तुम मेरे हो – डॉक्टर संगीता अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

राशि अपने नाम के अनुरूप सौंदर्य की अप्रतिम राशि ही थी,विधाता ने बड़े फुरसत में गढ़ा था उसे,बड़ी बड़ी

कजरारी आंखें, सुत्वा नाक,गुलाब की पंखुरी जैसे होंठ और आबनूसी काले,सिल्की बाल बस उसकी तकदीर

लिखने में विधाता थोड़ी कंजूसी कर गए।छोटी सी थी कि उसकी मां महामारी की चपेट में आकर चल

बसी,पिता ने दूसरी शादी कर ली,बहाना ये था,इस नन्हीं जान की देखभाल कौन करेगा लेकिन हकीकत ये थी

कि उन्हें खुद एक जीवनसाथी चाहिए था।

पढ़ाई लिखाई का शौक था राशि को बहुत पर उसकी सौतेली मां को जल्दी थी उसे घर से निकालने की,बीच

पढ़ाई में ही कई रिश्ते लाकर खड़े कर दिए ,फिर एक इंजीनियर लड़के ने राशि को पसंद कर लिया और दोनो

की धूमधाम से शादी करा दी गई।

राशि अभी पूरी तरह तैयार नहीं थी इस शादी के लिए,इसलिए उसका पति निखिल उससे नाखुश रहने

लगा,उसे राशि में वो सब कुछ नहीं मिला जिसकी उसे अपेक्षा थी।राशि सुंदर थी,ये सोचकर उसने शादी को

हां की थी पर राशि की चुप्पी से उसे लगा कि ये किसी और को पसंद करती होगी,जबरदस्ती इसकी शादी

मुझसे कराई गई है,बस ये बात उसे नागवार गुजरी और उसने राशि से बातचीत बंद कर दी।

जब तक राशि को अपनी इस भूल का एहसास हुआ तब तक बहुत देर हो चुकी थी,निखिल,राशि की कमी

अपने ऑफिस की एक विवाहिता सहकर्मी के साथ पूरी करने लगा।

राशि को अक्सर निखिल के कपड़ों से ऐसे प्रतीत होता जैसे वो किसी दूसरी औरत के पास जाता हो पर

साक्ष्य के अभाव में कुछ न कह पाती और न कुछ पूछ पाती उससे।

एक दिन निखिल नहा रहा था और उसके फोन पर उसी सहकर्मी का मैसेज आया जिसमे उसने निखिल को

एक होटल में बुलाया था।

निखिल ने आते ही,राशि से बहाना बनाया,उसे एक मित्र की शादी में बाहर जाना है,अब वो कल या परसों

लौटेगा।

राशि अवाक होकर उसका झूठ सुनती,देखती रही,उसकी जुबान तालू से चिपक गई।

निखिल के जाने के बाद वो रोने लगी और रोते रोते वो अपनी किस्मत को कोसती जा रही थी।

“मै हूं ही अभागी, पैदा हुई,मां मर गई,शादी हुई,पति को नाराज कर दिया और नाराज भी ऐसा कि वो दूसरी

औरत के चक्कर में पड़ गया।अब क्या करूं?कैसे उसे समझाऊं कि मै उसे बहुत प्यार करती हूं और उसे किसी

के साथ बांट नहीं सकती।”

अगले दिन,उसने निखिल से साफ पूछा,”आप किसी के साथ रिलेशनशिप में हैं?”

“क्या बक रही हो?”खुद को संभालता,अपनी आवाज को तेज करता वो बोला।

“मेरे पर सब प्रूफ हैं…” राशि गुस्से में थी,”मुझे बेवकूफ न समझिए,जिस औरत के प्यार में आप गिरफ्त हैं वो

विवाहित है,जानते हैं न आप?”

“तुम मुझ पर गलत इल्जाम लगा रही हो,किसने बरगलाया है तुम्हें..” निखिल मानने को तैयार न था।

राशि को दिखाना ही पड़ा फिर निखिल और उस लड़की देवयानी की ढेर सारी फोटोज जो उसने कल ही

मॉल में ,छुप के खींची थीं,देवयानी उसके दूर के रिश्ते के भाई की पत्नी थी जो अपनी पत्नी के चरित्र को लेकर

बहुत दुखी रहते थे,राशि ने बताया निखिल को,ये आपसे ही नहीं,कई दूसरे मर्दों से भी संबंध रख चुकी है,और

ये काम ये अपनी असीमित इच्छाओं को पूरा करने के लिए करती है,उसे आपसे कोई लगाव नहीं है।

निखिल अवाक रह गया,उसने खुद देवयानी के व्यवहार में ये बात महसूस की थी लेकिन चुप था,उसने

अचानक राशि के दोनो हाथ,अपने हाथों में लिए…”मुझे माफ कर दो, मै भटक गया था।”

राशि के कब से रोके हुए आंसू भरभरा के बह निकले,”निखिल!तुम मेरे हो केवल,कह दो एक बार,फिर मै

अपनी किस्मत को कोसना बंद कर दूंगी आज से।”

निखिल ने राशि को अपने सीने से लगा लिया।

डॉक्टर संगीता अग्रवाल

वैशाली,गाजियाबाद

#वाक्य:रोते रोते बस अपनी किस्मत को कोसती जा रही थी

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