकी पत्नी ने उन्हे जोर से एक चांटा लगाया और उनसे हाथ छुड़ा कर भागने लगी परंतुअब तो वो वृद्ध पति और भी खुश होकर उसे बहुत प्यार से कुर्सी पर बिठाते रहे

फिर होटल मैनेजर और सभी उपस्थित संभ्रांत सभ्य लोगों से मुखातिब होकर हाथ जोड़ कर कहने लगे सही कह रहे है आप सब…. गंवार ही है ……..लेकिन गंवार ये नहीं असली गंवार मैं हूं…!!

आप लोगो ने वो कहानी तो सुनी ही होगी… एक व्यक्ति ने अपने घर में दो पौधे लगाए और रोज सुबह और शाम एक पौधे को पानी देते समय दुलार करता था उसकी बहुत तारीफ़ करता था वहीं दूसरे पौधे को पानी देते समय जली कटी सुनाता था अपशब्द कहता था

भर्त्सना करता था  समय के साथ साथ वो पौधा जिसकी तारीफ होती थी ख्याल होता था हरा भरा होता गया जबकि दूसरा पौधा जिसकी बुराई और उपेक्षा होती थी वो सूखता गया और मुरझा गया….पौधे जैसे निर्जीव जब अपनी उपेक्षा नहीं सह पाते तो मनुष्य कैसे सह पाएगा!!यही मेरी पत्नी के साथ हुआ..!

माफ कीजिएगा आप लोगो के रंग में भंग पड़ा होगा ..आज हमारी शादी की पचासवीं सालगिरह है ये मेरी पत्नी है और मै वो हतभागा हूं जिसने जिंदगी में दौलत के ढेर लगाए पर शायद उसी ढेर के नीचे अपनी पत्नी की मासूमियत प्यार और अस्तित्व को दबाता चला गया धन कमाने की अति महत्वाकांक्षा में अपनी पत्नी की घोर उपेक्षा करता गया कई कई दिन अपने घर ही नहीं आता था

इसके साथ बैठने बात करने से नफरत करता था इसे मैं भी गंवार कहता था इसे अपने साथ कहीं भी लेकर नहीं जाता था दौलत की चकाचौंध में मेरी पत्नी मुझसे दूर जाती गई अपनी नित निरंतर उपेक्षा से खामोश होती चली गई अपने आप में ही सिकुड़ती चली गई कितनी ही इसकी अनकही व्यथाएं इसे रौंदती चली गईं.

कितनी ही रातें इसकी जागते बीतती रहीं मेरी लगातार उपेक्षा ने इसे मानसिक विक्षिप्तता की स्थिति में ला दिया है मुझे होश तब आया जब मेरे घर पर इनकम टैक्स की रेड पड़ी ….मैं बर्बाद हो गया …सारी दौलत के साथ इज्जत भी चली गई..सारे सगे सम्बन्धी परिचितों ने मुझसे तत्काल किनारा कर लिया …

मैं बुरी तरह टूट गया ..तब मेरी इस पत्नी ने ही मेरी संभाल की सेवा की लेकिन मुझे स्वस्थ करते करते ये बिलकुल टूट गई… खाट पकड़ ली इसने… आज इस वृद्धा वस्था में  मैंने अपनी सारी कमाई इसके इलाज में लगा दी  मेरे घर वाले नाते रिश्ते दार मुझे झक्की पागल और सिरफिरा कह अकेला छोड़ कर चले गए कि तू भी अपनी पागल पत्नी के समान है

आज जब मुझे होश आया है तो मेरी पत्नी का होश चला गया है इसकी आंखों की रोशनी भी धुंधली हो गई है इसे अपना कोई होश नही रहता है

मेरी इच्छा थी इसी होटल में सालगिरह का डिनर करने की क्योंकि अपनी शादी की पहली  सालगिरह पर हम दोनो यहीं आये थे …मुझे याद है मगर मेरी पत्नी जिसने ना जाने कितनी ही सालगिरहे अकेले काटी थी वो आज भूल गई है..

पहले ये मेरे साथ बात करना चाहती थी समय बिताना चाहती थी पर मैं नहीं चाहता था हिकारत करता था …अब मैं इसके साथ  बैठना चाहता हूं ढेर सारी बातें कहना सुनना चाहता हूं लेकिन अब ये नहीं चाहती …इसे अपने हाथ से खाना खिलाना चाहता हूं पर ये मुझसे दूर भागती है..

….इसके सारे काम आज मैं अपने हाथो से करता हूं ये कुछ नही बोलती है  मुझे लगता रहता है ये मुझे जलील करे अपशब्द कहे पर ये खामोश ही रहती है जैसे इसके अंदर जीने की कोई इच्छा ही नहीं बची है …

लेकिन आज मैं बहुत खुश हूं आप लोगों की उपेक्षा पूर्ण तानों से अक्रोषित हो इसने मुझे मारा …मैं आप सभी का बहुत शुक्रगुजार हूं की आज आप लोगों की वजह से इस होटल की वजह से मुझे इसकी मार खाकर अपने गलत व्यवहार का प्रायश्चित करने का मौका मिला …

इसे ये साड़ी मैने अपने हाथों से पहनाई है इसे तो कुछ दिखाई ही नहीं पड़ता इसीलिए तो खाने की प्लेट गिर गई…और  सजाया भी मैने है साथ ही इसकी सुंदरता की तारीफ भी की थी की तुम आज दुनिया की सबसे खूबसूरत स्त्री लग रही हो…

….थोड़ा रुक कर ठंडी सांस भरते हुए उसने फिर कहा ….पर अफसोस है आप सब भी मेरी ही तरह इस चकाचौंध दौलत में खोए हैं आप सभी के उलाहने और उपेक्षा भरी कटुक्तियों ने इसे गंवार जाहिल कुरूप विशेषणों से विभूषित कर उसका नहीं मेरा दिल टुकड़े टुकड़े कर दिया…

साधारण वेश भूषा और प्लेट का गिराना किसी की उपेक्षा करने का अधिकार नहीं दे देता है मानवीयता और मनुष्यता का मोल समझिए…..

लेकिन मैं तुम्हे फिर से बोलता हूं और सच्चे दिल से आज सबके सामने बोलता हूं कि तुम आज भी पूरी दुनिया में मेरी सबसे खूबसूरत पत्नी हो तुम गंवार नही हो मुझे तुम पर गर्व है अपनी पत्नी की तरफ मुड़ कर कहते हुए उसने अपनी सहमी सी लज्जित  सी पत्नी को बहुत सम्मान और प्यार सेअपनी बाहों के घेरे में ले लिया।

वहां उपस्थित सभी को तो मानो सांप सूंघ गया था ..सन्नाटा छा गया था ऐसे सच्चे निश्छल मासूम अनुराग को देख उन्हें स्वयं के द्वारा की गई उपेक्षाएं लज्जित करने लगीं थीं अपना झूठा आचरण आडंबर खोखला लगने लगा था ….

अचानक मिस्टर रॉय ने कहा …हां तुम सबसे खूबसूरत हो ….सबसे खूबसूरत हो….दोनों हाथ ऊपर उठाकर ताली बजाना शुरू किया तो मानो पूरे हाल से हां तुम सबसे खूबसूरत हो ….वाक्य प्रतिध्वनित होने लग गया और पूरा हॉल तालियों से गूंज उठा और इतनी घोर उपेक्षा के बीच सबके सामनेअपने पति द्वारा दिए सम्मान से आप्लावित होकर अचानक पत्नी ने सुखद आनंद और संकोच से अपना सिर अपने पति के कंधो में छुपा लिया था।

होटल मैनेजर ने अपने खराब व्यवहार का प्रायश्चित करते हुए एक विशेष भोज का आयोजन अपनी तरफ से किया जिसमे  गेस्ट ऑफ ऑनर वृद्ध दंपत्ति के साथ बैठ कर सभी  लोग डिनर कर रहे थे उन्हें बधाई दे रहे थे और चरण स्पर्श कर माफी मांगते हुए उनका अनुकरण करने का आशीष प्राप्त कर रहे थे ।

और वो बेमिसाल जोड़ी कुछ देर पहले इन्हीं लोगो द्वारा की जाने वाली घोर उपेक्षा को भूल कर वात्सल्यपूर्ण हंसी के साथ उल्लसित हो आशीर्वाद बांट रही थी।

लतिका श्रीवास्तव 

#उपेक्षा

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