तुम पर सिर्फ मेरा अधिकार है…. रश्मि झा मिश्रा : Moral stories in hindi

मोनू भाग कर दादी के पीछे छुप गया…” दादी बचा लीजिए.. दादी बचा लीजिए…! पीछे से सिया गुस्से मे आई तो मोनू डरते हुए बोला…” दादी प्लीज दादी.. मम्मी से बचा लीजिए…!” दादी उसे समेट कर आगे ले आई.. फिर हंसते हुए बोली…” पर हुआ क्या.. यह तो बताओ..!” 

सिया खीझ कर बोली..” एक भी लेसन इसे याद नहीं… जो पूछ रही हूं.. सब भूल गया..!”

 दादी बोली…” नहीं मोनू.. यह तो गलत बात हो गई.. अभी तो मैं बिल्कुल नहीं बचाऊंगी.. पढ़ाई में तो कोई बचना नहीं होता… जाओ पहले पढ़ाई करो….!”

 मोनू रोने लगा..” नहीं दादी.. अभी नहीं पढ़ना.. मम्मी को बोलिए ना.. अभी नहीं पढ़ना..!”

 इतनी जिद पकड़ कर बैठ गया.. दादी बोली..” तुम तो बहुत जिद्दी हो गए हो… पर पढ़ाई के लिए इतनी जिद अच्छी नहीं बेटा…!”

 अब तक सिया का गुस्सा मोनू की पिटाई में बदल गया… सिया ने खींच कर दो थप्पड़ मोनू को लगा दिए… दादी देखती रह गई… अब दादी की शरण में गया मोनू पिट गया… इससे दादी को भी गुस्सा आ गया..” क्या सिया छोड़ देती ना… अभी क्यों मारा…!”

 सिया बिना कुछ जवाब दिए… उसे घसीटते लेकर चली गई…!

जब से दादा-दादी घर में आए थे.. तब से मोनू की शरारत बहुत ज्यादा बढ़ गई थी… यह बात सभी जानते थे… दादा-दादी भी… पर उन्हें मोनू का पिटना बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता था… यही तो उम्र होती है अपने बच्चों को लाख पीट लो.. लेकिन पोते पोतियों को पिटता देखने में… कलेजा मुंह को आने लगता है…!

 सिया सास ससुर का अच्छे से ख्याल रखती… उनकी दवाइयां… उनका खाना पीना… सब समय पर करती… पर मोनू का दादा दादी के आने से बदला व्यवहार… पढ़ाई के प्रति लापरवाही… बात-बात पर बहुत ज्यादा जिद करना…. सिया को परेशान कर जाता… उसे पीट कर तो मुसीबत चार गुनी हो जाती… एक तो मोनू रूठ कर दादी से और चिपक जाता.. और दूसरा दादा-दादी का मूड खराब सो अलग से….!

 अब उसे मोनू का ज्यादा.. दादी दादी… दादा दादा.. करना अच्छा नहीं लगने लगा था…!

 बचपन से अकेले मोनू को पालते आई थी.. दादा दादी गांव में कभी… तो कभी बड़े भैया के पास रहते थे… अभी बहुत समय बाद अपने छोटे बेटे संदीप के पास आए थे…!

 यूं तो सिया में कोई कमी नहीं थी… पर अपने बेटे के बंटते प्यार को बर्दाश्त ही नहीं कर पा रही थी…..!

 एक दिन तो हद हो गई… दादाजी शाम को टहलने जा रहे थे… मोनू दादा जी का हाथ पकड़ बोला… “दादाजी आज मुझे भी जाना.…!”

 दादाजी लेकर चले गए… रास्ते में मंदिर था.. आते-आते देर हो गई.. मंदिर में आरती हो रही थी.. आरती करके आते बहुत देर हो गई… घर पहुंचे तो दरवाजे पर दादी खड़ी मिल गई..” क्या हुआ जी इतनी देर कहां लगा दी… सिया का तो गुस्से से बुरा हाल हुआ है…!” 

मोनू सहम गया सुनकर…” दादाजी अब तो मम्मी पिटाई करेगी…!”

 दादा जी उसे पकड़ कर बोले…” अरे कुछ नहीं होगा.. मैं हूं ना.. मेरे साथ ना गया था तू …अकेला थोड़े ना गया था…!”

 अंदर पहुंचे तो सिया ने झपटकर मोनू को अपनी तरफ खींच कर.. आव देखा ना ताव.. दनादन तीन-चार थप्पड़ रसीद कर दिए…” क्यों किस से पूछ कर गया तू…. इतनी देर बता…!”

 मोनू जोर-जोर से रोने लगा… दादा दादी दोनों ठगे से रह गए… दादाजी कड़े आवाज में बोले… “क्यों बेटा क्या हमारा मोनू पर कोई अधिकार नहीं… वह मेरे साथ ही तो गया था…!”

 सिया चिढ़ कर बोली…” नहीं उस पर सिर्फ मेरा अधिकार है… सुना मोनू… तुम पर सिर्फ मेरा अधिकार है… तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझसे बिना पूछे जाने की…!” इतना कह कर वह और एक थप्पड़ लगाने ही वाली थी… की इतने में सुदीप आ गया… वह दरवाजे से उसकी बात सुनते-सुनते घुस रहा था… उसे आता देख मोनू रोते हुए दौड़ कर उसके पास चला गया…” पापा.. पापा.. !”

संदीप ने मोनू का हाथ पकड़ा और अंदर आकर बोला..” अच्छा सिया मोनू पर सिर्फ तुम्हारा अधिकार है… तो इस हिसाब से तो मुझ पर सिर्फ मेरी मां का अधिकार है… है ना…!”

 सिया अचानक आए सुदीप के सवाल से अचकचा गई… बोली.. “ये क्या बोल रहे हो…!”

” हां ठीक ही तो कह रहा हूं… अगर मोनू तुम्हारा बेटा है… और उस पर सिर्फ तुम्हारा अधिकार है… तो मैं भी तो अपनी मां का बेटा हूं… मुझ पर भी तो सिर्फ मेरी मां का अधिकार है…!” बात को गंभीर होता देख दादी ने सिया के कंधे पर हाथ रखकर समझाते हुए कहा…” बेटा हम जानते हैं मोनू पर तेरा अधिकार है… लेकिन थोड़ा अधिकार तो हमारा भी है ना… जीवन में हर रिश्ते को बांटना पड़ता है… मैंने भी तो अपने बेटे सुदीप को तेरे साथ बांटा है… आज मेरा बेटा तुम्हारा पति है… मोनू का पिता है… पर कल तक तो वह मेरा बेटा ही था ना… इसी तरह सोच मोनू भी तो जिस तरह तेरा बेटा है… उसी तरह मेरे बेटे का बेटा है… हम उसका बुरा थोड़े ही चाहेंगे… हां यह तो हमें भी पता है… थोड़ा ज्यादा शैतानी कर रहा है… तो बेटा जैसे हम उसे देखकर इतने खुश हैं उल्लसित हैं… वैसे वह भी है… धीरे-धीरे…..”

 वह आगे कुछ बोलतीं… इससे पहले ही सिया ने उनका हाथ थाम लिया… “मां मुझे माफ कर दीजिए.. मुझसे गलती हो गई…!”

 मोनू का हाथ पकड़ दादा जी के पास ले गई…” पापा जी मुझे माफ कर दीजिए… मोनू पर आपका भी अधिकार है… मैं गुस्से में बोल गई….!” 

 दादाजी थोड़ी देर चुप रहे… फिर मोनू का हाथ पकड़ बोले…. “बेटा तुम्हें मां से जरूर पूछना चाहिए… कहीं भी जाओ… कुछ भी करो… मां की इजाजत लेना सबसे जरूरी है… यह गलती तो तुमसे हुई है… आगे से ऐसा नहीं होना चाहिए… कहीं भी जाना हो… कुछ भी करना हो… बिना मां से पूछे नहीं… ठीक है….!” मोनू ने हां में सर हिलाया…!

 सिया की आंखों में आंसू भर आए… अब उसे दादा-दादी के साथ मोनू के रहने में कोई परेशानी नहीं थी…!

स्वलिखित

रश्मि झा मिश्रा

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