मालिनी ओ मालिनी सुनती नहीं क्या, कल सुबह हमारा स्वतन्त्रता दिवस है,इस कम्युनिटी हॉल के बाहर मैदान में तिरंगा फहराया जाएगा, बड़े-बड़े लोग आएंगे, देशभक्ति का आलम होगा, और तू है कि अपने काम पर ध्यान ही नहीं देती, तुझे साहब ने बोला था ना कि गेंदे के फूलों की लड़ियां सभी दरवाजे पर लगा देना, मेज कुर्सी सब व्यवस्थित तरीके से लगा देना । तुझे सारी सफाई और काम की तनख्वाह मिलती है ना, पर तू है ना काम से जी चुराती हैं।
हमारे पैसे यूं ही नहीं है जो तुझे बिना काम के मुफ्त में दिए जायें,तेरी अपनी पहचान एक सफाई कर्मी की ही है ना, तो अपना काम अच्छे से किया कर, तुम लोगों को क्या पता ये दिन हमारे देश का कितना गौरवशाली दिन है, इस दिन हमारा देश स्वतंत्र हुआ था।
सोसाइटी की चीफ रमा मिश्रा ने सोसाइटी की सफाई कर्मचारी मालिनी को जब ये बोला तो मालिनी ने कहा…
माफ करना मैडम जी छोटा मुंह बड़ी बात, आपके पैसे? आप कहां कुछ करती हैं मैडम जी ?
आप जैसी मैडम लोग तो बस अपने अमीर पतियों के रूपयों पर हम जैसे गरीबों के ऊपर रौब झाड़ती है, आपने कहा कि शायद हम जैसे लोगों को नहीं पता कि देशभक्ति क्या होती है, और जो पहचान की बात आप कर रही है ना मैडम जी, आपकी अपनी कोई पहचान नहीं ,बल्कि मेरी खुद की अपनी पहचान है।
मैं अपने दम पर अपना घर चलाती हूं, देश की जिम्मेदार नागरिक होने का फर्ज भी निभाती हूं, देश को स्वच्छ और साफ सुथरा रखना भी देशभक्ति ही है मैडम जी,जो शायद आप जैसे पैसे वाले लोग भूल चुके हैं । आप लोगों के लिए हर दिन मौज मस्ती और पार्टी का दिन होता है, तिरंगें के साथ फोटो खिंचायेगे, उसे सोशल मीडिया पर डालेंगे।
तिरंगा फहराने के समय सभी के हाथों में छोटे छोटे तिरंगें होगें, ध्वजारोहण करने के बाद चाय नाश्ता करेंगे और निकल लेंगें।
किसी को भी सुध नहीं कि तिरंगे का क्या हुआ, कहीं किसी के पैरों में तो नहीं है हमारा तिरंगा, कहीं हमारे भारतीय ध्वज का अपमान तो नहीं हो रहा। माफ करना मैडम जी हम सफाई कर्मी जरूर हैं पर तिरंगा हमारी शान है, हम एक एक तिरंगा पैरों में आने से बचाते हैं और सही मायने में अपनी देशभक्ति निभाते हैं।
भारतवर्ष की ये पहचान, हर इंसान एक समान।
हर व्यक्ति को दो सम्मान, तभी बढ़ेगा देश का नाम।
जय हिंद, जय भारत
भारत माता की जय
ऋतु गुप्ता