रागिनी जी के पाँच बेटे थे । पति की आमदनी बहुत कम थी फिर भी किसी तरह वे अपने बच्चों का पालन पोषण कर रही थी । खुद बहुत बड़े घर में पली बड़ी थी जहाँ रुपए पैसों की कमी नहीं थी । परंतु शादी के बाद पति के साथ मिलकर उसे अभाव की ज़िंदगी जीना पड़ रहा था । वहाँ अपने मायके में किसी को यह भनक भी नहीं लगने देना चाहती थी कि वह किस तरह से जीवन बसर कर रही है । इसलिए उनसे मदद नहीं लेती थी ।
रागिनी के बच्चे बहुत ही अच्छे संस्कारी माता-पिता के आज्ञाकारी और होशियार थे । इसीलिए बिना किसी की सहायता के ही छात्रवृत्तियों पर ही अपनी पढ़ाई पूरी की थी । उनके तीन बेटे सरकारी ऑफिस में काम करने लगे थे । रागिनी के चौथे बेटे की सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी । कई सालों तक वह उस बच्चे का शोक मनाती ही रही परंतु जब पोते आ गए थे तो वह उस हादसे से बाहर निकल गई थी ।
अब उसके घर की हालत सुधर गई थी । पति के साथ साथ तीन बेटे भी कमाऊ हो गए थे । एक बार रागिनी की सास अपने बेटे के पास रहने आई थी और बातों बातों में उन्होंने कहा कि रागिनी तुम्हें मालूम है न कि तुम्हारी दूसरी देवरानी रमा के कोई बच्चे नहीं हैं और अब तो होने से रहे इसलिए तुम्हारे आख़िरी बेटे विकास को उसे पालने के लिए दे दे तो शायद अच्छा होगा वैसे भी तीन बेटे तो हैं न तुम्हारे पास ।
रागिनी वैसे भी स्वाभिमानी और तेज तर्रार थी । ग़ुस्सा तो उसकी नाक पर ही रहता है । किसी की भी याने उसके मायके में भी हिम्मत नहीं होती थी कि उसके सामने खड़े होकर बात कर सके । वैसे सास ने भी यह बात डरते हुए ही पूछा था ।
वह शेरनी की तरह बिफर गई थी कि मेरे पास पैसे कम थे बच्चे छोटे थे तब कहाँ गई यह पालने वाली बात आज मेरे बच्चे काबिल हो गए तो सबकी आँखें हम पर जम गई है ।
मेरे बच्चों पर सिर्फ़ मेरा अधिकार है । मैं उन्हें किसी को नहीं दूँगी उनसे मेरी ना कह दीजिए । यह कहते हुए उसके आँखों से आँसू बहने लगे थे । जो वह किसी को भी नहीं दिखाना चाहती थी इसलिए भागते हुए कमरे में जाकर दरवाज़ा बंद कर लिया ।
यह है स्वाभिमानी रागिनी जिसके लिए उसका आत्मसम्मान ही सब कुछ है । उसका लाड़ला छोटा बेटा विकास जो डिग्री पूरी करके नौकरी की तलाश में है माँ के पास पहुँच गया और कहने लगा कि माँ तू एक बार सोच ले कि मैं अभी मेरी डिग्री ख़त्म हुई है । इसके बाद मुझे नौकरी मिलेगी या नहीं या कब तक मिलेगी कुछ मालूम नहीं है ।
चाचा के पास खुद का बहुत बड़ा मकान है वे बहुत पैसे वाले हैं अगर मैं थोड़ी सी उनकी मदद कर देता हूँ तो वह सब कुछ अपना हो जाएगा और हम आराम की ज़िंदगी जी सकते हैं । दादी कह रही थी कि चाची अपने भाई के बच्चे को दत्तत लेना चाहती थी परंतु चाचा का कहना है कि मेरी जायदाद मेरे घर में ही रहना है तो मेरे भाई के बच्चे ही उसके हक़दार होंगे मैं उसे किसी और का होता नहीं देख सकता हूँ । ऐसी स्थिति में आप सोचिए कि वह जायदाद हमें ही मिलेगा ।
आप मान भी जाओ न जब वे बीमार होंगे तब की बात है न तब हम सब मिलकर उनकी देखभाल कर लेंगे ।
रागिनी ने ज़ोर से उसे डाँटा और कहा तुझ पर सिर्फ़ मेरा अधिकार है मैं किसी और को यह अधिकार नहीं दे सकती हूँ इसलिए चुपचाप अपना मुँह बंद करके यहाँ से निकल जा । यहाँ छोटे के दिमाग़ में पैसे का कीड़ा जम गया था।
वह धीरे से दादी के पास पहुँच गया और कहने लगा कि आप चिंता मत कीजिए मैं माँ को मना ही लूँगा । वह माँ को मनाने के लिए उनके आगे पीछे घूमने लगा । इसी बीच उसकी नौकरी लग गई थी और वह पूना चला गया था । उसे नौकरी करते हुए एक साल हो गया था । माँ ने एक अच्छी सी लड़की देखकर उसकी शादी भी करा दी ।
वह अपनी नौकरी की वजह से पत्नी को भी लेकर पूना में रहने लगा ।
कुछ साल बीत गए उसके भी बच्चे नहीं हुए डॉक्टर के पास गए पर कोई फ़ायदा नहीं हुआ था । प्राइवेट कंपनी में नौकरी करने के कारण पैसे भी कम ही मिलते थे ।
बच्चों की ज़िम्मेदारी ना होने के कारण वे आराम से तो जी रहे थे । उसने एक दिन अपनी पत्नी से सलाह मशविरा किया और माँ के पास पहुँचा । उसे अब माँ से डर नहीं लगता था और अपने निर्णय खुद लेने की क्षमता रख लेता था ।
वह एक दिन छुट्टी लेकर माँ के पास पहुँचा और कहने लगा कि मैंने निर्णय लिया है कि मैं चाचा चाची के देखभाल करूँगा । माँ ने कहा कि पैसों के लिए तैयार हो गया है । उसने कहा माँ पैसे किसी के लिए कडुवे नहीं होते हैं । आज उनके पास पैसे हैं तो उनकी सेवा करने के लिए मैं नहीं तो कोई और कर देगा तू ख़ुद सोच आज हमारे भी बच्चे नहीं है तो मुझे भी किसी की ज़रूरत पड़ेगी और मेरे पास पैसे हैं तो कोई और हमारी देखभाल कर देगा तो मुझे पैसों की ज़रूरत है तो मैं उनकी देखभाल करने की ज़िम्मेदारी ले लेता हूँ । माँ ने कहा कि मैं कहे देती हूँ कि तुम कहीं भी चले जाओ पर तुम पर सिर्फ़ मेरा ही अधिकार होगा । विकास हँसते हुए कहने लगा कि ठीक है ठीक है!!!!
दो हज़ार अठारह में विकास के चाचा जी की मृत्यु हो गई थी तो चाची को लेकर पूना चले गए थे । वहाँ चार साल पहले चाची गिर गई थी और आज बिस्तर पर पड़ी है । एक हेल्पर की सहायता से उनके देखभाल कर रहे हैं ।
दोस्तों आज की तारीख़ पर भी जब दोनों देवरानी जेठानी मिलती हैं तो गर्व से कहतीं हैं कि उस बच्चे पर सिर्फ़ मेरा ही अधिकार है । यह सिलसिला कब तक चलेगा हमें नहीं मालूम है परंतु जब तक सब कुछ ठीक है चलता रहेगा ।
दोस्तों सच्ची कहानी है इसलिए मैं इसका अंत यहीं तक कर सकी हूँ क्योंकि दोनों ही देवरानी जेठानी अभी भी जीवित हैं ।
के कामेश्वरी